पटनाः बिहार में खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं है लेकिन सही दिशा-निर्देश के साथ-साथ पैसों की कमी से ये प्रतिभाएं उड़ान भरने के पहले ही दम तोड़ देती हैं. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, क्योंकि नीतीश सरकार ने 'दीर्घकालीन एथलीट विकास कार्यक्रम' के तहत बिहार खेल छात्रवृत्ति योजना-2024 को मंजूरी दे दी है. शुक्रवार को नीतीश कैबिनेट की बैठक में इस योजना को स्वीकृति दी गयी.
पैसे के अभाव में दम नहीं तोड़ेंगी प्रतिभाएंः बिहार राज्य खेल प्राधिकरण महानिदेशक रविंद्रन संकरण ने "नीतीश सरकार के इस फैसले पर खुशी जाहिर की और कहा कि काफी दिनों से इस योजना के लिए प्रपोजल बना कर सरकार को दिया गया था और सरकार ने बिहार के खिलाड़ियों के हित को ध्यान में रखते हुए इसको स्वीकार किया है .अब बिहार के वैसे खिलाड़ियों का भी भला होगा जो गरीबों के कारण नहीं खेल पा रहे थे."
तीन श्रेणियों में बांटी गयी है छात्रवृत्ति योजनाः छात्रवृत्ति योजना को तीन कैटेगरी में बांटा गया है. पहली कैटेगरी जिले से लेकर राज्य स्तर पर अच्छा प्रदर्शन करनेवाले खिलाड़ियों की है. इस योजना के तहत 12 से 18 वर्ष की उम्र के 500 खिलाड़ियों को हर साल 3 लाख रुपये दिए जाएंगे. दूसरी कैटेगरी में 12 से 24 वर्ष के राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय स्तर के 200 खिलाड़ियों हर साल 5 लाख रुपये दिए जाएंगे जबकि तीसरी कैटेगरी में ओलिंपिक स्तर के 25 खिलाड़ियों को 20 लाख प्रतिवर्ष दिए जाएंगे.
" खिलाड़ियों की प्रतिभा को निखारना सरकार के लिए बड़ी जिम्मेदारी है और इसको लेकर सरकार कई पहलुओं पर काम कर रही है. हर स्तर पर खिलाड़ियों की मदद की योजना है ताकि वो आगे बढ़ सकें . मेडिकल कॉलेज,इंजीनियर कॉलेज सहित तमाम कॉलेजों में स्पोर्ट कोटा के तहत एडमिशन लेने के लिए खेल कोटा का प्रस्ताव भी है." रविंद्रन शंकरण, महानिदेशक, बिहार राज्य खेल प्राधिकरण
अंतरराष्टीय लेवल के खेल इन्फ्रास्ट्रक्चर को भी मंजूरीः इसके अलावा नीतीश सरकार ने राज्य के सभी प्रमंडलों में अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुरूप खेल इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के लिए भी मंजूरी दे दी है. जिसके तहत जिस प्रमंडल में जिस खेल विधा के ज्यादा खिलाड़ी होंगे, उसे ध्यान में रखते हुए स्टेडियम डेवलप किए जाएंगे. जहां स्टेडियम नहीं होगा वहां जमीन का अधिग्रहण विभाग करेगा. इसके अलावा खिलाड़ियों और कोच के रहने की भी व्यवस्था की जाएगी.
बिहार में खेल की बदतर स्थितिः बिहार में खेल और खिलाड़ियों की बदतर स्थिति किसी से छुपी नहीं है. अंतरराष्ट्रीय स्तर की बात तो छोड़ ही दीजिए राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भी बिहार की झोली पदकों से खाली रहती है. इसका अर्थ ये नहीं है कि बिहार में प्रतिभावान खिलाड़ियों की कमी है. सच तो ये है कि सरकारी नीतियों और अर्थाभाव में प्रतिभाएं दम तोड़ रही हैं. ऐसे में निश्चित तौर पर नीतीश सरकार का ये फैसला आनेवाले दिनों में खिलाड़ियों के लिए अहम साबित होगा.