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आईआईटी जोधपुर का नवाचार: एआई और डाटा साइंस में ऑनलाइन BSc-BS, 12वीं पास को बिना जेईई के मिलेगा एडमिशन - BSC And BS without JEE in IIT

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 3 hours ago

आईआईटी जोधपुर अब नई शिक्षा नीति के तहत बिना जेईई के भी एआई और डाटा साइंस में ऑनलाइन बीएससी/बीएस कोर्स में एडमिशन देगा.

Online BSc and BS in Applied AI and Data Science
बीएससी बीएस कोर्स में एडमिशन (ETV Bharat Jodhpur)

जोधपुर: आईआईटी जोधपुर नई शिक्षा नीति के तहत लगातार नए पाठ्यक्रम जारी कर नवाचार कर रही है. स्टूडेंट्स के साथ प्रोफेशनल्स के लिए आईआईटी ने नए प्रोग्राम जारी किए गए हैं. इनमें फ्यूचरेंस टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी की साझेदारी में एप्लाइड एआई व डेटा साइंस में ऑनलाइन बीएससी/बीएस कोर्स लॉन्च किया है. इसी तरह से ग्रीन जॉब को बढ़ावा देने के लिए एग्जीक्यूटिव सर्टिफिकेट प्रोग्राम इन क्लाइमेट चेंज एंड सस्टेनेबिलिटी में प्रवेश के लिए आवेदन मांगे हैं. इस कार्यक्रम के जरिए क्लाइमेट चेंज प्रोफेशनल्स तैयार होंगे, जो कम्पनियों में पर्यावरण के अनुकूल नीति निर्धारण करने और कार्यक्रम लागू करने में मदद करेंगे.

बिना जेईई के प्रवेश, 8 सेमेस्टर होंगे: नई शिक्षा नीति के तहत बीएससी/बीएस के नए कोर्स में जेईई की योग्यता के बिना ही एडमिशन दिया जाएगा. आईआईटी जोधपुर ने आधिकारिक वेबसाइट पर बीएससी/बीएस में एडमिशन का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. इसके लिए क्वालिफाइंग टेस्ट होगा. बीएससी/बीएस कोर्स को विशेष तौर पर सुदूर स्थानों के स्टूडेंट्स के साथ ही वर्किंग प्रोफेशनल्स के लिए डिजाइन किया गया है. नई शिक्षा नीति के तहत बीएससी/बीएस के कोर्स में स्टेकेबल डिग्री मॉडल अपनाया गया है. कोर्स को 4 साल में 8 सेमेस्टर में बांटा गया है. इसमें पहले साल के बाद सर्टिफिकेट, दूसरे साल के बाद डिप्लोमा, तीसरे साल के बाद बीएससी डिग्री और चौथे साल के बाद में बीएस की डिग्री दी जाएगी.

पढ़ें: VMOU में ड्यूल डिग्री कोर्स जुलाई से होंगे शुरू, ये है तरीका और नियम-शर्तें

दो डिग्री भी कर सकते हैं एक साथ: बीएस कोर्स में प्रवेश के लिए न्यूनतम योग्यता 12वीं कक्षा मैथमेटिक्स विषय के साथ 60 प्रतिशत से उत्तीर्ण होना जरूरी है. कोर्स में वर्किंग प्रोफेशनल्स के साथ ड्यूल डिग्री के लिए भी स्टूडेंट प्रवेश ले सकेंगे. इसमें एक रेगुलर डिग्री के साथ बीएससी/बीएस में प्रवेश लिया जा सकेगा. इसमें मल्टी लैंग्वेज में टीचिंग का मॉडल भी डवलप किया गया है. आवेदन शुल्क एक हजार रुपए रखा गया है. वहीं फीस प्रति वर्ष 99 हजार रुपए है. क्वालिफाइंग टेस्ट से एडमिशन दिया जाएगा.

पढ़ें: विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ ड्यूल डिग्री प्रोग्राम को यूजीसी की स्वीकृति

हाइब्रिड मोड पर वीकेंड पर लगेगी कक्षाएं: एग्जीक्यूटिव सर्टिफिकेट प्रोग्राम इन क्लाइमेट चेंज एंड सस्टेनेबिलिटी में प्रोफेशनल्स को ही प्रवेश मिलेगा. नियोक्ता का 'नो आब्जेक्शन' सर्टिफिकेट भी देना होगा. इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी, आर्किटेक्चर, प्लानिंग में 4 वर्षीय डिग्री अथवा प्राकृतिक विज्ञान या सामाजिक विज्ञान में दो वर्षीय मास्टर डिग्री के साथ 3 साल का फील्ड अनुभव भी होना चाहिए. कक्षाएं हाइब्रिड मोड पर लगेंगी. हर शुक्रवार, शनिवार और रविवार देर शाम कक्षाएं आयोजित होंगी, जिसमें आईआईटी जोधपुर की फैकल्टी के अलावा इण्डस्ट्री के प्रोफेशनल्स पढ़ाएंगे.

पढ़ें: JIC रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा, 28 फीसदी अंक पर IIT में मिला दाखिला, एजुकेशन एक्सपर्ट ने कही ये बात

क्लाइमेट चेंज प्रोफेशनल्स की जरूरत इसलिए: 38 देशों के आर्थिक सहयोग और विकास संगठन की मार्च 24 की रिपोर्ट के अनुसार ग्रीन स्किल में कमी के कारण सस्टेनेबल डवलपमेंट की नौकरियों में बढ़ोतरी नहीं हो रही है. इससे 2050 तक नेट जीरो के लक्ष्य को हासिल कर पाना मुश्किल होगा. जबकि इस फील्ड में 20 प्रतिशत साल-दर-साल की गति से ग्रीन जॉब के अवसर बढ़ रहे हैं. 19 प्रतिशत सबसे अधिक वैकेंसी ईएसजी (एनावायरमेंटल, सोशल व गवर्नेंस) विश्लेषक की है. दुनिया में 2019 से 2022 के दौरान ईएसजी विश्लेषक की डिमाण्ड 468% बढ़ी.

