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नदीम खान के खिलाफ गैरजमानती वारंट निरस्त करने की मांग पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी - DELHI HIGH COURT ON NADEEM KHAN

-दिल्ली हाईकोर्ट ने मानवाधिकार कार्यकर्ता नदीन खान के खिलाफ गैरजमानती वारंट निरस्त करने की मांग पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया.

दिल्ली हाईकोर्ट नदीम खान केस
दिल्ली हाईकोर्ट नदीम खान केस (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Dec 6, 2024, 4:19 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने मानवाधिकार कार्यकर्ता नदीम खान के खिलाफ साकेत कोर्ट की ओर से जारी गैर जमानती वारंट को निरस्त करने की मांग पर सुनवाई की. इस दौरान हाईकोर्ट कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है. जस्टिस जसमीत सिंह की बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 11 दिसंबर को करने का आदेश दिया हैं. नदीम खान के खिलाफ साकेत कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया है.

दरअसल, दिल्ली पुलिस ने नदीम खान पर यूट्यूब पर वीडियो डालकर समाज में वैमनस्य फैलाने की साजिश रचने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज किया. नदीम खान की याचिका में कहा गया है कि साकेत कोर्ट की ओर से जल्दबाजी में गैर जमानती वारंट जारी किया गया है, जबकि उनकी ओर से कोई गलती नहीं की गई है. नदीम खान की दिल्ली हाईकोर्ट में ये दूसरी याचिका है. पहली याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 3 दिसंबर को नदीम खान की गिरफ्तारी से अगले आदेश तक सुरक्षा देने का आदेश दिया था.

हाईकोर्ट ने नदीम को निर्देश दिया कि कल जांच में शामिल हों और उसमें सहयोग करें. कोर्ट ने नदीम को जांच अधिकारी की अनुमति के बिना देश छोड़कर जाने से मना किया है. सुनवाई के दौरान नदीम खान की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि एफआईआर में किसी भी संज्ञेय अपराध का खुलासा नहीं किया गया है. इसका विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा था कि संज्ञेय अपराध होने के पर्याप्त साक्ष्य मौजूद हैं. नदीम खान की ओर से हिंसा को उकसाने के पर्याप्त सबूत हैं.

दिल्ली पुलिस को हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस : इससे पहले दिल्ली पुलिस ने कहा कि नदीम खान देश की शांति को खत्म करने की कोशिश कर रहे थे और ये वीडियो में साफ दिख रहा है. तब कोर्ट ने कहा कि आप समझने की कोशिश कीजिए. हम एक लोकतांत्रिक देश में रहते हैं. हमारे देश का सद्भाव इतना कमजोर नहीं है कि एक प्रदर्शनी या एक वीडियो से खराब हो जाए. किसी के चिल्लाने भर से सद्भाव खराब नहीं हो जाएगा.

नदीम खान पर वैमनस्य पैदा करने के मामले में FIR दर्ज : नदीम खान के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने देश में वैमनस्य पैदा करने के लिए आपराधिक साजिश रचने के मामले में एफआईआर दर्ज किया है. नदीम खान एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राईट्स (एपीसीआर) के राष्ट्रीय सचिव हैं. नदीम खान ने याचिका दायर कर दिल्ली पुलिस की ओर से दर्ज एफआईआर को निरस्त करने की मांग की है.

खूफिया सूत्रों से मिली वीडियो अपलोड करने की जानकारी: याचिका में कहा गया है दिल्ली पुलिस की एफआईआर में लिखा है कि एक सब-इंस्पेक्टर को पेट्रोलिंग के दौरान खूफिया सूत्रों से पता चला कि सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड किया गया है जिससे स्थानीय लोगों में नाराजगी हो और वो हिंसा का रुप ले सकता है. एफआईआर में कहा गया है कि रिकॉर्ड्स ऑफ हिन्दुस्तान इन मोदी सरकार नामक शीर्षक वाला वीडियो 21 नवंबर को अपलोड किया गया. ये वीडियो अकरम ऑफिशियल 50 नामक चैनल ने अपलोड किया गया.

वीडियो में नदीम खान होने का पुलिस का दावा: एफआईआर के मुताबिक, अपलोड किए गए वीडियो में एक प्रदर्शनी के दौरान एक स्टॉल पर एक व्यक्ति ने एक बैनर की तरफ इशारा करते हुए नदीम, अखलाक, रोहित वेमुला, पहलू खान के बारे में बात की और उसके बाद 2020 के शाहीन बाग प्रदर्शन, दिल्ली दंगे और एक खास समुदाय को शिकार बनाये जाने की बात की. दिल्ली पुलिस के मुताबिक स्टाल एपीसीआर का था और वीडियो में जो व्यक्ति बोल रहा था वो नदीम खान था.

