नई दिल्ली: एम्स दिल्ली में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए हर तरह की आधिकारिक कार्यों और फाइलों के ट्रांसफर को ऑनलाइन कर दिया गया है. माना जा रहा है कि एम्स प्रशासन के इस कदम से भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगा. इसके साथ एम्स प्रशासन के भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंसी की पॉलिसी को बल मिलेगा.
बता दें कि 14 फरवरी 2023 को निर्देश आया कि एम्स दिल्ली में सभी आधिकारिक संचार के लिए ई-ऑफिस का उपयोग अनिवार्य है. इसके बावजूद अभी भी निदेशक कार्यालय को फिजिकल फाइलें एवं रसीदें प्राप्त हो रही है. इसके अलावा, यह भी देखा गया कि आदेशों के बावजूद कुछ प्रतिष्ठानों और स्टोरों में अभी भी फिजिकल फाइलों का उपयोग किया जा रहा है. इतना ही नहीं कुछ सतर्कता मामलों की सीलबंद लिफाफे भी फिजिकल फाइलों के रूप में सर्कुलेट किया गया. ऐसे में पूरी प्रक्रिया सवालों के घेरे में थी. इसलिए पूरी पारदर्शिता के लिए एम्स में प्रशासनिक प्रणालियों में आवश्यक सुधार किए गए हैं.
पारदर्शिता के लिए उठाए गए कदम:
- एम्स दिल्ली में किसी भी केंद्र, विभाग, मंडल, प्रतिष्ठान या अनुभाग द्वारा आंतरिक संचार के लिए किसी भी फिजिकल फाइल या कागजी पत्राचार पर एक अप्रैल 2024 से विचार नहीं किया जाएगा.
- एक अप्रैल 2024 से कोई भी फिजिकल फाइल, नोटशीट तत्काल प्रभाव से नहीं खरीदी जाएगी.
- एम्स नई दिल्ली में सभी केंद्रों, विभागों, प्रतिष्ठानों आदि के बीच होने वाले सभी आंतरिक संचार के लिए ई-ऑफिस का उपयोग अनिवार्य होगा.
- हर प्रकार की मीटिंग के विवरण, लेटर, हर प्रकार की ड्राफ्ट सहित सभी ड्राफ्ट को ई-ऑफिस में 'ड्राफ्ट' विकल्प का उपयोग करके अनुमोदित किया जाएगा.
- जिन प्रमुख अधिकारियों को ऐसे पत्र, मिनट्स आदि जारी करने की आवश्यकता है, उनकी ई-ऑफिस आईडी को डिजिटल हस्ताक्षरों के साथ एकीकृत किया जाएगा ताकि वे अनुमोदित ड्राफ्ट को निर्बाध रूप से जारी कर सकें और इसमें कोई छेड़छाड़ संभव ना हो.
बता दें कि जांच अधिकारियों द्वारा अनुशासनात्मक कार्यवाही ऑफलाइन की जाती रहेगी. आगे के विचार के लिए फाइलें जमा करते समय उनकी रिपोर्ट को स्कैन और ई-ऑफिस में अपलोड किया जाएगा. सतर्कता सेल पूर्ण गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए सभी फाइलों और प्राप्तियों के संचलन के लिए ई-ऑफिस का भी उपयोग करेगा.