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नवनिर्वाचित सांसदों को विधायक पद से देना होगा इस्तीफा, सीता सोरेन और जेपी पटेल पर विधानसभा अध्यक्ष गंभीर - Speaker serious on Sita and JP Patel

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 6, 2024, 7:59 PM IST

Newly elected MPs will have to resign from post of MLA. लोकसभा चुनाव परिणाम ने किसी को झटका दिया है तो वह हैं, सीता सोरेन और जेपी पटेल. ये चुनाव के वक्त पाला बदलकर लोकसभा चुनाव में मैदान में उतरे मगर सफल नहीं हो सके. अब हालत न माया मिली न राम जैसी हो गई है. बहरहाल दोनों विधायक विधानसभा की कार्रवाई झेल रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर नवनिर्वाचित सांसदों को अपने विधायक पद से इस्तीफा देना होगा.

Speaker serious on Sita and JP Patel
झारखंड विधानसभा (फोटो- ईटीवी भारत)

रांची: सीता सोरेन ने जिस तरह से ईमेल के जरिए अपनी विधायकी से इस्तीफा देने की कोशिश की उसपर विधानसभा को आपत्ति है. एक बार फिर स्पीकर ने नियमसंगत या तो अपने ईमेल से या स्वयं उपस्थित होकर लिखित इस्तीफा भेजने को कहा है. विधानसभा के प्रभारी सचिव सैयद जावेद हैदर ने जानकारी देते हुए कहा कि दोनों विधायक पर अभी मामला चल रहा है उनकी सदस्यता खत्म नहीं हुई है.

अमर कुमार बाउरी और बिरंची नारायण का बयान (वीडियो- ईटीवी भारत)
जेपी पटेल और सीता सोरेन मामले में विधानसभा गंभीर

विधायक जेपी पटेल और सीता सोरेन मामले में विधानसभा सचिवालय गंभीर है. जेपी पटेल ने स्पीकर कोर्ट से जवाब के लिए समय कि मांग है. बीजेपी विधायक दल के नेता अमर कुमार बाउरी की शिकायत पर विधानसभा सचिवालय ने विधायक जेपी पटेल को नोटिस भेजा था. यह मामला अब स्पीकर ट्रिब्यूनल में सुनवाई के लिए भेजा गया है. इन सबके बीच जानकारी के मुताबिक विधानसभाध्यक्ष न्यायाधिकरण जल्द ही जेपी पटेल को एक बार फिर नोटिस भेजने की तैयारी में है. जिससे उसकी सुनवाई हो सके.

इधर, शिकायतकर्ता अमर कुमार बाउरी ने कहा है कि यदि इसमें अनावश्यक देरी होगी तो वे न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे. झारखंड बीजेपी के विधानसभा में मुख्य सचेतक बिरंची नारायण ने स्पीकर पर आरोप लगाते हुए कहा है कि जब बाबूलाल मरांडी के मामले में इस तरह का भेदभाव किया गया तो नेता प्रतिपक्ष की शिकायत पर क्या कार्रवाई होगी वह सब जानते हैं.

नेता प्रतिपक्ष की शिकायत को स्पीकर ने रद्दी की टोकरी में फेंक दिया है, जबकि हर कोई जानता है कि जेपी पटेल ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा है. वहीं, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीपी सिंह ने कहा है कि विधानसभा नियमावली में स्पष्ट है कि दल बदल करने वाले ऐसे सदस्यों की सदस्यता समाप्त की जाती है, ऐसे में स्पीकर न्यायाधिकरण पर निर्भर करता है कि कब सुनवाई पूरी करे.

बहरहाल लोकसभा चुनाव के बाद अब सबकी नजरें विधानसभा चुनाव पर टिकी है, इससे पहले विधानसभा का मानसून सत्र भी आहूत होना है. ऐसे में दोनों विधायक की सदस्यता को लेकर अभी से सवाल उठने लगे हैं.

इधर, लोकसभा चुनाव में निर्वाचित हुए चार विधायकों को 18 जून तक विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देना होगा. जिन विधायकों को इस्तीफा देना होगा वे हैं ढुल्लू महतो, मनीष जायसवाल, नलिन सोरेन और जोबा मांझी. ये धनबाद, हजारीबाग, दुमका और सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीतने में सफल हुए हैं.

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के सेक्शन 68 के अनुसार ऐसे निर्वाचित जनप्रतिनिधि को मतगणना के 14 दिनों के अंदर किसी एक सदन से इस्तीफा देना होगा. इस तरह से लोकसभा चुनाव की मतगणना 4 जून को होने के पश्चात 18 जून तक सभी चारों विधायक को इस्तीफा देना होगा. मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार ने कानूनी प्रावधानों की जानकारी देते हुए कहा कि अगर एक व्यक्ति दो सदन के लिए निर्वाचित होता है तो किसी एक सदन की सदस्यता से इस्तीफा देना होगा.

प्रावधान के अनुसार किसी एक ही सदन की सदस्यता किसी एक व्यक्ति को हो सकती है. इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष या लोकसभा अध्यक्ष को देना होगा. यदि इस्तीफा नहीं दिया जाता है तो कानूनी प्रावधानों के अनुसार इनकी सदस्यता दोनों सदन से चली जायेगी.

विधानसभा उपचुनाव होने के नहीं हैं आसार

झारखंड से लोकसभा चुनाव में निर्वाचित होकर दिल्ली जाने वाले विधायक के इस्तीफे से जामा, बाघमारा, हजारीबाग और मनोहरपुर विधानसभा क्षेत्र खाली हो जायेगा. विधानसभा के प्रभारी सचिव सैयद जावेद हैदर के अनुसार अभी तक लोकसभा चुनाव में निर्वाचित किसी विधायक ने इस्तीफा नहीं दिया है. इस्तीफा मिलने के बाद विधानसभा सचिवालय चुनाव आयोग को अवगत कराएगा.

