देहरादून: उत्तराखंड में कोरोना और स्वाइन फ्लू पैर पसारने लगे हैं. राजकीय दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल यानी दून अस्पताल में अब तक 2 बच्चे कोरोना संक्रमित और 9 बच्चे स्वाइन फ्लू से संक्रमित पाए जा चुके हैं. जिससे स्वास्थ्य महकमे समेत शासन प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है. फिलहाल, कोरोना पॉजिटिव पाई गई एक बच्ची का इलाज दून अस्पताल में चल रहा है. डॉक्टर लगातार बच्ची के स्वास्थ्य पर नजर बनाए हुए हैं. हालांकि, बच्ची अभी स्वस्थ बताई जा रही है.
बता दें कि दो दिन पहले ही देहरादून के गांधी ग्राम की रहने वाली 9 वर्षीय कोरोना संक्रमित बच्ची को दून अस्पताल में भर्ती कराया गया है. डॉक्टरों की मानें तो बच्ची सर्दी, खांसी, जुकाम की समस्या लेकर इलाज के लिए दून अस्पताल में आई थी. जहां अस्पताल में कोरोना जांच के बाद बच्ची एसिम्टोमेटिक पाई गई. ऐसे में बच्ची को अस्पताल में भर्ती कर उसका इलाज किया जा रहा है.
कोरोना पॉजिटिव बच्ची का चल रहा इलाज: राजकीय दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के बाल रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर अशोक कुमार ने बताया कि फिलहाल बच्ची पूरी तरह स्वस्थ और डॉक्टरों की निगरानी में है. उसको अब बुखार की शिकायत भी नहीं है. उन्होंने बताया कि इससे पहले एक बच्चा कोरोना संक्रमित पाया गया था. स्वस्थ होने के बाद बच्चे को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है.
अभी तक 9 बच्चे हो चुके स्वाइन फ्लू से संक्रमित: डॉक्टर अशोक कुमार ने बताया कि दो महीनों में स्वाइन फ्लू पॉजिटिव 9 बच्चों को भर्ती कराकर इलाज किया जा चुका है. सभी को स्वस्थ होने के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है. हालांकि, उन्होंने कहा कि इनमें से एक बच्चा अस्पताल के फ्लू वार्ड में एडमिट है. डॉक्टर अशोक के मुताबिक, ज्यादातर बच्चे सांस की समस्या लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं.
स्वाइन फ्लू के लक्षण: मरीज में स्वाइन फ्लू के लक्षण बुखार, कफ, खांसी, गले में खराश, नाक बहना, मांसपेशियों में दर्द या जकड़न, सिर में दर्द, नींद न आना, ज्यादा थकान और कमजोरी आदि है. इसके अलावा स्वाइन फ्लू में छाती में दर्द भी होता है. खून में ऑक्सीजन की कमी, ब्लड प्रेशर कम, मानसिक स्थिति में बदलाव, अस्थमा, किडनी फेल, डायबिटीज, एंजाइना तक हो सकता है.
ऐसे करें स्वाइन फ्लू से बचावः स्वास्थ्य विभाग की मानें तो जरूरी हो तभी भीड़ भाड़ वाले स्थानों की ओर रुख करें. खांसते या छींकते समय रुमाल का इस्तेमाल जरूर करें. इसके अलावा स्वच्छता का विशेष ध्यान देना चाहिए. जैसे छींकते समय अपनी नाक को ढकना और खांसते समय रुमाल या टिशू पेपर का इस्तेमाल करना चाहिए. फ्लू के संक्रमण से बचने के लिए आंख, नाक या मुंह को छूने से भी बचना चाहिए.
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