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ERCP की तर्ज पर पश्चिमी राजस्थान में WRCP की जोर पकड़ने लगी मांग, ओसियां से विधायक भैराराम ने लिखा सीएम को खत - Demand for WRCP

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 19, 2024, 9:57 AM IST

मारवाड़ के किसानों को सिंचाई के लिए नहरी पानी उपलब्ध कराने के लिए ईआरसीपी की तर्ज पर डब्ल्यूआरसीपी लाने की मांग ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया. ओसियां से भाजपा विधायक भैराराम चौधरी ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिख कर ये मांग उठाई है.

ओसियां से विधायक भैराराम ने लिखा सीएम को खत
ओसियां से विधायक भैराराम ने लिखा सीएम को खत (फोटो ईटीवी भारत जयपुर)
पूर्वी राजस्थान की ERCP की तर्ज पर पश्चिमी राजस्थान में WRCP की जोर पकड़ने लगी मांग (वीडियो ईटीवी भारत जयपुर)

जयपुर. पूर्वी राजस्थान की ERCP की तर्ज पर अब पश्चिमी राजस्थान में भी WRCP की मांग तेज हो गई है. ओसियां से भाजपा के विधायक भैराराम चौधरी ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर सरकार का ध्यान आकर्षित किया है. उन्होंने पत्र के जरिये पश्चिमी राजस्थान के किसानों के उन्नयन के लिए नहरी पानी लाने की लंबित मांग को उठाते हुए डीपीआर बनाने के लिए सीएम से निर्देश की बात रखी है. उन्होंने कहा कि पश्चिमी राजस्थान में मारवाड़ के जिलों में किसानों की फसलों को सिंचाई के लिए नहरी पानी उपलब्ध कराने के लिए ईआरसीपी की तर्ज पर डब्ल्यूआरसीपी लाने की महती आवश्यकता है.

ये लिखा पत्र : विधायक भैराराम ने कहा कि प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के बाद बहुत ही कम समय में पूर्वी राजस्थान के किसानों को सिंचाई का पानी उपलब्ध कराने के लिए ईआरसीपी लाने का फैसला सराहनीय है. लेकिन इसी तरह की आवश्यकता पश्चिमी राजस्थान में मारवाड़ के जिलों जिसमे जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर, पाली, नागौर इत्यादि में महसूस की जा रही. उन्होंने कहा कि गिरते भू-जल स्तर के कारण सिंचाई के लिए एकमात्र नहरी पानी ही विकल्प बचा है. मारवाड़ की उपजाऊ जमीन उत्पादन की दृष्टि से बहुत ही उपयोगी है. इस क्षेत्र की कृषि सिंचाई भू-जल व बारिश पर आधारित है. लगातार गिरते भू-जल स्तर के कारण सिंचाई के लिए पानी की अनुपलब्धता के कारण इस क्षेत्र का उत्पादन रकबा बुआई क्षेत्र लगातार घटता जा रहा है, जिससे कृषि उपज की पैदावार भी कम हो रही है. मांग के अनुरूप आवक और उत्पादन घटने से उपज की आपूर्ति भी प्रभावित होती है, जिससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ता है.

पढ़ें: मंत्री अविनाश गहलोत के बयान पर विपक्ष ने जताया एतराज, बॉयकॉट करने की दी चेतावनी, माइक बंद करने का भी लगाया आरोप

पलायन को मजबूर लोग : भैराराम ने कहा कि मारवाड़ के लोगों को रोजगार के लिए मजबूर होकर देश के अन्य क्षेत्रों में पलायन करना पड़ रहा है, जो हम सभी के लिए बेहद ही चिन्ताजनक है. मारवाड़ के किसानों के सामाजिक और आर्थिक स्तर को ऊंचा उठाने तथा आजीविका चलाने के लिए स्थायी रोजगार उपलब्ध कराने की दृष्टि से किसानों की फसलों को सिंचाई हेतु नहरी पानी उपलब्ध करवाया जाना जनहित में अत्यंत आवश्यक है. राजस्थान प्रदेश के पड़ोसी राज्य पंजाब स्थित सतलुज, रावी एवं व्यास नदियों का पानी हरी के बैराज में आकर मिलता है, इसके बाद ही पंजाब, राजस्थान तथा हरियाणा राज्यों के क्षेत्रो मे सिंचाई के काम में लिया जाता है. अत्यधिक बारिश के दिनों में इन नदियों के पानी को पाकिस्तान की तरफ डायवर्ट भी किया जाता है, अत्यधिक वर्षा के दौरान घग्घर नदी का पानी भी पाकिस्तान क्षेत्र की तरफ डायवर्ट किया जाता है. ज्यादा वर्षा की स्थिति में यह पानी को पाकिस्तान जाने से रोककर पश्चिमी राजस्थान की तरफ डायवर्ट भी किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि मारवाड़वासियों के उन्नयन तथा किसानों को आत्मनिर्भर व स्वावलम्बी बनाने के लिए डब्ल्यूआरसीपी का ऐतिहासिक कदम रेगिस्तान क्षेत्र के लिए मील का पत्थर साबित होगा.