इन सबके बीच चूंकि राज्य में नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में छह महीने से कम समय पंचम विधानसभा के सत्र का कार्यकाल बचा है. ऐसे में यहां उपचुनाव होना संभव नहीं दिख रहा है. हालांकि इस पर चुनाव आयोग का निर्णय अंतिम होगा.

ये भी पढ़ें:
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रांची: सीता सोरेन ने जिस तरह से ईमेल के जरिए अपनी विधायकी से इस्तीफा देने की कोशिश की उसपर विधानसभा को आपत्ति है. एक बार फिर स्पीकर ने नियमसंगत या तो अपने ईमेल से या स्वयं उपस्थित होकर लिखित इस्तीफा भेजने को कहा है. विधानसभा के प्रभारी सचिव सैयद जावेद हैदर ने जानकारी देते हुए कहा कि दोनों विधायक पर अभी मामला चल रहा है उनकी सदस्यता खत्म नहीं हुई है.

अमर कुमार बाउरी और बिरंची नारायण का बयान (वीडियो- ईटीवी भारत)
जेपी पटेल और सीता सोरेन मामले में विधानसभा गंभीर

विधायक जेपी पटेल और सीता सोरेन मामले में विधानसभा सचिवालय गंभीर है. जेपी पटेल ने स्पीकर कोर्ट से जवाब के लिए समय कि मांग है. बीजेपी विधायक दल के नेता अमर कुमार बाउरी की शिकायत पर विधानसभा सचिवालय ने विधायक जेपी पटेल को नोटिस भेजा था. यह मामला अब स्पीकर ट्रिब्यूनल में सुनवाई के लिए भेजा गया है. इन सबके बीच जानकारी के मुताबिक विधानसभाध्यक्ष न्यायाधिकरण जल्द ही जेपी पटेल को एक बार फिर नोटिस भेजने की तैयारी में है. जिससे उसकी सुनवाई हो सके.

इधर, शिकायतकर्ता अमर कुमार बाउरी ने कहा है कि यदि इसमें अनावश्यक देरी होगी तो वे न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे. झारखंड बीजेपी के विधानसभा में मुख्य सचेतक बिरंची नारायण ने स्पीकर पर आरोप लगाते हुए कहा है कि जब बाबूलाल मरांडी के मामले में इस तरह का भेदभाव किया गया तो नेता प्रतिपक्ष की शिकायत पर क्या कार्रवाई होगी वह सब जानते हैं.

नेता प्रतिपक्ष की शिकायत को स्पीकर ने रद्दी की टोकरी में फेंक दिया है, जबकि हर कोई जानता है कि जेपी पटेल ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा है. वहीं, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीपी सिंह ने कहा है कि विधानसभा नियमावली में स्पष्ट है कि दल बदल करने वाले ऐसे सदस्यों की सदस्यता समाप्त की जाती है, ऐसे में स्पीकर न्यायाधिकरण पर निर्भर करता है कि कब सुनवाई पूरी करे.

बहरहाल लोकसभा चुनाव के बाद अब सबकी नजरें विधानसभा चुनाव पर टिकी है, इससे पहले विधानसभा का मानसून सत्र भी आहूत होना है. ऐसे में दोनों विधायक की सदस्यता को लेकर अभी से सवाल उठने लगे हैं.

इधर, लोकसभा चुनाव में निर्वाचित हुए चार विधायकों को 18 जून तक विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देना होगा. जिन विधायकों को इस्तीफा देना होगा वे हैं ढुल्लू महतो, मनीष जायसवाल, नलिन सोरेन और जोबा मांझी. ये धनबाद, हजारीबाग, दुमका और सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीतने में सफल हुए हैं.

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के सेक्शन 68 के अनुसार ऐसे निर्वाचित जनप्रतिनिधि को मतगणना के 14 दिनों के अंदर किसी एक सदन से इस्तीफा देना होगा. इस तरह से लोकसभा चुनाव की मतगणना 4 जून को होने के पश्चात 18 जून तक सभी चारों विधायक को इस्तीफा देना होगा. मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार ने कानूनी प्रावधानों की जानकारी देते हुए कहा कि अगर एक व्यक्ति दो सदन के लिए निर्वाचित होता है तो किसी एक सदन की सदस्यता से इस्तीफा देना होगा.

प्रावधान के अनुसार किसी एक ही सदन की सदस्यता किसी एक व्यक्ति को हो सकती है. इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष या लोकसभा अध्यक्ष को देना होगा. यदि इस्तीफा नहीं दिया जाता है तो कानूनी प्रावधानों के अनुसार इनकी सदस्यता दोनों सदन से चली जायेगी.

विधानसभा उपचुनाव होने के नहीं हैं आसार

झारखंड से लोकसभा चुनाव में निर्वाचित होकर दिल्ली जाने वाले विधायक के इस्तीफे से जामा, बाघमारा, हजारीबाग और मनोहरपुर विधानसभा क्षेत्र खाली हो जायेगा. विधानसभा के प्रभारी सचिव सैयद जावेद हैदर के अनुसार अभी तक लोकसभा चुनाव में निर्वाचित किसी विधायक ने इस्तीफा नहीं दिया है. इस्तीफा मिलने के बाद विधानसभा सचिवालय चुनाव आयोग को अवगत कराएगा.

इन सबके बीच चूंकि राज्य में नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में छह महीने से कम समय पंचम विधानसभा के सत्र का कार्यकाल बचा है. ऐसे में यहां उपचुनाव होना संभव नहीं दिख रहा है. हालांकि इस पर चुनाव आयोग का निर्णय अंतिम होगा.

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