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बुंदेलखंड में फिर चला नोटा का सोटा, जनता ने प्रत्याशी से अधिक जताया भरोसा - NOTA USED IN BUNDELKHAND

बुंदेलखंड की जनता ने एक बार फिर प्रत्याशी से अधिक NOTA पर भरोसा दिखाया है. बुंदेलखंड की चार लोकसभा सीटों को मिलाकर यहां नोटा ने हाफ सेंचुरी लगाई है.

यूपी में 6 लाख से ज्यादा वोटर्स ने दबाया नोटा
यूपी में 6 लाख से ज्यादा वोटर्स ने दबाया नोटा
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 5, 2024, 7:40 PM IST

लखनऊ: लोकसभा चुनाव 2024 में जनता ने प्रत्याशियों के साथ साथ नोटा को भी पसंद किया है. तभी तो कई लोकसभा सीटों पर नोटा पर जमकर वोटरों ने बटन दबाया. खासकर बुंदेलखंड की चारों सीटों पर जनता ने नोटा का इस्तेमाल करते हुए हाफ सेंचुरी लगा दी. इन चारों सीटों को मिलाकर 50 हजार से अधिक वोट नोटा को मिले.

उत्तरप्रदेश में कुल 6,34,971 वोट नोटा को पड़े, जो कुल वोट का .72 फीसदी है. खासकर बुंदेलखंड की जनता ने जमकर नोटा का इस्तेमाल कर सभी राजनीतिक दलों को कड़ा संदेश देने का प्रयास किया है.अब एक नजर डाल लेते हुए उन सीटों पर जहां वोटर्स ने सबसे अधिक नोटा को चुना और बुंदेलखंड की लोकसभा सीटों में कितने नोटा पड़े हैं.

लोक सभा चुनाव के नतीजों ने सभी को चौंका दिया है. खासकर यूपी की जनता ने 2014 और 2019 के नतीजों में बड़ा बदलाव करते हुए प्रत्याशियों के चेहरों और उनके काम को तरजीह दी. और काम के आधार पर वोटिंग की. नतीजन जो प्रत्याशी मतदाताओं को समझ में आया उन्हें दल से ऊपर उठकर वोट किया और जो प्रत्याशी समझ में नहीं आया तो नोटा का सहारा लिया. यूपी में कुल 6,34,971 वोट नोटा को पड़े है, जो कुल वोट का .72 फीसदी है. यह अपना दल (सोनेलाल) को मिले को वोट से महज .20 फीसदी ही कम है, जबकि अन्य चार दलों से अधिक है.

सबसे अधिक राबर्ट्सगंज लोकसभा सीट पर वोटर्स ने नोटा दबाया, यहां 19,030 नोटा पड़े. इस सीट पर लड़ाई इण्डिया गठबंधन और एनडीए के बीच थी. समाजवादी पार्टी की ओर से छोटेलाल और अपना दल (सोनेलाल) की ओर से रिंकी कोल मैदान में थी. यह पहले से ही माना जा रहा था कि, राबर्ट्सगंज की जनता अपना दल के फैसले से नाराज थी. और लोक सभा सीट पर विकास न करने वाले पकौड़ीलाल के ही परिवार के सदस्य को उन पर थोपने पर अधिक खुश नहीं दिख रही थी. नतीजन नाराज मतदाताओं ने नोटा का इस्तमाल किया.

उत्तर प्रदेश में इसबार के 67 लोकसभा की सीटें ऐसी थी, जहां 5 हजार से अधिक वोट नोटा को पड़े है. इतना ही नहीं 12 लोक सभा सीटों में दस हजार से भी अधिक नोटा का मतदाताओं ने बटन दबाया है. हालांकि यूपी की 80 सीटों में प्रतापगढ़ एक ऐसी सीट थी, जहां सबसे कम महज 2,891 नोटा पड़े है. यहां की जनता ने बदलाव का मूड बनाया था. और दो बार के सांसद और बीजेपी के प्रत्याशी संगमलाल गुप्ता को हराते हुए सपा प्रत्याशी एसपी पटेल को 66 हजार वोटों से जीत दिलाई.

यूपी के हिस्से में आने वाले बुंदेलखंड हर चुनाव में खुद को ठगा महसूस करता आया है. पानी की समस्या, किसानों के उत्थान के लिए कोई ठोस कदम न उठना और वहां के युवाओं की बढ़ती बेरोजगारी का निदान 17 लोक सभा चुनाव होने के बाद भी नहीं हो सका है.लिहाजा 18वें लोक सभा चुनाव में नाराज बुंदेलखंड की जनता अपनी नाराजगी दिखाई और इन चार लोक सभा सीटों पर 53,144 नोटा पड़े. सीटों पर गौर करें तो सबसे अधिक झांसी सीट पर 15,302, हमीरपुर में 13,453, बांदा में 13,235 और जालौन में 11154 वोट नोटा में पड़े हैं.


