जबलपुर: मध्य प्रदेश विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारियों ने झूठी रिपोर्ट पेश करके 50-50 लाख के इनाम के साथ ही केंद्र सरकार से 250 करोड़ रुपये का अतिरिक्त अनुदान लिया है. जबकि सच्चाई यह है कि अभी लाखों घरों तक बिजली नहीं पहुंची है. सीएजी रिपोर्ट के हवाले से ये आरोप जबलपुर में नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने लगाया है.
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉक्टर पीजी नाजपांडे और रजत भार्गव ने मध्य प्रदेश विधानसभा में बिजली विभाग द्वारा पेश की गई सीएजी रिपोर्ट की जानकारी के आधार पर बताया "केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना और दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना नाम से योजना चलाई थी इसके तहत हर गांव और हर घर में बिजली कनेक्शन पहुंचना था. इसके लिए केंद्र सरकार से बड़े पैमाने पर पैसा मिला था."
अधिकारियों ने केंद्र सरकार से अतिरिक्त ढ़ाई सौ करोड़ रुपये का अनुदान भी कर लिया हासिल
कहा, "मध्य प्रदेश की मध्य, पूर्व और पश्चिम तीनों कंपनियों ने दावा किया कि उन्होंने मध्य प्रदेश में 100% बिजली कनेक्शन दे दिए हैं और हर घर तक बिजली पहुंचा दी है. नियम के अनुसार 100% काम करने वाले अधिकारियों को 50 लाख रुपये तक का इनाम मिलना था. अधिकारियों ने इस इनाम के साथ ही केंद्र सरकार से अतिरिक्त ढ़ाई सौ करोड़ रुपये का अनुदान भी प्राप्त कर लिया."
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लेकिन यह सब वाहवाही झूठी थी क्योंकि सीएजी ने जब इस मामले की जानकारी ली तो सामने आया कि अधिकारियों ने सही ढंग से सर्वे ही नहीं किए हैं. अभी भी लाखों घरों तक बिजली नहीं पहुंची है. जिन घरों तक बिजली पहुंची ही नहीं है, उन्हें भी रिपोर्ट में कनेक्शनधारी बता दिया गया.
राज्य सरकार से मामले में श्वेत पत्र जारी करने की मांग
इसको लेकर नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने राज्य सरकार से एक श्वेत पत्र जारी करने की मांग की है. उनकी तरफ से कहा गया है कि यदि राज्य सरकार ऐसा नहीं करती तो मार्गदर्शक मंच इस मुद्दे को लेकर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करेगी. गौरतलब है कि नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में ऐसे मामलों में 500 से ज्यादा याचिकाएं लगा चुका है.
अधिकारी कई सवालों के जवाब गलत देते हैं, यह मुद्दा कई बार विधानसभा में उठा है. इस बार कैग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि अधिकारियों ने गलत जानकारी पेश की इसका खामियाजा उन गरीबों को भुगतना पड़ रहा होगा जिनके यहां बिजली तो पहुंची ही नहीं. वे आज भी अपना जीवन अंधेरे में जी रहे हैं. लेकिन कागजों में उनके घर रोशन हैं और अधिकारियों ने इसके लिए माल भी काट लिया.