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वकील बोले- नए कानूनों से मिलेगा त्वरित न्याय, पुलिस के लिए एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य - New laws come into force in country

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 1, 2024, 7:35 PM IST

देश में 1 जुलाई से नए कानून लागू हो गया है. कड़कड़डूमा कोर्ट के वकीलों ने इनको बेहतर बताते हुए कहा कि नए कानूनों से लोगों को त्वरित न्याय मिलेगा. इसमें पुलिस के लिए एफआईआर दर्ज करना भी अनिवार्य किया गया है.

देश में 1 जुलाई से नए कानून लागू
देश में 1 जुलाई से नए कानून लागू (Etv Bharat)

देश में 1 जुलाई से नए कानून लागू (Etv bharat)

नई दिल्ली: देश में आज से नए कानून लागू हो गए हैं और पुलिस ने नए कानून के तहत एफआईआर दर्ज करना भी शुरू कर दिया है. इसको लेकर दिल्ली में कड़कड़डूमा कोर्ट के वकीलों ने कहा कि नए कानून में अच्छे प्रावधान भी किए गए हैं. इनके लागू होने से अब जनता को त्वरित न्याय मिलेगा. पहले कुछ ऐसे भी मामले होते थे, जिनमें लोग आसानी से बच जाते थे. लेकिन अब उनमें भी नए प्रावधानों को जोड़कर के सख्त बनाया गया है, जिससे कि आरोपियों को सजा मिल सके.

नए कानून में पुलिस के लिए एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य

अधिवक्ता दिनेश कुमार गुप्ता ने कहा कि नए कानून में सबसे अच्छा प्रावधान यह है कि पुलिस एफआईआर दर्ज करने से मना नहीं कर सकेगी. पहले कहीं क्राइम होने पर शिकायतकर्ता शिकायत करने जब थाने जाता था तो कई बार यह शिकायत मिलती थी कि पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की. लेकिन, अब ऐसा नहीं होगा. अगर ऐसा होता है कि जिस थाने में शिकायतकर्ता जाता है और क्राइम वाली जगह उस थाने के अधिकार क्षेत्र में नहीं आती है तो भी पुलिस शिकायतकर्ता को वापस नहीं करेगी. पुलिस के लिए एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य कर दिया गया है.

पुलिस जीरो एफआईआर दर्ज करके संबंधित अधिकार क्षेत्र वाले थाने को मामले को सौंप देगी. नए कानून में एफआईआर दर्ज करने से लेकर के जांच करने, आरोप तय करने से लेकर सजा सुनाने तक को लेकर समय सीमा तय कर दी गई है. यह भी प्रावधान किया गया है कि सारा काम डिजिटल तरीके से होगा. नए कानून में यह भी प्रावधान किया गया है कि अगर कोई आरोपी है और वह जेल में बंद है और उसका ट्रायल पूरा नहीं हुआ है. साथ ही उसने मामले में संभावित सजा की एक तिहाई सजा पूरी कर ली है तो उसको तुरंत जमानत देनी होगी.

बिना कारण किसी को जेल में बंद न रखने पर दिया गया है ध्यान

नए कानून में न्याय पर विशेष ध्यान दिया गया है. जुर्माने पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया है. कोई व्यक्ति बिना कारण जेल में बंद ना रहे, इस पर भी कानून में ध्यान दिया गया है. पहले कई बार ऐसा होता था कि व्यक्ति को जेल भेज दिया गया और वह काफी समय तक जेल में रहा. बाद में उस पर आरोप साबित नहीं हुआ और कोर्ट ने उसे बरी कर दिया. लेकिन उसके जीवन के कई महत्वपूर्ण साल जेल में गुजर गए. नए कानून में किए गए प्रावधानों से इस तरह के मामलों पर भी रोक लगेगी.

