शिमला: हिमाचल में राजस्व विभाग से संबंधित ऑनलाइन सेवाएं न मिलने से परेशान लोगों के लिए राहत भरी खबर है. अतिरिक्त मुख्य सचिव राजस्व ओंकार शर्मा से मांगों पर सहानुभूति पूर्वक समाधान करने का आश्वासन मिलने के बाद संयुक्त ग्रामीण राजस्व अधिकारी एवं कानूनगो महासंघ ने सरकार के साथ चल रहे अपने विरोध को दो महीने तक टालने का निर्णय लिया है. ऐसे में प्रदेश भर में आज से पटवारी और कानूनगो पहले की तरह ऑनलाइन सेवाएं देनी शुरू कर देंगे. इसके साथ पटवारखानों के अतिरिक्त कार्यभार को लेकर उच्चाधिकारियों को सौंपी गई चाबियां भी वापस लेकर भी सेवाएं आरंभ की जाएगी.
शिमला में बीते दिन मंगलवार को संयुक्त ग्रामीण राजस्व अधिकारी एवं कानूनगो महासंघ के पदाधिकारी प्रदेशाध्यक्ष सतीश चौधरी की अध्यक्षता में अतिरिक्त मुख्य सचिव राजस्व ओंकार शर्मा से प्रदेश सचिवालय में मिले थे. इस दौरान महासंघ ने ACS के समक्ष कुल 8 मांगे रखी हैं. जिसके समाधान के लिए सरकार को 2 महीने का वक्त दिया गया है.
ये है पटवारियों और कानूनगो की 8 मांगे: संयुक्त ग्रामीण राजस्व अधिकारी एवं कानूनगो महासंघ ने अतिरिक्त मुख्य सचिव राजस्व के समक्ष अपनी आठ मांगे रखी है. इसमें सबसे पहली मांग कानूनगो का नायब तहसीलदारी कोटा 60 से बढ़ाकर 80 फीसदी किया जाना है. इसी तरह से महासंघ ने कानूनगो एवं नायब तहसीलदार के भर्ती एवं पदोन्नति के नियमों में संशोधन करने और विभागीय परीक्षा तर्कसंगत बनाने की मांग रखी है. वहीं, चार पटवार वृत्त पर एक कानूनगो वृत गठित करने और लैंड रिकार्ड मैनुअल के आधार पर पटवार वृत सृजित करने का भी मामला उठाया है.
महासंघ ने भू-व्यवस्था के कानूनगो की पदोन्नति बतौर नायब तहसीलदार भू-व्यवस्था में ही करने और भू-व्यवस्था विभाग में कैडर स्ट्रेंथ के आधार पर पदोन्नति अनुपात निर्धारित करने की भी डिमांड रखी है. इसके अतिरिक्त प्रदेश के सभी पटवारखानों व कानूनगो भवन को रहने, कार्य करने, मूलभूत सुविधाओं सहित कंप्यूटर-प्रिंटर-हाई स्पीड इंटरनेट कनेक्शन से जोड़े जाने की मांग को भी प्रमुखता से साथ रखा है.
दोबारा ट्रेनिंग के आदेशों को रद्द करे सरकार: वहीं, महासंघ ने राजस्व विभाग के कानूनगो की एक वर्ष की बंदोबस्त ट्रेनिंग (जो कि पहले से हुई है) को दोबारा करवाने के आदेशों को रद्द करवाने की मांग की है. महासंघ का तर्क है कि बंदोबस्त की ट्रेनिंग को करने और बंदोबस्त की परीक्षा पास करने के बाद ही ये कर्मचारी विभाग में नियुक्त हुए थे, लेकिन अब सरकार की ओर से पदोन्नत कानूनगो को दोबारा बंदोबस्त की ट्रेनिंग के लिए भेजा जा रहा है. ऐसे में प्रदेश में लंबित विभाजन (तकसीम) व निशानदेही केसों, अन्य राजस्व कार्यों एवं कानूनगो के रिक्त पदों को मद्देनजर रखते हुए इस बंदोबस्त की ट्रेनिंग को तुरंत प्रभाव से रोककर समस्त कानूनगो को अपने मूल पद पर आने के आदेश जारी करने की डिमांड रखी गई है.
वहीं, प्रदेश में रिक्त पड़े कानूनगो के पदों को भरने के लिए सेवानिवृत्त कानूनगो को पुनर्नियुक्ति देने के बजाए योग्य पटवारियों को एकमुश्त छूट दिए जाने की भी सरकार से मांग की गई है. इसके अतिरिक्त महासंघ ने पटवारी एवं कानूनगो की वेतन विसंगतियों को दूर करने और पटवारी एवं कानूनगो के वेतन व भत्तों में वृद्धि करने का भी सरकार से मामला उठाया है.
संयुक्त ग्रामीण राजस्व अधिकारी एवं कानूनगो महासंघ के अध्यक्ष सतीश चौधरी ने कहा, "अतिरिक्त मुख्य सचिव के समक्ष मांगों को रखा गया है, जिस पर अतिरिक्त मुख्य सचिव ने मांगों पर सहानुभूति पूर्वक समाधान करने का आश्वासन दिया है. जिसके बाद महासंघ ने मांगों के लेकर किए जा रहे विरोध को दो महीने के लिए स्थगित कर दिया है. आज से पहले की तरह लोगों को ऑनलाइन सेवाओं की सुविधा दी जाएगी".
उन्होंने कहा कि महासंघ ने विरोध के दौरान भी सरकार को पूर्ण सहयोग दिया गया है. जब इन मांगों को नहीं माना जाता है. सरकार राज्य कैडर राज्य स्तरीय तबादला नीति बारे कोई भी अधिसूचना जारी न करे. उन्होंने कहा कि सरकार ने अगर महासंघ की मांगों को अनदेखा करके राज्य कैडर या राज्य स्तरीय तबादला नीति बारे कोई भी अधिसूचना जारी की तो महासंघ तत्काल प्रभाव से कलम छोड़ो आंदोलन करने पर विवश होगा.
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