पूर्वी राजस्थान की ERCP की तर्ज पर पश्चिमी राजस्थान में WRCP की जोर पकड़ने लगी मांग (वीडियो ईटीवी भारत जयपुर)

जयपुर. पूर्वी राजस्थान की ERCP की तर्ज पर अब पश्चिमी राजस्थान में भी WRCP की मांग तेज हो गई है. ओसियां से भाजपा के विधायक भैराराम चौधरी ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर सरकार का ध्यान आकर्षित किया है. उन्होंने पत्र के जरिये पश्चिमी राजस्थान के किसानों के उन्नयन के लिए नहरी पानी लाने की लंबित मांग को उठाते हुए डीपीआर बनाने के लिए सीएम से निर्देश की बात रखी है. उन्होंने कहा कि पश्चिमी राजस्थान में मारवाड़ के जिलों में किसानों की फसलों को सिंचाई के लिए नहरी पानी उपलब्ध कराने के लिए ईआरसीपी की तर्ज पर डब्ल्यूआरसीपी लाने की महती आवश्यकता है.

ये लिखा पत्र : विधायक भैराराम ने कहा कि प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के बाद बहुत ही कम समय में पूर्वी राजस्थान के किसानों को सिंचाई का पानी उपलब्ध कराने के लिए ईआरसीपी लाने का फैसला सराहनीय है. लेकिन इसी तरह की आवश्यकता पश्चिमी राजस्थान में मारवाड़ के जिलों जिसमे जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर, पाली, नागौर इत्यादि में महसूस की जा रही. उन्होंने कहा कि गिरते भू-जल स्तर के कारण सिंचाई के लिए एकमात्र नहरी पानी ही विकल्प बचा है. मारवाड़ की उपजाऊ जमीन उत्पादन की दृष्टि से बहुत ही उपयोगी है. इस क्षेत्र की कृषि सिंचाई भू-जल व बारिश पर आधारित है. लगातार गिरते भू-जल स्तर के कारण सिंचाई के लिए पानी की अनुपलब्धता के कारण इस क्षेत्र का उत्पादन रकबा बुआई क्षेत्र लगातार घटता जा रहा है, जिससे कृषि उपज की पैदावार भी कम हो रही है. मांग के अनुरूप आवक और उत्पादन घटने से उपज की आपूर्ति भी प्रभावित होती है, जिससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ता है.

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पलायन को मजबूर लोग : भैराराम ने कहा कि मारवाड़ के लोगों को रोजगार के लिए मजबूर होकर देश के अन्य क्षेत्रों में पलायन करना पड़ रहा है, जो हम सभी के लिए बेहद ही चिन्ताजनक है. मारवाड़ के किसानों के सामाजिक और आर्थिक स्तर को ऊंचा उठाने तथा आजीविका चलाने के लिए स्थायी रोजगार उपलब्ध कराने की दृष्टि से किसानों की फसलों को सिंचाई हेतु नहरी पानी उपलब्ध करवाया जाना जनहित में अत्यंत आवश्यक है. राजस्थान प्रदेश के पड़ोसी राज्य पंजाब स्थित सतलुज, रावी एवं व्यास नदियों का पानी हरी के बैराज में आकर मिलता है, इसके बाद ही पंजाब, राजस्थान तथा हरियाणा राज्यों के क्षेत्रो मे सिंचाई के काम में लिया जाता है. अत्यधिक बारिश के दिनों में इन नदियों के पानी को पाकिस्तान की तरफ डायवर्ट भी किया जाता है, अत्यधिक वर्षा के दौरान घग्घर नदी का पानी भी पाकिस्तान क्षेत्र की तरफ डायवर्ट किया जाता है. ज्यादा वर्षा की स्थिति में यह पानी को पाकिस्तान जाने से रोककर पश्चिमी राजस्थान की तरफ डायवर्ट भी किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि मारवाड़वासियों के उन्नयन तथा किसानों को आत्मनिर्भर व स्वावलम्बी बनाने के लिए डब्ल्यूआरसीपी का ऐतिहासिक कदम रेगिस्तान क्षेत्र के लिए मील का पत्थर साबित होगा.

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