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राधा की तलाश में गायब हो जाती थी श्री कृष्ण की मूर्ति, जंगल से आती थी बांसुरी की आवाज - JANMASHTAMI 2024 - JANMASHTAMI 2024

JANMASHTAMI 2024: देशभर में आज जन्माष्टमी के दौरान मंदिर में भारी भीड़ देखी जा रही है. मंदिरों में भजन कीर्तन का दौर जारी है. श्री कृष्ण जन्म उत्सव को लेकर भक्तों में खासा उत्साह है. नग्गर के ठावा में स्थित मुरलीधर मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है. इस मंदिर का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है.

ठावा श्रीकृष्ण मंदिर से गायब हो जाती थी मूर्ति
ठावा श्रीकृष्ण मंदिर से गायब हो जाती थी मूर्ति (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Aug 26, 2024, 8:04 PM IST

Updated : Aug 26, 2024, 10:54 PM IST

जन्माष्टमी (ETV Bharat)

कुल्लू: देश भर में जन्माष्टमी का त्योहार धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. कृष्ण मंदिरों में भक्तों का भजन कीर्तन जारी है. सभी कृष्ण मंदिरों में भजन कीर्तन से खूब रौनक भी लगी हुई है. जिला कुल्लू में भी भगवान कृष्ण के जन्म उत्सव को लेकर भक्तों में खासा उत्साह है और यहां सभी मंदिरों में भगवान कृष्ण का जन्मदिन धूमधाम से मनाया जा रहा है, लेकिन जिला कुल्लू की पुरातन राजधानी नग्गर के ठावा में एक ऐसा कृष्ण मंदिर है, जहां पर माता राधा की स्थापना करने के बाद भगवान कृष्ण स्थाई रूप से यहां पर विराजमान हुए थे.

मंदिर में भगवान कृष्ण पहले भी यहां पर मूर्ति रूप में विराजते थे, लेकिन माता राधा की तलाश में ये मूर्ति कई बार मंदिर से गायब हो जाती थी. ऐसे में माता राधा की स्थापना होने के बाद मूर्ति अब स्थाई रूप से मंदिर में ही विराजती है. नग्गर के ठावा में बना भगवान मुरलीधर का ये मंदिर अति प्राचीन है, जिसका निर्माण द्वापर युग में पांडवों ने किया था. ऐसे में यहां पर भी कृष्ण जन्माष्टमी की धूम मची हुई है. मंदिर पुजारी के मुताबिक भगवान मुरलीधर की मूर्ति अचानक ही मंदिर से गायब हो जाती थी और उसके बाद मंदिर के साथ लगते जंगलों में सारा दिन और रात के समय भी बांसुरी की मीठी धुन सुनाई देती थी. ऐसे में राजा जगत सिंह के राज काल के दौरान मिलकर निर्णय लिया गया कि यहां पर भगवान कृष्ण के साथ-साथ राधा की मूर्ति को भी स्थापित किया जाए. माता राधा की मूर्ति स्थापित होने के बाद मूर्ति का लुप्त होना बंद हो गया और यहां पर हर साल कृष्ण जन्माष्टमी के अलावा अन्य त्योहार भी धूमधाम के साथ बनाए जाते हैं.

सैकड़ों साल पुराना पेड़ आज भी हरा-भरा

वही मंदिर के बाहर एक पेड़ भी है जो सैकड़ों साल पुराना बताया जाता है जो आज भी हरा भरा है. मान्यता के अनुसार भगवान कृष्ण के परम भक्त अर्जुन भी यहां पर भगवान कृष्ण की साधना करते थे और वह पेड़ के रूप में यहां पर स्थापित हो गए. ऐसे में भक्तों की भी मान्यता है कि मंदिर के बाहर जो पेड़ है. वह पांडु पुत्र अर्जुन है और उनकी भी भक्तों के द्वारा यहां पर पूजा आराधना की जाती है.

