नई दिल्ली/नोएडा: विदेश में नौकरी लगवाने का झांसा देकर लोगों से पैसे ऐठने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश हुआ है. नोएडा के इस गिरोह का जाल दूर दूर तक फैला हुआ है. इस गिरोह के लोग फर्जी वीजा बनाकर विदेश में नौकरी लगवाने का झांसा देते थे और ठगी करते थे.
थाना सेक्टर-49 पुलिस ने शुक्रवार को इस गिरोह के सरगना और उसके साथी को गिरफ्तार कर लिया. आरोपियों के कब्जे से 104 पासपोर्ट, एक लैपटॉप, 6 मोबाइल, चार फर्जी मोहरें, 31 फर्जी वीजा, 36 फर्जी कंपनी के वर्किंग कांट्रैक्ट और एक आई-20 कार बरामद हुई है. दोनों आरोपी फर्जी ट्रैवल कंपनी बनाकर उत्तर प्रदेश,दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान के बेरोजगार युवकों के साथ ठगी करते थे. दोनों का आपराधिक इतिहास भी है. गिरोह में शामिल अन्य आरोपियों की भी तलाश की जा रही है.
नौकरी लगवाने के एवज में युवकों से 80-90 हजार लेते थे आरोपी
डीसीपी नोएडा विद्यासागर मिश्र ने बताया कि अलग-अलग जगहों के 70 बेरोजगार युवकों को रामपुर के इशाक युनूस उर्फ रोबिन उर्फ जितेंद्र और दिल्ली निवासी रोहित ओबरॉय ने नोएडा बुलाया था. एसीपी शैव्या गोयल को इस बात की जानकारी मिली कि इशाक और रोहित दोनों बेरोजगार युवकों को विदेश में नौकरी लगवाने का झांसा देकर ठगी करते हैं. इसके बाद एसीपी की अगुवाई में सरगना और उसके साथियों को गिरफ्तार करने के लिए एक टीम गठित की गई.
टीम ने होशियारपुर स्थित आरोपियों के ऑफिस में छापा मारकर दोनों को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि उन्होंने अब तक करीब 200 लोगों के साथ ठगी की है. दोनों बीते 6 साल से वो ठगी को अंजाम दे रहे हैं. आरोपियों के खिलाफ दिल्ली समेत अन्य जगहों पर भी मुकदमे दर्ज हैं. नोएडा के अलावा आरोपी हरियाणा और दिल्ली में भी इस तरह के ऑफिस खोलकर ठगी कर चुके हैं. आरोपी पूर्व में भी जेल जा चुके हैं.
सोशल मीडिया पर देते थे विज्ञापन
एडिशनल डीसीपी मनीष कुमार मिश्र ने बताया कि सूचना तकनीकी में बीटेक इशाक युनुस गिरोह का सरगना है. उसने करीब छह साल पहले रोहित के साथ मिलकर गिरोह बनाया और कई अन्य युवाओं को भी इससे जोड़ा. गिरोह से जुड़ने के बाद रोहित ने अपनी बीए की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी. इशाक सोशल मीडिया पर समय-समय पर विज्ञापन जारी कर बताता है कि जॉर्डन, सउदी अरब और कतर में विभिन्न पदों पर बंपर भर्ती निकली है, जिसमें भारतीय युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी. वो किफायती दामों में विदेश भेजने और वहां नौकरी लगवाने की बात विज्ञापन में कहता है. झांसे में आकर जैसे ही बेरोजगार युवक उससे संपर्क करते हैं, वह पासपोर्ट, वीजा, टिकट और वर्किंग कांट्रैक्ट सहित अन्य चीजों का हवाला देते हुए 80 से 90 हजार रुपये की मांग करता है. कोई कागज अगर कम होता है तो रकम बढ़ जाती है. युवकों को यह भी बताया जाता है कि अगर वह अन्य युवकों को साथ लेकर आएंगे तो उनका रेट काफी कम हो जाएगा. कई लोगों से पैसा लेने के बाद आरोपी दफ्तर बंद कर फरार हो जाते हैं.
नोएडा वाला ऑफिस बंद करने की तैयारी में थे आरोपी
एसीपी शैव्या गोयल ने बताया कि आरोपियों के बैंक खातों में जमा ठगी के 12 लाख 50 हजार रुपये की रकम को फ्रीज करने की कार्रवाई की जा रही है. यही नहीं जिनके साथ आरोपियों ने ठगी की है, उन सभी युवकों से संपर्क करने की भी कोशिश की जा रही है. ठगी का शिकार हुए 30 से अधिक युवक शुक्रवार को सेक्टर-49 थाने पहुंचे और अधिकारियों और थाना प्रभारी से मुलाकात कर अपनी पीड़ा बताई. आरोपियों ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में अपने एजेंट भी बनाए हुए थे. एजेंट बेरोजगार युवकों को सरगना के पास लाते थे. ठगी का 25 प्रतिशत हिस्सा एजेंट को मिलता था. पुलिस आरोपियों के बनाए गए एजेंट्स को भी आरोपी बनाने की तैयारी कर रही है. पूछताछ में ये बात भी सामने आई है कि आरोपी अगले महीने ही नोएडा में ऑफिस बंद कर फरार होने की तैयारी कर रहे थे. कुछ युवकों को आरोपी प्रतिमाह सैलरी पर नौकरी पर रखते हैं और दो महीने बाद उन्हें बाहर कर दिया जाता है. आरोपियों के पास से बरामद पासपोर्ट की जांच की जा रही है कि वह सही हैं या फर्जी हैं.
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