कोटा : केंद्र सरकार मोनेटाइजेशन स्कीम के तहत एयरपोर्ट हाईवे और कई सरकारी बिल्डिंग को लीज पर दे रही है. सरकार इससे एडवांस फंड प्राप्त कर रही है और उन्हें अन्य विकास कार्यों में खर्च किया जा रहा है. इसी तर्ज पर नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने हाड़ौती में सबसे ज्यादा टोल रेवेन्यू जेनरेट करने वाले हैंगिंग ब्रिज टोल नाके को मोनेटाइजेशन स्कीम में लीज पर दे दिया है. इससे नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया को 500 करोड़ रुपए एकमुश्त एडवांस मिल गए हैं, जिनका उपयोग एनएचएआई अन्य स्कीम और प्रोजेक्ट में करेगा. ब्रिज को लीज पर लेने वाली कंपनी ने एनएचएआई कोटा से टोल प्लाजा का काम भी संभाल लिया है. टोल कलेक्शन से लेकर ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस का काम अब नई फर्म देख रही है. इस टोल प्लाजा में वाहनों से करीब 12 लाख रुपए हर रोज वसूले जाते हैं.
हैंगिंग ब्रिज और दो टोल प्लाजा : नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के प्रोजेक्ट इंप्लीमेंटेशन यूनिट (PIU) कोटा के प्रोजेक्ट डायरेक्टर और जनरल मैनेजर संदीप अग्रवाल ने बताया कि आईआरबी इंफ्रा ट्रस्ट को यह कांट्रेक्ट मिला है. इसमें 28 किलोमीटर का कोटा बाईपास है. यह एनएच 76 पर बारां रोड पर झालीपुरा के पास से शुरू होकर चंबल नदी को पार कर शंभूपुरा में खत्म होता है. इसी के बीच में चंबल नदी पर केबल स्टे ब्रिज (हैंगिंग) ब्रिज भी है. इसके अलावा नया गांव और सकतपुरा दो टोल प्लाजा भी आते हैं. इन दोनों टोल प्लाजा को भी ठेकेदार फर्म आईआरबी इंफ्रा ट्रस्ट संभाल रही है.
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कोटा के लोगों को कराना होगा रजिस्ट्रेशन : जीएम अग्रवाल का कहना है कि कोटा के लोगों को यहां से गुजरना नि:शुल्क है, लेकिन कई बार फास्टैग से पैसा कट जाता है, क्योंकि रीडर वाहनों के फास्टैग को रीड कर लेता है. एक बार पैसा कट जाने पर वापस मिलना मुश्किल है. ऐसी स्थिति में लोगों को नि:शुल्क निकलने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. परिवहन विभाग कोटा में रजिस्टर्ड वाहनों को अपने रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट के जरिए वहां का रजिस्ट्रेशन टोल प्लाजा पर करवाना होगा, जिसके लिए उन्हें आरसी की कॉपी देनी होगी. इसके बाद अगर रीडर भी फास्टैग को स्कैन कर लेता है, तो भी पैसा नहीं कटेगा.
वाहनों का रिकॉर्ड रखना जरूरी : एनएचएआई के जीएम संदीप अग्रवाल का कहना है कि आईआरबी इंफ्रा ट्रस्ट ने कोटा बाईपास को टोल ऑपरेट ट्रांसफर (TOT) मोड पर लिया है. यहां से गुजर रहे सभी वाहनों का रिकॉर्ड रखना भी जरूरी है. बिना टोल दिए गुजरने वाले वाहन का रिकार्ड रखना मुश्किल हो रहा है. पुलिस और सरकार की कई एजेंसी कई बार इस तरह की जानकारी मांगती हैं, इसीलिए वाहनों को रजिस्ट्रेशन करवा कर जीरो टोल पर उन्हें निकालने की सुविधा शुरू करनी होगी. इससे कभी भी जरूरत होने पर वहां से संबंधित रिकॉर्ड निकाला जा सकता है.
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निर्माण से ज्यादा टोल वसूली, लेकिन एनएचएआई का यह तर्क : हैंगिंग ब्रिज का निर्माण साल 2017 में पूरा हुआ था और इसी साल से इस पर टोल वसूली भी शुरू हो गई थी. यह टोल वसूली अक्टूबर 2017 से मार्च 2024 तक 224 करोड़ है. हालांकि, हैंगिंग ब्रिज की निर्माण लागत 214 करोड़ के आसपास थी. नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधिकारियों का कहना है कि एनएचएआई के निर्माण की कॉस्ट टोल से ही निकलती है. निर्माण लागत पूरी होने के बाद भी वसूली शुरू होती है. इसमें लागत, ब्याज और मेंटेनेंस कॉस्ट भी होती है. टोल से मिले पैसे से एनएचएआई अन्य प्रोजेक्ट निर्माण में खर्च करती है, इसीलिए टोल वसूली जारी रखना जरूरी होता है.
कोटा बाईपास पर मिलकर अलग हो जाते हैं दो हाईवे : हैंगिंग ब्रिज ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर में पोरबंदर से सिलचर नेशनल हाईवे 27 पर कोटा शहर की सीमा पर चंबल नदी पर बना हुआ है. इसी के साथ कोटा बाईपास भी जुड़ा हुआ है. यह बारां रोड से चित्तौड़गढ़ रोड तक है. दूसरी तरफ इसी कोटा बाईपास पर एनएच 52 भी आकर जुड़ता है और वापस निकल जाता है. ऐसे में बूंदी जिले के बाद कोटा बाईपास के सकतपुरा टोल प्लाजा के पहले शंभूपुरा में यह एनएच 27 से जुड़ जाता है. इसके बाद हैंगिंग ब्रिज से होता हुआ कोटा के अनंतपुरा एरिया में वापस झालावाड़ रोड की तरफ अलग हो जाता है. इसी के चलते एनएच 27 और 52 दोनों का ट्रैफिक इस हाईवे पर होकर गुजरता है.