वैशाली: 'विरासत की सियासत' को आगे बढ़ाने और पिता रामविलास पासवान की पारंपरिक सीट कही जाने वाली जिस हाजीपुर लोकसभा सीट को लेकर चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति पारस के बीच लड़ाई हुई थी, उस सीट से आज चिराग नामांकन करने जा रहे हैं. इस मौके पर उन्होंने पिता को याद करते हुए कहा कि पहली बार ऐसा हो रहा है, जब वह अपने पापा के बगैर नोमिनेशन करने के लिए घर से निकल रहे हैं.
"पापा की कमी महसूस हो रही है. यह पहली बार है, जब पापा के बिना मैं नामांकन भरने जा रहा हूं. मुझे उम्मीद है कि जैसे पापा को हाजीपुर के लोगों ने हमेशा स्नेह और आशीर्वाद दिया, वही प्यार और आशीर्वाद मुझे भी मिलेगा. मैं किसी भी चुनौती या चुनाव को हल्के में नहीं लेता."- चिराग पासवान, अध्यक्ष, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास)
नामांकन से पहले की पूजा-अर्चना: हाजीपुर संसदीय क्षेत्र से नामांकन दाखिल करने से पहले चिराग पासवान ने पटना के खगौल में पूजा-अर्चना की. इस दौरान उन्होंने कहा कि उम्मीद करता हूं कि जिस तरह से हाजीपुर के लोगों ने मेरे पिता को हमेशा स्नेह और आशीर्वाद दिया, वैसे ही मुझे भी अपना प्यार और आशीर्वाद देंगे.
आरजेडी के शिवचंद्र राम से मुकाबला: हाजीपुर सीट पर उनका सामना राष्ट्रीय जनता दल के शिवचंद्र राम से होगा. वह बिहार सरकार में मंत्री रह चुके हैं. हालांकि 2019 में उनको पशुपति पारस के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. शिवचंद्र के लिए पिछले दिनों नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने हाजीपुर में जनसभा को संबोधित कर चुके हैं.
आशीर्वाद देने आ सकते हैं चाचा पारस: चिराग पासवान के नामांकन के बाद हाजीपुर में जनसभा का भी आयोजन किया जा रहा है. उस रैली में बिहार एनडीए के कई बड़े नेता शामिल होंगे. इसके लिए आरएलजेपी अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस को भी निमंत्रण भेजा गया है. खबर है कि चाचा अपने भतीजे को आशीर्वाद देने के लिए हाजीपुर जा सकते हैं.
पासवान परिवार की पारंपरिक सीट हाजीपुर: रामविलास पासवान हाजीपुर से कई बार सांसद रह चुके हैं. 1977, 1980, 1989, 1996, 1998, 1999, 2004 और 2014 में रामविलास को जीत मिली थी, जबकि 2019 में उनके छोटे भाई पशुपति कुमार पारस जीते थे. हालांकि 1984 और 2009 में रामविलास पासवान को हार का सामना करना पड़ा था.
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