कानपुर: जिस तरह कानपुर शहर में आयुध निर्माण इकाईयों में विभिन्न प्रकार के हथियार बनते हैं, ठीक उसी तर्ज पर अब शहर के साढ़ स्थित डिफेंस कॉरिडोर की पहली यूनिट में भी थल सेना के हथियार बनने लगेंगे. 26 फरवरी को सीएम योगी आदित्यनाथ कानपुर आएंगे और एम्यूनेशन प्लांट का शुभारंभ करेंगे.
सीएम के साथ ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी शहर आ सकते हैं. इसके अलावा पीएम मोदी के भी आने या वर्चुअली कार्यक्रम में जुड़ने की प्रबल संभावना है. अडाणी समूह की ओर से स्थापित इस प्लांट में हथियार उत्पादन से जुड़ी सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं.
समूह के अफसरों का दावा है कि सीएम योगी के शुभारंभ करने के बाद यहां पिस्टल, कारतूस, अंडर बैरल रॉकेट लांचर, मोर्टार, समेत अन्य हथियार बनेंगे. इस प्लांट के बन जाने से जहां हजारों की संख्या में युवाओं को रोजगार मिलेगा, वहीं अब भारत में हथियार उत्पादन को लेकर आयात भी कम हो जाएगा.
प्लांट की खास बातें
- लगभग 499 एकड़ जमीन अडाणी समूह को आवंटित हुई
- करीब 200 एकड़ में एशिया का सबसे बड़ा अस्त्र-शस्त्र निर्माण क्षेत्र बन रहा
- 1500 करोड़ रुपये से अधिक निवेश की है योजना
- 3 नोड हैं, डिफेंस कॉरिडोर के कानपुर व बुंदेलखंड क्षेत्र में
समूह की ओर से सबसे बड़ा अस्त्र-शस्त्र निर्माण क्षेत्र विकसित हो रहा: जिला उद्योग केंद्र के उपायुक्त सुधीर श्रीवास्तव ने बताया कि अडाणी समूह की ओर से कानपुर में पहली बार सबसे बड़ा अस्त्र-शस्त्र निर्माण क्षेत्र विकसित (एम्यूनेशन प्लांट) किया जा रहा है. इससे भारत की रक्षा क्षेत्र पर आत्मनिर्भरता बढ़ेगी.
पहले चरण में यहां 40 से अधिक प्रकार के हथियार बनने हैं. ये सेना के लिए बहुत अधिक मददगार साबित होंगे. डिफेंस कॉरिडोर की पहली यूनिट में मशीनों का ट्रायल अंतिम चरण में है. सभी तरह के परीक्षण सफल रहे हैं. समूह के प्रतिनिधियों का कहना है कि प्लांट में वेपंस का उत्पादन किया जा सकता है.
थल सेना के लिए खासतौर से बनेंगे हथियार: समूह से जुड़े एक आला अफसर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एम्यूनेशन प्लांट में हम वह सभी हथियार बनाएंगे, जो थल सेना के लिए सबसे अधिक जरूरी हैं. यहां भारतीय सेना के अलावा अन्य सेनाओं के लिए भी हथियार बनेंगे. प्लांट में अलग-अलग कई तरह के सेक्शन भी बनाए गए हैं. यह एक कंपोजिट कंसोलिडेटेड प्लांट है.