चंडीगढ़: हरियाणा शिक्षा विभाग कितना सजग है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश के मान्यता प्राप्त 75 प्रतिशत निजी स्कूलों में आग से बचाव के इंतजाम तक नहीं हैं. साल 2017 में शिक्षा विभाग ने बच्चों की सुरक्षा संबंधी नीति बनाई थी, लेकिन इसे सात साल बाद भी लागू नहीं किया जा सका है. जिला हिसार जिले के 109 निजी स्कूलों में किसी के पास फायर अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) नहीं है. जबकि जिला जींद के 55 स्कूलों में केवल 10, तो भिवानी के 103 स्कूलों में से 7 ने ही फायर एनओसी ली है.
आरटीआई से मिली जानकारी: सूचना का अधिकार (आरटीआई) से हासिल जानकारी को आधार बनाते हुए स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के संस्थापक सदस्य बृजपाल सिंह परमार ने इसकी शिकायत मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सहित अन्य अधिकारियों से की है. उन्होंने बताया कि वर्ष 2020 से 2023 तक हरियाणा दमकल एवं आपातकालीन सेवाएं विभाग से निजी स्कूलों को फायर संबंधी एनओसी लेने की जानकारी मांगी गई थी.
निजी स्कूलों के पास नहीं फायर एनओसी: आरटीआई के मुताबिक हिसार में 109 स्कूलों में से एक भी स्कूल ने कोई फायर एनओसी नहीं ली. जिला जींद में 55 निजी स्कूलों में से 2020 से 2023 तक केवल 10 निजी स्कूलों ने ही दमकल विभाग से फायर एनओसी ली. इसी तरह जिला भिवानी में 103 निजी स्कूलों संबंधी जानकारी मांगी थी, जिनमें से वर्ष 2020 में किसी स्कूल ने एनओसी नहीं ली. जबकि 2021 और 2022 में 8-8 निजी स्कूलों ने ही एनओसी ली थी. इसी तरह 2023 में भिवानी के केवल दो निजी स्कूलों को ही दमकल विभाग ने फायर एनओसी जारी की है.
सीएम विंडो में कर चुके शिकायत: बृजपाल सिंह परमार ने कहा कि उन्होंने 2020 में बच्चों की सुरक्षा से जुड़े मामले संबंधी सीएम विंडो में भी शिकायत दी थी, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. उनका आरोप है कि कुछ निजी स्कूलों ने अधिकारियों से मिलीभगत कर फर्जी फायर एनओसी लगाकर मान्यता हासिल की है. ऐसे ही एक मामले में जिला भिवानी के एक निजी स्कूल के खिलाफ उनकी शिकायत पर जूई कलां पुलिस थाना में धोखाधड़ी का केस भी दर्ज है.
शिक्षा अकादमी और कोचिंग सेंटर भी बेपरवाह: आरटीआई में दमकल विभाग से 2014 से अब तक जिला भिवानी के शिक्षा अकादमी, कोचिंग सेंटर और लाइब्रेरी द्वारा फायर एनओसी लेने व नहीं लेने संबंधी जानकारी भी मांगी गई थी. इसके जवाब में पता लगा कि किसी भी संस्थान के पास कोई फायर एनओसी नहीं है. नतीजतन शिक्षा अकादमी, कोचिंग सेंटर और लाइब्रेरी में भी बच्चों के सुरक्षा मानक पूरे नहीं हैं. ऐसे में आगजनी से गंभीर परिणाम सामने आने का अंदेशा बना हुआ है. क्योंकि बहुमंजिला क्षेत्रों में काफी संकरी और तंग जगह हैं, जहां न तो आपातकाल में निकासी का रास्ता है और न आग से बचाव के प्रबंध. एनओसी नहीं लेने पर कार्रवाई संबंधी प्राप्त जानकारी में बताया गया कि लापरवाह संस्थान स्वयं जिम्मेदार होंगे.
जिला और खंड स्तर पर बनी कमेटियां: फरीदाबाद के एक निजी स्कूल में हुई घटना के बाद स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन द्वारा सरकार को शिकायत की गई थी. इसके बाद हरियाणा स्कूल शिक्षा विभाग ने वर्ष 2017 में स्कूलों के अंदर बच्चों की सुरक्षा व सुरक्षित वाहन ट्रांसपोर्टेशन संबंधी नीति बनाई थी. इस बारे जिला और खंड स्तर पर कमेटियों का गठन भी किया गया था. लेकिन सात साल बाद भी शिक्षा विभाग अपनी बनाई नीति को लागू नहीं कर सका है.