जोधपुर: आईआईटी जोधपुर नई शिक्षा नीति के तहत लगातार नए पाठ्यक्रम जारी कर नवाचार कर रही है. स्टूडेंट्स के साथ प्रोफेशनल्स के लिए आईआईटी ने नए प्रोग्राम जारी किए गए हैं. इनमें फ्यूचरेंस टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी की साझेदारी में एप्लाइड एआई व डेटा साइंस में ऑनलाइन बीएससी/बीएस कोर्स लॉन्च किया है. इसी तरह से ग्रीन जॉब को बढ़ावा देने के लिए एग्जीक्यूटिव सर्टिफिकेट प्रोग्राम इन क्लाइमेट चेंज एंड सस्टेनेबिलिटी में प्रवेश के लिए आवेदन मांगे हैं. इस कार्यक्रम के जरिए क्लाइमेट चेंज प्रोफेशनल्स तैयार होंगे, जो कम्पनियों में पर्यावरण के अनुकूल नीति निर्धारण करने और कार्यक्रम लागू करने में मदद करेंगे.

बिना जेईई के प्रवेश, 8 सेमेस्टर होंगे: नई शिक्षा नीति के तहत बीएससी/बीएस के नए कोर्स में जेईई की योग्यता के बिना ही एडमिशन दिया जाएगा. आईआईटी जोधपुर ने आधिकारिक वेबसाइट पर बीएससी/बीएस में एडमिशन का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. इसके लिए क्वालिफाइंग टेस्ट होगा. बीएससी/बीएस कोर्स को विशेष तौर पर सुदूर स्थानों के स्टूडेंट्स के साथ ही वर्किंग प्रोफेशनल्स के लिए डिजाइन किया गया है. नई शिक्षा नीति के तहत बीएससी/बीएस के कोर्स में स्टेकेबल डिग्री मॉडल अपनाया गया है. कोर्स को 4 साल में 8 सेमेस्टर में बांटा गया है. इसमें पहले साल के बाद सर्टिफिकेट, दूसरे साल के बाद डिप्लोमा, तीसरे साल के बाद बीएससी डिग्री और चौथे साल के बाद में बीएस की डिग्री दी जाएगी.

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दो डिग्री भी कर सकते हैं एक साथ: बीएस कोर्स में प्रवेश के लिए न्यूनतम योग्यता 12वीं कक्षा मैथमेटिक्स विषय के साथ 60 प्रतिशत से उत्तीर्ण होना जरूरी है. कोर्स में वर्किंग प्रोफेशनल्स के साथ ड्यूल डिग्री के लिए भी स्टूडेंट प्रवेश ले सकेंगे. इसमें एक रेगुलर डिग्री के साथ बीएससी/बीएस में प्रवेश लिया जा सकेगा. इसमें मल्टी लैंग्वेज में टीचिंग का मॉडल भी डवलप किया गया है. आवेदन शुल्क एक हजार रुपए रखा गया है. वहीं फीस प्रति वर्ष 99 हजार रुपए है. क्वालिफाइंग टेस्ट से एडमिशन दिया जाएगा.

पढ़ें: विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ ड्यूल डिग्री प्रोग्राम को यूजीसी की स्वीकृति

हाइब्रिड मोड पर वीकेंड पर लगेगी कक्षाएं: एग्जीक्यूटिव सर्टिफिकेट प्रोग्राम इन क्लाइमेट चेंज एंड सस्टेनेबिलिटी में प्रोफेशनल्स को ही प्रवेश मिलेगा. नियोक्ता का 'नो आब्जेक्शन' सर्टिफिकेट भी देना होगा. इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी, आर्किटेक्चर, प्लानिंग में 4 वर्षीय डिग्री अथवा प्राकृतिक विज्ञान या सामाजिक विज्ञान में दो वर्षीय मास्टर डिग्री के साथ 3 साल का फील्ड अनुभव भी होना चाहिए. कक्षाएं हाइब्रिड मोड पर लगेंगी. हर शुक्रवार, शनिवार और रविवार देर शाम कक्षाएं आयोजित होंगी, जिसमें आईआईटी जोधपुर की फैकल्टी के अलावा इण्डस्ट्री के प्रोफेशनल्स पढ़ाएंगे.

पढ़ें: JIC रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा, 28 फीसदी अंक पर IIT में मिला दाखिला, एजुकेशन एक्सपर्ट ने कही ये बात

क्लाइमेट चेंज प्रोफेशनल्स की जरूरत इसलिए: 38 देशों के आर्थिक सहयोग और विकास संगठन की मार्च 24 की रिपोर्ट के अनुसार ग्रीन स्किल में कमी के कारण सस्टेनेबल डवलपमेंट की नौकरियों में बढ़ोतरी नहीं हो रही है. इससे 2050 तक नेट जीरो के लक्ष्य को हासिल कर पाना मुश्किल होगा. जबकि इस फील्ड में 20 प्रतिशत साल-दर-साल की गति से ग्रीन जॉब के अवसर बढ़ रहे हैं. 19 प्रतिशत सबसे अधिक वैकेंसी ईएसजी (एनावायरमेंटल, सोशल व गवर्नेंस) विश्लेषक की है. दुनिया में 2019 से 2022 के दौरान ईएसजी विश्लेषक की डिमाण्ड 468% बढ़ी.

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