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नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने मानवाधिकार कार्यकर्ता नदीम खान के खिलाफ साकेत कोर्ट की ओर से जारी गैर जमानती वारंट को निरस्त करने की मांग पर सुनवाई की. इस दौरान हाईकोर्ट कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है. जस्टिस जसमीत सिंह की बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 11 दिसंबर को करने का आदेश दिया हैं. नदीम खान के खिलाफ साकेत कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया है.

दरअसल, दिल्ली पुलिस ने नदीम खान पर यूट्यूब पर वीडियो डालकर समाज में वैमनस्य फैलाने की साजिश रचने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज किया. नदीम खान की याचिका में कहा गया है कि साकेत कोर्ट की ओर से जल्दबाजी में गैर जमानती वारंट जारी किया गया है, जबकि उनकी ओर से कोई गलती नहीं की गई है. नदीम खान की दिल्ली हाईकोर्ट में ये दूसरी याचिका है. पहली याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 3 दिसंबर को नदीम खान की गिरफ्तारी से अगले आदेश तक सुरक्षा देने का आदेश दिया था.

हाईकोर्ट ने नदीम को निर्देश दिया कि कल जांच में शामिल हों और उसमें सहयोग करें. कोर्ट ने नदीम को जांच अधिकारी की अनुमति के बिना देश छोड़कर जाने से मना किया है. सुनवाई के दौरान नदीम खान की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि एफआईआर में किसी भी संज्ञेय अपराध का खुलासा नहीं किया गया है. इसका विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा था कि संज्ञेय अपराध होने के पर्याप्त साक्ष्य मौजूद हैं. नदीम खान की ओर से हिंसा को उकसाने के पर्याप्त सबूत हैं.

दिल्ली पुलिस को हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस : इससे पहले दिल्ली पुलिस ने कहा कि नदीम खान देश की शांति को खत्म करने की कोशिश कर रहे थे और ये वीडियो में साफ दिख रहा है. तब कोर्ट ने कहा कि आप समझने की कोशिश कीजिए. हम एक लोकतांत्रिक देश में रहते हैं. हमारे देश का सद्भाव इतना कमजोर नहीं है कि एक प्रदर्शनी या एक वीडियो से खराब हो जाए. किसी के चिल्लाने भर से सद्भाव खराब नहीं हो जाएगा.

नदीम खान पर वैमनस्य पैदा करने के मामले में FIR दर्ज : नदीम खान के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने देश में वैमनस्य पैदा करने के लिए आपराधिक साजिश रचने के मामले में एफआईआर दर्ज किया है. नदीम खान एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राईट्स (एपीसीआर) के राष्ट्रीय सचिव हैं. नदीम खान ने याचिका दायर कर दिल्ली पुलिस की ओर से दर्ज एफआईआर को निरस्त करने की मांग की है.

खूफिया सूत्रों से मिली वीडियो अपलोड करने की जानकारी: याचिका में कहा गया है दिल्ली पुलिस की एफआईआर में लिखा है कि एक सब-इंस्पेक्टर को पेट्रोलिंग के दौरान खूफिया सूत्रों से पता चला कि सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड किया गया है जिससे स्थानीय लोगों में नाराजगी हो और वो हिंसा का रुप ले सकता है. एफआईआर में कहा गया है कि रिकॉर्ड्स ऑफ हिन्दुस्तान इन मोदी सरकार नामक शीर्षक वाला वीडियो 21 नवंबर को अपलोड किया गया. ये वीडियो अकरम ऑफिशियल 50 नामक चैनल ने अपलोड किया गया.

वीडियो में नदीम खान होने का पुलिस का दावा: एफआईआर के मुताबिक, अपलोड किए गए वीडियो में एक प्रदर्शनी के दौरान एक स्टॉल पर एक व्यक्ति ने एक बैनर की तरफ इशारा करते हुए नदीम, अखलाक, रोहित वेमुला, पहलू खान के बारे में बात की और उसके बाद 2020 के शाहीन बाग प्रदर्शन, दिल्ली दंगे और एक खास समुदाय को शिकार बनाये जाने की बात की. दिल्ली पुलिस के मुताबिक स्टाल एपीसीआर का था और वीडियो में जो व्यक्ति बोल रहा था वो नदीम खान था.

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