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'पीला सोना' भर देगा आपकी जेब, बंपर पैदावार के लिए अपनानी होगी ये टेक्निक - New Technique of Soybean Farming

सोयाबीन यानि 'पीला सोना' आपको मालामाल कर सकता है. बीज चयन के बाद खास तकनीक से बुआई करने पर सोयाबीन का बंपर उत्पादन होता है. रतलाम कृषि विभाग के सहायक उप संचालक बिका वास्के से जानिए कौन सी है ये तकनीक.

SOYBEAN SOWING NEW TECHNOLOGY
नई तकनीक से बुआई करने पर सोयाबीन का बंपर उत्पादन (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jun 18, 2024, 5:53 PM IST

New Technique of Soybean Farming: मध्य प्रदेश में बड़े पैमाने पर सोयाबीन फसल की खेती की जाती है और हर साल किसान मालामाल होते हैं. मानसून आने में चंद दिन ही बाकी हैं ऐसे में किसान मानसून के पहले अपने खेत तैयार करने में जुटे हैं. सोयाबीन की फसल की बुआई का समय यही होता है. ऐसे में अब कई ऐसी नई तकनीक आ गई हैं कि इस विधि से बुआई करने पर आप और ज्यादा मालामाल हो सकते हैं.

रिज्ड बेड और रिज फेरो तकनीक से किसान करें सोयाबीन की बुआई (ETV Bharat)

नई तकनीक से किसान करें बुआई

कैश क्रॉप मानी जाने वाली सोयाबीन के बीज चयन से लेकर बीज उपचार की व्यवस्था किसान करने में जुट गए हैं लेकिन किसान भाई सोयाबीन बोने के लिए जिस पद्धति का इस्तेमाल करते हैं वह अब पुरानी हो चुकी है. अधिकांश किसानों को इसकी जानकारी नहीं है. यदि किसान आधुनिक तकनीक से सोयाबीन की बुआई करें तो वह सोयाबीन की फसल का बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. सोयाबीन उत्पादक किसान रिज्ड बेड और रिज फेरो तकनीक से सोयाबीन की बुवाई कर बीज- खाद की भी बचत कर सकते हैं और बंपर पैदावार ले सकते हैं.

Soybean Farming
सोयाबीन की बुआई की नई तकनीक (ETV Bharat)

रिज्ड बेड और रिज फेरो तकनीक जानिए

केवल सोयाबीन ही नहीं खरीफ के सीजन में बोई जाने वाली अन्य तिलहन और दलहन की फसलों को भी इस तकनीक से बुआई की जा सकती है. कृषि विभाग के सहायक उपसंचालक बिका वास्के बताते हैं कि "रिज फेरो तकनीक में सिड्रिल द्वारा मेड़ और नालीदार संरचना बनाते हुए बीज की बुवाई की जाती है. जिससे अधिक बारिश होने की स्थिति में भी पानी नाली से बहकर खेत से बाहर हो जाता है. वहीं रिज्ड बेड तकनीक में प्लांटर की मदद से खेत में बेड बनाया जाता है और खाद के साथ बीज की बुवाई भी प्लांटर से ही हो जाती है. बेड पर सोयाबीन की बुवाई करने से बीज और खाद की मात्रा कम लगती है. पौधे से पौधे की दूरी और बेड से बेड की दूरी पर्याप्त होने से पौधे का फैलाव अधिक होता है. अधिक बारिश होने की स्थिति में पौधों में गलन की समस्या नहीं होती है. बारिश की लंबी खेंच होने पर भी बेड में नमी बनी रहती है. जिससे फसल खराब नहीं होती है. रिज्ड बेड प्लांटर से बुवाई के लिए सोयाबीन की अधिक फैलाव वाली किस्म का चयन किया जाता है. जिससे सोयाबीन का उत्पादन अच्छा प्राप्त होता है."

ये भी पढ़ें:

सोयाबीन की बुवाई के पहले बीज के अंकुरण क्षमता की करें जांच, जानिए जर्मिनेशन टेस्ट की विधि

हिंदुस्तान के दिल में 'पीला सोना' कर रहा मालामाल, बुंदेलखंड में किसानों के खेत हुए गुलजार

बुआई के लिए ले सकते हैं किराए का यंत्र

रिज्ड बेड प्लांटर एक आधुनिक बुवाई का यंत्र है. सभी किसानों के पास यह उपलब्ध नहीं होता है. कृषि विभाग के सहायक उपसंचालक बिका वास्के ने बताया कि "जिन किसान भाइयों के पास यह यंत्र उपलब्ध नहीं है वह अपने क्षेत्र के कृषि अभियांत्रिकी विभाग द्वारा संचालित कस्टम हायरिंग सेंटर से संपर्क कर सकते हैं. इसके अलावा कृषि विज्ञान केंद्र अथवा कृषि विभाग के अनुसंधान फार्म पर संपर्क कर के भी किसान भाई रिज्ड बेड प्लांटर किराए पर प्राप्त कर सकते हैं. कृषक भाई सोयाबीन के गिरते उत्पादन को सुधारने के लिए नई आधुनिक बुवाई तकनीक का इस्तेमाल कर प्रति हेक्टेयर 30 से 35 क्विंटल सोयाबीन का उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं."

