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HAU में वैज्ञानिक दिव्या फोगाट की मौत पर बोले दीपेंद्र हुड्डा - सरकार जांच कराये, वीसी पर लगे थे आरोप - DR DIVYA PHOGAT AT HAU

HAU में वैज्ञानिक डॉ. दिव्या फोगाट की मौत पर एक प्रतिनिधि मंडल ने दीपेंद्र हुड्डा से मुलाकात कर जांच कराने की मांग की.

DR DIVYA PHOGAT death case AT HAU
वैज्ञानिक की मौत पर दीपेंद्र हुड्डा का बयान (File photo)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : 2 hours ago

हिसार: हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में डेढ़ माह पहले कार्यरत डॉ. दिव्या फोगाट की मौत हो गई थी. विश्वविद्यालय प्रशासन पर उसे मानसिक प्रताड़ना देने व उत्पीड़न के आरोप लगे थे. अब इस मामले में एक प्रतिनिधिमंडल ने रविवार को सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा से मुलाकात कर डॉक्टर की मौत की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है. प्रतिनिधिमंडल में शामिल लोगों ने कहा कि डॉ. दिव्या फोगाट की मौत के लिए कुलपति जिम्मेदार है.

"सरकार उनकी मौत की जांच करायें" : प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि 6 साल से HAU में शिक्षक के तौर पर काम कर रही गोल्ड मेडलिस्ट रही डॉ. दिव्या बेहतरीन शिक्षक व शोधकर्ता थी. उन्होंने गेहूं की पांच किस्म ईजाद करने में यहां महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. लेकिन बार-बार उनको 'कारण बताओ नोटिस' जारी कर उनका रिकार्ड खराब किया गया. डॉ. दिव्या फोगाट को अत्यधिक मानसिक तनाव दिया गया, जिससे उसकी मौत हो गई. इस पर सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने सरकार से मांग की है कि युवा वैज्ञानिक डॉ. दिव्या फोगाट की मौत की उच्चस्तरीय निष्पक्ष जांच कराकर उन्हें न्याय दिलाया जाए.

वीसी पर सांसद ने लगाये ये आरोप : इस संबंध में हिसार सांसद जयप्रकाश ने कहा कि डॉ. दिव्या विद्वान और होनहार वैज्ञानिक थीं, लेकिन HAU वीसी को यहां के छात्रों और वैज्ञानिकों के हितों से कोई मतलब नहीं है. उन्हें तो अपने आकाओं को खुश करना है. पिछले 11 वर्षों के बीजेपी राज में HAU यूनिवर्सिटी भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुकी है. उनके संज्ञान में डॉ. दिव्या की मौत का मामला आया है. वे कृषि मंत्रालय से बातचीत करेंगे. साथ ही इस मामले को हर मंच पर उठायेंगे.

शोध के लिए मैक्सिको और बांग्लादेश नहीं जाने दिया गया : प्रतिनिधि मण्डल में शामिल लोगों ने बताया कि डॉ. दिव्या को शोध के लिए मैक्सिको जाना था, जिसके लिए DG-ICAR द्वारा देश के अलग-अलग हिस्से से 10 वैज्ञानिकों को उनकी काबिलियत के अनुसार चुना गया. इसमें डॉ. दिव्या फोगाट का भी नाम भी प्रस्तावित था, लेकिन CCSHAU प्रशासन ने युवा व काबिल साइंटिस्ट को DG ICAR के फैसले के बाद भी इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में नही जाने दिया. इतना ही नहीं, उन्हें शोध के लिए बांग्लादेश भी नहीं जाने दिया गया. सेक्शन हेड ने बार-बार डॉ. दिव्या फोगाट को कारण बताओ नोटिस भेजकर मानसिक रूप से इतना प्रताड़ित कर दिया कि तनाव के कारण उन्हें PGI रोहतक में एडमिट होना पड़ा जिसके बाद मैक्स अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. हालांकि इन सभी आरोपों में कितनी सच्चाई है, ये सिर्फ जांच के बाद ही साफ हो सकता है.

इसे भी पढ़ें : हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय और न्यूजीलैंड का मैसी विवि संयुक्त रूप से करेंगे शैक्षणिक कार्य

हिसार: हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में डेढ़ माह पहले कार्यरत डॉ. दिव्या फोगाट की मौत हो गई थी. विश्वविद्यालय प्रशासन पर उसे मानसिक प्रताड़ना देने व उत्पीड़न के आरोप लगे थे. अब इस मामले में एक प्रतिनिधिमंडल ने रविवार को सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा से मुलाकात कर डॉक्टर की मौत की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है. प्रतिनिधिमंडल में शामिल लोगों ने कहा कि डॉ. दिव्या फोगाट की मौत के लिए कुलपति जिम्मेदार है.

"सरकार उनकी मौत की जांच करायें" : प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि 6 साल से HAU में शिक्षक के तौर पर काम कर रही गोल्ड मेडलिस्ट रही डॉ. दिव्या बेहतरीन शिक्षक व शोधकर्ता थी. उन्होंने गेहूं की पांच किस्म ईजाद करने में यहां महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. लेकिन बार-बार उनको 'कारण बताओ नोटिस' जारी कर उनका रिकार्ड खराब किया गया. डॉ. दिव्या फोगाट को अत्यधिक मानसिक तनाव दिया गया, जिससे उसकी मौत हो गई. इस पर सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने सरकार से मांग की है कि युवा वैज्ञानिक डॉ. दिव्या फोगाट की मौत की उच्चस्तरीय निष्पक्ष जांच कराकर उन्हें न्याय दिलाया जाए.

वीसी पर सांसद ने लगाये ये आरोप : इस संबंध में हिसार सांसद जयप्रकाश ने कहा कि डॉ. दिव्या विद्वान और होनहार वैज्ञानिक थीं, लेकिन HAU वीसी को यहां के छात्रों और वैज्ञानिकों के हितों से कोई मतलब नहीं है. उन्हें तो अपने आकाओं को खुश करना है. पिछले 11 वर्षों के बीजेपी राज में HAU यूनिवर्सिटी भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुकी है. उनके संज्ञान में डॉ. दिव्या की मौत का मामला आया है. वे कृषि मंत्रालय से बातचीत करेंगे. साथ ही इस मामले को हर मंच पर उठायेंगे.

शोध के लिए मैक्सिको और बांग्लादेश नहीं जाने दिया गया : प्रतिनिधि मण्डल में शामिल लोगों ने बताया कि डॉ. दिव्या को शोध के लिए मैक्सिको जाना था, जिसके लिए DG-ICAR द्वारा देश के अलग-अलग हिस्से से 10 वैज्ञानिकों को उनकी काबिलियत के अनुसार चुना गया. इसमें डॉ. दिव्या फोगाट का भी नाम भी प्रस्तावित था, लेकिन CCSHAU प्रशासन ने युवा व काबिल साइंटिस्ट को DG ICAR के फैसले के बाद भी इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में नही जाने दिया. इतना ही नहीं, उन्हें शोध के लिए बांग्लादेश भी नहीं जाने दिया गया. सेक्शन हेड ने बार-बार डॉ. दिव्या फोगाट को कारण बताओ नोटिस भेजकर मानसिक रूप से इतना प्रताड़ित कर दिया कि तनाव के कारण उन्हें PGI रोहतक में एडमिट होना पड़ा जिसके बाद मैक्स अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. हालांकि इन सभी आरोपों में कितनी सच्चाई है, ये सिर्फ जांच के बाद ही साफ हो सकता है.

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