रायपुर/भिलाई : छत्तीसगढ़ में ऑपरेशन मुस्कान के तहत प्रदेशव्यापी अभियान चलाया गया था.जिसमें 1 जनवरी 2024 से लेकर 31 जनवरी 2024 तक इस अभियान की मदद से गुमशुदा बालक बालिकाओं को ढूंढा गया. इस अभियान को सफल बनाने के लिए रेंज के पुलिस महानिरीक्षकों, पुलिस अधीक्षकों और जिलों में नामांकित नोडल अधिकारियों ने गंभीरता से कार्य किया. अभियान छत्तीसगढ़ के अलावा दूसरे राज्यों जैसे तेलंगाना, महाराष्ट्र,मध्यप्रदेश,ओडिशा,दिल्ली और कर्नाटक जैसे बड़े राज्यों में चलाया गया. जिसमें दूसरे राज्यों से बच्चों को खोजने में पुलिस को बड़ी सफलता मिली.
504 गुमशुदा बच्चों को ढूंढने में सफलता : अभियान के दौरान जिलों में गठित पुलिस टीम ने हर संभावित स्थानों पर जाकर गुमशुदा बच्चों की बरामदगी की. पूरे अभियान में 50 बालक और 454 बालिकाओं यानी कुल 504 गुमशुदा बच्चों को ढूंढा गया. जिसमें सर्वाधिक जिला दुर्ग के 93, बलौदाबाजार 58, बिलासपुर के 41 और दूसरे जिलों के गुमशुदा बच्चे शामिल हैं.इस अभियान की विशेषता ये रही कि कई साल पहले गुम हो चुके बच्चों को भी पुलिस ने ढूंढ निकाला.जिन्हें उनके परिजनों को सौंपा गया है.
दुर्ग जिले के 93 बच्चे मिले : दुर्ग पुलिस ने ऑपरेशन मुस्कान के तहत पिछले 1 माह में दुर्ग पुलिस ने वर्षों से लापता करीब 93 बच्चों को देशभर से राज्यों से सकुशल बरामद कर परिजनों को सौंपा. अपनों को देखकर परिजनों की खुशियों के आंसू निकल पड़े. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ( क्राइम ) डॉ अनुराग झा ने बताया कि जिले के सभी थाना चौकियों में कई वर्षों से गुम हुए बालक-बालिकाओं को खोजा गया है.
13 साल पहले गुमी बच्ची भी मिली : थानों की टीम ने उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, गाजियाबाद, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश पुलिस-टीम भेजी गई. इस अभियान में 2 लड़कियां ऐसी भी जो 12-13 साल पहले गुम हुई थी. जिन्हें ओडिशा से ढूंढ निकाला गया.
93 गुमशुदा बच्चों को किया गया बरामद : पुलिस ने ऑपरेशन मुस्कान के दौरान 14 लड़के और 79 लड़कियां यानी राज्यभर के कुल 93 गुमशुदा बच्चों को बरामद किया है.एएसपी (क्राइम) के मुताबिक सबसे अधिक थाना सुपेला, वैशालीनगर, जामुल एरिया के 11 बच्चों को तलाश किया गया है. छावनी में 09 और पद्मनाभपुर में 7 बच्चों को ऑपरेशन मुस्कान के तहत बरामद किया गया है.
क्या है ऑपरेशन मुस्कान ? : ऑपरेशन मुस्कान लापता बच्चों का पता लगाने और उनके पुनर्वास के लिए चलाई गई एक योजना है.जिसे गृह मंत्रालय के अधीन संचालित किया जाता है. यह एक ऐसा अभियान है जिसमें राज्य पुलिस के कर्मचारी लापता बच्चों की पहचान करने, उन्हें बचाने और उन्हें उनके परिवारों से मिलवाने के लिए कोशिश करते हैं.इसमें कई साल पहले गुमशुदा हुए बच्चों को भी पुलिस ने ढूंढकर निकाला है.