New Technique of Soybean Farming: मध्य प्रदेश में बड़े पैमाने पर सोयाबीन फसल की खेती की जाती है और हर साल किसान मालामाल होते हैं. मानसून आने में चंद दिन ही बाकी हैं ऐसे में किसान मानसून के पहले अपने खेत तैयार करने में जुटे हैं. सोयाबीन की फसल की बुआई का समय यही होता है. ऐसे में अब कई ऐसी नई तकनीक आ गई हैं कि इस विधि से बुआई करने पर आप और ज्यादा मालामाल हो सकते हैं.

रिज्ड बेड और रिज फेरो तकनीक से किसान करें सोयाबीन की बुआई (ETV Bharat)

नई तकनीक से किसान करें बुआई

कैश क्रॉप मानी जाने वाली सोयाबीन के बीज चयन से लेकर बीज उपचार की व्यवस्था किसान करने में जुट गए हैं लेकिन किसान भाई सोयाबीन बोने के लिए जिस पद्धति का इस्तेमाल करते हैं वह अब पुरानी हो चुकी है. अधिकांश किसानों को इसकी जानकारी नहीं है. यदि किसान आधुनिक तकनीक से सोयाबीन की बुआई करें तो वह सोयाबीन की फसल का बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. सोयाबीन उत्पादक किसान रिज्ड बेड और रिज फेरो तकनीक से सोयाबीन की बुवाई कर बीज- खाद की भी बचत कर सकते हैं और बंपर पैदावार ले सकते हैं.

Soybean Farming
सोयाबीन की बुआई की नई तकनीक (ETV Bharat)

रिज्ड बेड और रिज फेरो तकनीक जानिए

केवल सोयाबीन ही नहीं खरीफ के सीजन में बोई जाने वाली अन्य तिलहन और दलहन की फसलों को भी इस तकनीक से बुआई की जा सकती है. कृषि विभाग के सहायक उपसंचालक बिका वास्के बताते हैं कि "रिज फेरो तकनीक में सिड्रिल द्वारा मेड़ और नालीदार संरचना बनाते हुए बीज की बुवाई की जाती है. जिससे अधिक बारिश होने की स्थिति में भी पानी नाली से बहकर खेत से बाहर हो जाता है. वहीं रिज्ड बेड तकनीक में प्लांटर की मदद से खेत में बेड बनाया जाता है और खाद के साथ बीज की बुवाई भी प्लांटर से ही हो जाती है. बेड पर सोयाबीन की बुवाई करने से बीज और खाद की मात्रा कम लगती है. पौधे से पौधे की दूरी और बेड से बेड की दूरी पर्याप्त होने से पौधे का फैलाव अधिक होता है. अधिक बारिश होने की स्थिति में पौधों में गलन की समस्या नहीं होती है. बारिश की लंबी खेंच होने पर भी बेड में नमी बनी रहती है. जिससे फसल खराब नहीं होती है. रिज्ड बेड प्लांटर से बुवाई के लिए सोयाबीन की अधिक फैलाव वाली किस्म का चयन किया जाता है. जिससे सोयाबीन का उत्पादन अच्छा प्राप्त होता है."

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बुआई के लिए ले सकते हैं किराए का यंत्र

रिज्ड बेड प्लांटर एक आधुनिक बुवाई का यंत्र है. सभी किसानों के पास यह उपलब्ध नहीं होता है. कृषि विभाग के सहायक उपसंचालक बिका वास्के ने बताया कि "जिन किसान भाइयों के पास यह यंत्र उपलब्ध नहीं है वह अपने क्षेत्र के कृषि अभियांत्रिकी विभाग द्वारा संचालित कस्टम हायरिंग सेंटर से संपर्क कर सकते हैं. इसके अलावा कृषि विज्ञान केंद्र अथवा कृषि विभाग के अनुसंधान फार्म पर संपर्क कर के भी किसान भाई रिज्ड बेड प्लांटर किराए पर प्राप्त कर सकते हैं. कृषक भाई सोयाबीन के गिरते उत्पादन को सुधारने के लिए नई आधुनिक बुवाई तकनीक का इस्तेमाल कर प्रति हेक्टेयर 30 से 35 क्विंटल सोयाबीन का उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं."

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