नई दिल्ली: वन नेशन, वन इलेक्शन बिल को लोकसभा से स्वीकृति मिलने के बाद शुक्रवार इससे संबंधित दो विधेयक को जेपीसी (संसद की संयुक्त समिति) को भेजने की मंजूरी दे दी गई. जेपीसी में लोकसभा से 27 तो राज्यसभा से 12 सदस्य शामिल किए गए हैं. कुल 39 सदस्यों वाली इस समिति में दिल्ली के भी दो सांसद शामिल हैं. नई दिल्ली लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद बांसुरी स्वराज को इस समिति में जगह मिली है. तो दूसरी तरफ राज्यसभा से आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को भी इस समिति में शामिल किया गया है.
बीजेपी सांसद बांसुरी स्वराज ने समिति का सदस्य बनने पर खुशी जताई. उन्होंने कहा कि वह अपना पक्ष इसके समर्थन में मजबूती से रखेंगी. वहीं, दूसरी तरफ इस विधेयक का शुरुआत से विरोध कर रहे आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा कि वह इस विधेयक का पहले भी विरोध करते आ रहे थे, और अब भी करेंगे. वह अपना पक्ष जेपीसी की होने वाली मीटिंग में रखेंगे.
12 Rajya Sabha MPs Ghanshyam Tiwari, Bhubaneswar Kalita, K. Laxman, Kavita Patidar, Sanjay Kumar Jha, Randeep Singh Surjewala, Mukul Balkrishna Wasnik, Saket Gokhale, P. Wilson, Sanjay Singh, Manas Ranjan Mangaraj and V. Vijayasai Reddy to be part of the Joint Parliamentary…
— ANI (@ANI) December 20, 2024
सांसद संजय सिंह की कड़ी प्रतिक्रिया: तीन दिन पहले वन नेशन, वन इलेक्शन बिल लोकसभा में पास हुआ था. राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने इस पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मोदी सरकार वन नेशन-वन इलेक्शन के जरिए संविधान और लोकतंत्र को खत्म कर देश में तानाशाही थोपना चाहती है. इसके लागू होने के बाद देश में बेतहाशा महंगाई बढ़ेगी, कई राज्यों में चुनाव नहीं होंगे और खरीद फरोख्त बढ़ेगी, क्योंकि केंद्र सरकार को किसी का कोई डर नहीं होगा.
वहीं, देश में अलग-अलग चुनाव होने से पार्टियों को डर होता है और वो महंगाई कम करने समेत जनता के हित में कई फैसले लेती हैं, लेकिन अगर वन नेशन वन इलेक्शन लागू हो जाता है तो केंद्र की सत्ता में बैठी पार्टी का यह डर खत्म हो जाएगा. उन्होंने कहा कि बीजेपी का अलग-अलग चुनाव होने से राज्यों का काम बाधित होने का तर्क भी बेतुका है, क्योंकि जिस राज्य में चुनाव होता है, उसी में आचार संहिता लगती है.
जेपीसी में बीजेपी विधायकों की संख्या ज्यादा: बता दें, विधायकों को जेपीसी में भेजने के बाद अब जेपीसी की टीम सभी दलों के साथ बैठक कर चर्चा करेगी और उनके सुझाव लेगी. प्रस्ताव पर सामूहिक सहमति की कोशिश की जाएगी, उसके बाद अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी और यह रिपोर्ट लोकसभा स्पीकर को सौंप जाएगी. सदन में बीजेपी की संख्या ज्यादा है इसलिए संख्या बल के आधार पर बीजेपी सदस्यों को जेपीसी में ज्यादा जगह मिली है. जेपीसी में अलग-अलग सदस्य अपनी राय देंगे और वह रिपोर्ट काफी मायने रखेगी. इसके आधार पर ही इस विधेयक का भविष्य आगे तय होगा.
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