हरिद्वारः उत्तराखंड की धर्मनगरी हरिद्वार को विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता है. यहां हर महीने लाखों श्रद्धालु मां गंगा के दर्शन और स्नान के जरिए पुण्य कमाने पहुंचते हैं. इसके अलावा श्रद्धालु मन की शांति, मनोकामना पूर्ति, ग्रह-दोषों के प्रभाव से मुक्ति और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए हरिद्वार हरकी पैड़ी पर कई वस्तुओं का दान करते हैं. लेकिन इन्हीं दान धर्म के कारण हरकी पैड़ी पर भिखारियों की तादाद बढ़ती जा रही है. आलम ये है कि अब हरकी पैड़ी स्थल भिखारियों का गढ़ बन गया है.
हरिद्वार में श्रद्धालु अनेक कारणों से दान करते हैं. ज्यादातर श्रद्धालु पुण्य कमाने के लिए भोजन, कपड़े और रुपए का दान करते हैं. इसी दान दक्षिणा के लालच में हरकी पैड़ी क्षेत्र में भिखारियों की संख्या बेतहाशा बढ़ गई है. कई बार दान के रूप में भोजन और दूसरे सामान को पाने के लिए भिखारियों की श्रद्धालुओं के साथ धक्का-मुक्की और छीना झपटी भी हो जाती है.
ऐसा नहीं है कि स्थानीय पुलिस और प्रशासन हरकी पैड़ी से भिखारियों को हटाने की कार्रवाई नहीं करता है. समय-समय पर प्रशासन कार्रवाई करता है. लेकिन भिखारियों को रखने के लिए पर्याप्त व्यवस्था न होने के कारण कार्रवाई बेअसर साबित होती है. जानकारी के मुताबिक, हरिद्वार के रोशनाबाद में बने भिक्षुक गृह की क्षमता महज 100 भिखारियों को रखने की है. जबकि मौजूदा समय में हरिद्वार में भिखारियों की तादाद हजारों में है. यही कारण है कि हरकी पैड़ी को भिखारी मुक्त बनाने का प्रशासन का प्रयास नाकाफी साबित होता है.
हरिद्वार जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल का कहना है कि केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की ओर से धर्मनगरों में जमा भिखारियों के पुनर्वास के लिए नगर निकायों के साथ मिलकर कवायद शुरू की गई है. हरकी पैड़ी कॉरिडोर का काम भी आगे बढ़ रहा है. जिसमें हरकी पैड़ी को भिखारी मुक्त बनाने का पूरा ध्यान भी रखा गया है.
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