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यूपी में ऑनलाइन लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने में आवेदकों को परेशानी, रोज मिल रहीं 500 शिकायतें - ONLINE LEARNING LICENSE

यूपी में अपात्रों के ड्राइविंग लाइसेंस बन रहे हैं, जिससे सड़क दुर्घटनाएं भी बढ़ गई हैं.

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उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 19, 2024, 8:35 PM IST

लखनऊ: लर्निंग लाइसेंस की गड़बड़ियों की शिकायतें अब ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट हेडक्वार्टर तक पहुंचने लगी हैं. अब इस मामले में रिपोर्ट तलब की गई है. शिकायत में दावा किया गया है कि अपात्रों के ड्राइविंग लाइसेंस बन रहे हैं. इसकी वजह से सड़क दुर्घटनाएं भी बढ़ गई हैं. अपात्रों के लाइसेंस बनने में ऑनलाइन सेवाओं की बड़ी भूमिका है. परिवहन आयुक्त कार्यालय ने इस संबंध में शिकायतकर्ता से अपात्रों के लाइसेंस बनने के प्रूफ और सड़क हादसों की बढ़ोतरी का ब्यौरा मांगा है.

लर्निंग लाइसेंस की खामियों को न्यायालय में चुनौती देने वाले सामाजिक कार्यकर्ता कर्मवीर आजाद ने यह शिकायत की थी कि अपात्रों के लाइसेंस बनने से सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी हो रही है. इस संबंध में उन्होंने साक्ष्य के लिए एक वीडियो भी प्रस्तुत किया, जिसमें लर्निंग लाइसेंस कैसे बन रहा है. ऑन रिकॉर्ड कैमरे के सामने आवेदक बैठा है और उसकी परीक्षा कोई दूसरा दे रहा है. कुछ ही मिनट में यह लाइसेंस भी बन गया है.

कर्मवीर आजाद ने एनआईसी और परिवहन विभाग के अधिकारियों से इस संबंध में शिकायत की थी. इसके बाद वरिष्ठ प्रशासन अधिकारी पूनम मिश्रा की ओर से उनसे साक्ष्य मांगे गए हैं. यह भी कहा गया है कि बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं का ब्यौरा भी सौंपा जाए. इसके बाद कर्मवीर आजाद ने साक्ष्यों को इकट्ठा करना प्रारंभ कर दिया है.

इसे भी पढ़ें - अब DL का नवीनीकरण नहीं होगा आसान, डॉक्टरों के पैनल का हेल्थ सर्टिफिकेट देना होगा - DRIVING LICENSE RENEWAL

यूपी सड़क हादसों में नंबर वन : 2018 से 2022 तक सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों का डेटा सामने आया है. इन पांच सालों में देश में करीब 7.77 लाख मौतें हुई हैं. रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे मिनिस्ट्री की ‘रोड एक्सीडेंट इन इंडिया 2022’ रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा 13.4 फीसदी मौतें उत्तर प्रदेश में हुई हैं. इसके बाद तमिलनाडु और महाराष्ट्र का दूसरा और तीसरा स्थान है. रिपोर्ट्स के मुताबिक उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, पंजाब, असम और तेलंगाना 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 2022 के मुकाबले 2023 में सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है.


दिक्कतों का तैयार हो रहा डेटा : लर्निंग लाइसेंस संबंधी समस्याओं का एक डाटा ट्रांसपोर्टनगर स्थित आरटीओ कार्यालय में भी तैयार किया जा रहा है. इसमें परेशानी लेकर आने वाले आवेदक अपने आवेदन नंबर और मोबाइल नंबर के साथ ही समस्या को एक रजिस्टर पर नोट कर रहे हैं. आवेदकों की इन विभिन्न दिक्कतों को मुख्यालय को भेजने की तैयारी है.

फेस ऑथेंटिकेशन में बड़ी परेशानी : आरटीओ कार्यालय में रोजाना सात से आठ आवेदक लर्निंग लाइसेंस संबंधी समस्या लेकर आ रहे हैं. इसमें सबसे ज्यादा परेशानी फेस ऑथेंटिकेशन को लेकर हो रही है. पिछले चार दिनों से इन दिक्कतों में और भी इजाफा हो गया है. प्रदेश भर से करीब 500 से ज्यादा शिकायतें रोजाना हेल्पलाइन पर आ रहीं हैं.

परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह का कहना है कि लोगों को सुविधा देने के लिए हम ज्यादा से ज्यादा सेवाएं ऑनलाइन कर रहे हैं. जो दिक्कतें हो रही हैं, उन्हें दूर करने का प्रयास किया जा रहा है.

यह भी पढ़ें - 'परिवहन हेल्पर' पर बिना टेस्ट के जारी हो रहे DL, इस फर्जी एप से रहें सावधान, नहीं तो हो सकता है बड़ा नुकसान - TRANSPORT DEPARTMENT

लखनऊ: लर्निंग लाइसेंस की गड़बड़ियों की शिकायतें अब ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट हेडक्वार्टर तक पहुंचने लगी हैं. अब इस मामले में रिपोर्ट तलब की गई है. शिकायत में दावा किया गया है कि अपात्रों के ड्राइविंग लाइसेंस बन रहे हैं. इसकी वजह से सड़क दुर्घटनाएं भी बढ़ गई हैं. अपात्रों के लाइसेंस बनने में ऑनलाइन सेवाओं की बड़ी भूमिका है. परिवहन आयुक्त कार्यालय ने इस संबंध में शिकायतकर्ता से अपात्रों के लाइसेंस बनने के प्रूफ और सड़क हादसों की बढ़ोतरी का ब्यौरा मांगा है.

लर्निंग लाइसेंस की खामियों को न्यायालय में चुनौती देने वाले सामाजिक कार्यकर्ता कर्मवीर आजाद ने यह शिकायत की थी कि अपात्रों के लाइसेंस बनने से सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी हो रही है. इस संबंध में उन्होंने साक्ष्य के लिए एक वीडियो भी प्रस्तुत किया, जिसमें लर्निंग लाइसेंस कैसे बन रहा है. ऑन रिकॉर्ड कैमरे के सामने आवेदक बैठा है और उसकी परीक्षा कोई दूसरा दे रहा है. कुछ ही मिनट में यह लाइसेंस भी बन गया है.

कर्मवीर आजाद ने एनआईसी और परिवहन विभाग के अधिकारियों से इस संबंध में शिकायत की थी. इसके बाद वरिष्ठ प्रशासन अधिकारी पूनम मिश्रा की ओर से उनसे साक्ष्य मांगे गए हैं. यह भी कहा गया है कि बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं का ब्यौरा भी सौंपा जाए. इसके बाद कर्मवीर आजाद ने साक्ष्यों को इकट्ठा करना प्रारंभ कर दिया है.

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यूपी सड़क हादसों में नंबर वन : 2018 से 2022 तक सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों का डेटा सामने आया है. इन पांच सालों में देश में करीब 7.77 लाख मौतें हुई हैं. रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे मिनिस्ट्री की ‘रोड एक्सीडेंट इन इंडिया 2022’ रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा 13.4 फीसदी मौतें उत्तर प्रदेश में हुई हैं. इसके बाद तमिलनाडु और महाराष्ट्र का दूसरा और तीसरा स्थान है. रिपोर्ट्स के मुताबिक उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, पंजाब, असम और तेलंगाना 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 2022 के मुकाबले 2023 में सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है.


दिक्कतों का तैयार हो रहा डेटा : लर्निंग लाइसेंस संबंधी समस्याओं का एक डाटा ट्रांसपोर्टनगर स्थित आरटीओ कार्यालय में भी तैयार किया जा रहा है. इसमें परेशानी लेकर आने वाले आवेदक अपने आवेदन नंबर और मोबाइल नंबर के साथ ही समस्या को एक रजिस्टर पर नोट कर रहे हैं. आवेदकों की इन विभिन्न दिक्कतों को मुख्यालय को भेजने की तैयारी है.

फेस ऑथेंटिकेशन में बड़ी परेशानी : आरटीओ कार्यालय में रोजाना सात से आठ आवेदक लर्निंग लाइसेंस संबंधी समस्या लेकर आ रहे हैं. इसमें सबसे ज्यादा परेशानी फेस ऑथेंटिकेशन को लेकर हो रही है. पिछले चार दिनों से इन दिक्कतों में और भी इजाफा हो गया है. प्रदेश भर से करीब 500 से ज्यादा शिकायतें रोजाना हेल्पलाइन पर आ रहीं हैं.

परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह का कहना है कि लोगों को सुविधा देने के लिए हम ज्यादा से ज्यादा सेवाएं ऑनलाइन कर रहे हैं. जो दिक्कतें हो रही हैं, उन्हें दूर करने का प्रयास किया जा रहा है.

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