कृष्ण जन्माष्टमी को मंदिर पहुंचे श्रद्धालु भीम सैन शर्मा, महिला श्रद्धालुओं शांता शर्मा, अंतरा शर्मा, कमला शर्मा का कहना है कि 'कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर यहां पर हजारों भक्त पहुंचते हैं और पूरी रात भजन कीर्तन का दौर चलता है. ऐसे में इस साल भी कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. भगवान राम की तरह यहां पर भगवान कृष्ण के प्रति भी भक्तों की काफी श्रद्धा है.'

ये भी पढ़ें: विभिन्न राशि के जातक इस तरह से करें जन्माष्टमी पर श्री कृष्ण की पूजा, बनेंगे सारे काम

जन्माष्टमी (ETV Bharat)

कुल्लू: देश भर में जन्माष्टमी का त्योहार धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. कृष्ण मंदिरों में भक्तों का भजन कीर्तन जारी है. सभी कृष्ण मंदिरों में भजन कीर्तन से खूब रौनक भी लगी हुई है. जिला कुल्लू में भी भगवान कृष्ण के जन्म उत्सव को लेकर भक्तों में खासा उत्साह है और यहां सभी मंदिरों में भगवान कृष्ण का जन्मदिन धूमधाम से मनाया जा रहा है, लेकिन जिला कुल्लू की पुरातन राजधानी नग्गर के ठावा में एक ऐसा कृष्ण मंदिर है, जहां पर माता राधा की स्थापना करने के बाद भगवान कृष्ण स्थाई रूप से यहां पर विराजमान हुए थे.

मंदिर में भगवान कृष्ण पहले भी यहां पर मूर्ति रूप में विराजते थे, लेकिन माता राधा की तलाश में ये मूर्ति कई बार मंदिर से गायब हो जाती थी. ऐसे में माता राधा की स्थापना होने के बाद मूर्ति अब स्थाई रूप से मंदिर में ही विराजती है. नग्गर के ठावा में बना भगवान मुरलीधर का ये मंदिर अति प्राचीन है, जिसका निर्माण द्वापर युग में पांडवों ने किया था. ऐसे में यहां पर भी कृष्ण जन्माष्टमी की धूम मची हुई है. मंदिर पुजारी के मुताबिक भगवान मुरलीधर की मूर्ति अचानक ही मंदिर से गायब हो जाती थी और उसके बाद मंदिर के साथ लगते जंगलों में सारा दिन और रात के समय भी बांसुरी की मीठी धुन सुनाई देती थी. ऐसे में राजा जगत सिंह के राज काल के दौरान मिलकर निर्णय लिया गया कि यहां पर भगवान कृष्ण के साथ-साथ राधा की मूर्ति को भी स्थापित किया जाए. माता राधा की मूर्ति स्थापित होने के बाद मूर्ति का लुप्त होना बंद हो गया और यहां पर हर साल कृष्ण जन्माष्टमी के अलावा अन्य त्योहार भी धूमधाम के साथ बनाए जाते हैं.

सैकड़ों साल पुराना पेड़ आज भी हरा-भरा

वही मंदिर के बाहर एक पेड़ भी है जो सैकड़ों साल पुराना बताया जाता है जो आज भी हरा भरा है. मान्यता के अनुसार भगवान कृष्ण के परम भक्त अर्जुन भी यहां पर भगवान कृष्ण की साधना करते थे और वह पेड़ के रूप में यहां पर स्थापित हो गए. ऐसे में भक्तों की भी मान्यता है कि मंदिर के बाहर जो पेड़ है. वह पांडु पुत्र अर्जुन है और उनकी भी भक्तों के द्वारा यहां पर पूजा आराधना की जाती है.

कृष्ण जन्माष्टमी को मंदिर पहुंचे श्रद्धालु भीम सैन शर्मा, महिला श्रद्धालुओं शांता शर्मा, अंतरा शर्मा, कमला शर्मा का कहना है कि 'कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर यहां पर हजारों भक्त पहुंचते हैं और पूरी रात भजन कीर्तन का दौर चलता है. ऐसे में इस साल भी कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. भगवान राम की तरह यहां पर भगवान कृष्ण के प्रति भी भक्तों की काफी श्रद्धा है.'

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Last Updated : Aug 26, 2024, 10:54 PM IST
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