ये भी पढ़ें:यूपी में 5 साल में 40% बढ़ा नोटा; क्या राजनितिक दलों पर भारी पड़ सकता है प्रत्याशी रिजेक्ट करने का यह ट्रेंड?

लखनऊ: लोकसभा चुनाव 2024 में जनता ने प्रत्याशियों के साथ साथ नोटा को भी पसंद किया है. तभी तो कई लोकसभा सीटों पर नोटा पर जमकर वोटरों ने बटन दबाया. खासकर बुंदेलखंड की चारों सीटों पर जनता ने नोटा का इस्तेमाल करते हुए हाफ सेंचुरी लगा दी. इन चारों सीटों को मिलाकर 50 हजार से अधिक वोट नोटा को मिले.

उत्तरप्रदेश में कुल 6,34,971 वोट नोटा को पड़े, जो कुल वोट का .72 फीसदी है. खासकर बुंदेलखंड की जनता ने जमकर नोटा का इस्तेमाल कर सभी राजनीतिक दलों को कड़ा संदेश देने का प्रयास किया है.अब एक नजर डाल लेते हुए उन सीटों पर जहां वोटर्स ने सबसे अधिक नोटा को चुना और बुंदेलखंड की लोकसभा सीटों में कितने नोटा पड़े हैं.

लोक सभा चुनाव के नतीजों ने सभी को चौंका दिया है. खासकर यूपी की जनता ने 2014 और 2019 के नतीजों में बड़ा बदलाव करते हुए प्रत्याशियों के चेहरों और उनके काम को तरजीह दी. और काम के आधार पर वोटिंग की. नतीजन जो प्रत्याशी मतदाताओं को समझ में आया उन्हें दल से ऊपर उठकर वोट किया और जो प्रत्याशी समझ में नहीं आया तो नोटा का सहारा लिया. यूपी में कुल 6,34,971 वोट नोटा को पड़े है, जो कुल वोट का .72 फीसदी है. यह अपना दल (सोनेलाल) को मिले को वोट से महज .20 फीसदी ही कम है, जबकि अन्य चार दलों से अधिक है.

सबसे अधिक राबर्ट्सगंज लोकसभा सीट पर वोटर्स ने नोटा दबाया, यहां 19,030 नोटा पड़े. इस सीट पर लड़ाई इण्डिया गठबंधन और एनडीए के बीच थी. समाजवादी पार्टी की ओर से छोटेलाल और अपना दल (सोनेलाल) की ओर से रिंकी कोल मैदान में थी. यह पहले से ही माना जा रहा था कि, राबर्ट्सगंज की जनता अपना दल के फैसले से नाराज थी. और लोक सभा सीट पर विकास न करने वाले पकौड़ीलाल के ही परिवार के सदस्य को उन पर थोपने पर अधिक खुश नहीं दिख रही थी. नतीजन नाराज मतदाताओं ने नोटा का इस्तमाल किया.

उत्तर प्रदेश में इसबार के 67 लोकसभा की सीटें ऐसी थी, जहां 5 हजार से अधिक वोट नोटा को पड़े है. इतना ही नहीं 12 लोक सभा सीटों में दस हजार से भी अधिक नोटा का मतदाताओं ने बटन दबाया है. हालांकि यूपी की 80 सीटों में प्रतापगढ़ एक ऐसी सीट थी, जहां सबसे कम महज 2,891 नोटा पड़े है. यहां की जनता ने बदलाव का मूड बनाया था. और दो बार के सांसद और बीजेपी के प्रत्याशी संगमलाल गुप्ता को हराते हुए सपा प्रत्याशी एसपी पटेल को 66 हजार वोटों से जीत दिलाई.

यूपी के हिस्से में आने वाले बुंदेलखंड हर चुनाव में खुद को ठगा महसूस करता आया है. पानी की समस्या, किसानों के उत्थान के लिए कोई ठोस कदम न उठना और वहां के युवाओं की बढ़ती बेरोजगारी का निदान 17 लोक सभा चुनाव होने के बाद भी नहीं हो सका है.लिहाजा 18वें लोक सभा चुनाव में नाराज बुंदेलखंड की जनता अपनी नाराजगी दिखाई और इन चार लोक सभा सीटों पर 53,144 नोटा पड़े. सीटों पर गौर करें तो सबसे अधिक झांसी सीट पर 15,302, हमीरपुर में 13,453, बांदा में 13,235 और जालौन में 11154 वोट नोटा में पड़े हैं.


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