नई दिल्ली/नोएडा: नोएडा में चिकित्सा व्यवस्था की सच्चाई बयान करने वाली घटना सामने आई है, जहां वेंटिलेटर के लिए दो अस्पतालों के चक्कर काटने के बाद भी एक दिन की नवजात बच्ची को भर्ती न किए जाने से उसकी मौत हो गई. आरोप है कि पहले उसे जिम्स अस्पताल में बेड की कमी का हवाला देकर नोएडा चाइल्ड पीजीआई रेफर कर दिया गया. वहीं, चाइल्ड पीजीआई नोएडा ने इलाज में 20 हजार रुपये का खर्चा बताया. बच्ची के पिता के पास उसे भर्ती करने के पैसे तक नहीं थे. जब बच्ची के पिता ने दूसरे अस्पताल जाने के लिए एंबुलेंस मांगा तो उसे वह भी उपलब्ध नहीं कराया गया.
इसके बाद मजबूरी में पिता, बच्ची को ऑटो से लेकर ग्रेटर नोएडा के बादलपुर के स्वास्थ्य केंद्र के लिए लेकर पहुंचा. हालांकि पता चला कि रास्ते में ही बच्ची की मौत हो गई थी. दरअसल ग्रेटर नोएडा के छपरौला निवासी ऑटो चालक इरफान खान ने बताया कि उसकी पत्नी ने बादलपुर के स्वास्थ्य केंद्र में बच्ची को जन्म दिया था. जन्म के दौरान रोई नहीं और उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी, जिसके बाद डॉक्टरों ने उसे ग्रेटर नोएडा के जिम्स अस्पताल रेफर कर दिया. वहां बेड खाली न होने के चलते बच्ची को भर्ती नहीं किया गया.
इसके बाद बच्ची के पिता उसे चाइल्ड पीजी ले गए लेकिन वहां उसे 20 हजार रुपये का खर्च और भर्ती करने का 7-8 हजार खर्च बताया गया. भर्ती करने तक के पैसे न होने के चलते डॉक्टरों ने बच्ची को भर्ती नहीं किया. इसके बाद बच्ची को बादलपुर के स्वास्थ्य केंद्र ले जाते समय उसकी मौत हो गई. चाइल्ड पीजीआई के चिकित्सा अधीक्षक (एमएस) डॉ. आकाश राज ने बताया कि यहां भर्ती करने की फीस लगती है. वहीं सीएमएस को इस प्रकरण के बारे में जानकारी नहीं है.
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