सुसाइड का प्रयास करने वालों को सजा नही बल्कि मानसिक इलाज की जरूरत

अधिवक्ता अंकित मेहता ने कहा कि नए कानून को अपनाने में थोड़ा समय लगेगा. आईपीसी अंग्रेजों के जमाने का बहुत पुराना कानून था, जिसमें समय के अनुसार बदलाव की जरूरत थी. नए कानून में कुछ ऐसे प्रावधान किए गए हैं जिनमें सरकार को फिर से विचार करने की भी जरूरत होगी. नए कानून में धारा 309 जो सुसाइड का प्रयास करने पर लगती थी, उसको हटाया गया है. यह बहुत सराहनीय काम है. सरकार ने माना है कि इस तरह का प्रयास करने वालों को जेल की नहीं बल्कि मानसिक इलाज की जरूरत है. नए कानून के तहत पुलिस को ज्यादा पावर दी गई है.

पुलिस कस्टडी जो पहले अधिकतम 14 दिन होती थी उसे बढ़ाकर 60-90 दिन तक कर दिया गया है. सभी को पता है कि पुलिस के हाथ में एक हरासमेंट पावर है. उस पावर को इन कानून द्वारा दोगुना कर दिया गया है. यह सही नहीं है. इसके अलावा मामले में आरोप तय करने के लिए 60 दिन की जो समय सीमा तय की गई है, वह ठीक है. इसके अलावा अगर कोई जज किसी मामले में आदेश सुरक्षित रख लेता है तो 45 दिन के अंदर उसे आदेश सुनाना होगा.

नए कानून में धारा 377 अननेचुरल सेक्स को खत्म किया गया

इसके अलावा नए कानून में धारा 377 अननेचुरल सेक्स को खत्म किया गया है. यह बहुत ही सराहनीय है. दहेज उत्पीड़न के मामलों में अधिकतर महिलाएं इस धारा का दुरुपयोग कर रही थीं. महिलाएं घरेलू झगड़े और दहेज 498 के मामले में भी धारा 377 को लगाकर उसका दुरुपयोग करती थीं.

वहीं, एडवोकेट शुभम कसाना ने कहा कि नए कानूनों में मॉब लिंचिंग जैसे अपराध पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया है. इस अपराध को अलग से अधिसूचित करके इसमें सख्त सजा का प्रावधान किया गया है. अब मॉब लिंचिंग के केस में 10 साल या उससे अधिक सजा भी हो सकती है. साथ ही आजीवन कारावास एवं फांसी की सजा का भी प्रावधान इसमें किया गया है.

प्रशिक्षु वकील आशीष ने कहा कि नए कानून को अपनाने और अभ्यास में लाने में थोड़ा समय लगेगा. अभी तक सभी वकीलों और पुलिसकर्मियों को पुराने कानून के तहत ही काम करने का अभ्यास है. लेकिन, आज से कानून लागू होने के बाद अब इनको अभ्यास में लाने का काम भी शुरू हो गया है. धीरे-धीरे यह सभी कानून भी लोगों की जानकारी और अभ्यास में आ जाएंगे. इन कानूनों में त्वरित न्याय पर विशेष ध्यान दिया गया है. साथ ही बढ़ते हुए साइबर क्राइम के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए भी कई सारे प्रावधान इन कानून में जोड़े गए हैं.

ये भी पढ़ें: भारतीय न्याय संहिता लागू होने के डेढ़ घंटे बाद दिल्ली में पहला केस दर्ज, रेहड़ी-पटरी लगाने वाले के खिलाफ कार्रवाई

देश में 1 जुलाई से नए कानून लागू (Etv bharat)

नई दिल्ली: देश में आज से नए कानून लागू हो गए हैं और पुलिस ने नए कानून के तहत एफआईआर दर्ज करना भी शुरू कर दिया है. इसको लेकर दिल्ली में कड़कड़डूमा कोर्ट के वकीलों ने कहा कि नए कानून में अच्छे प्रावधान भी किए गए हैं. इनके लागू होने से अब जनता को त्वरित न्याय मिलेगा. पहले कुछ ऐसे भी मामले होते थे, जिनमें लोग आसानी से बच जाते थे. लेकिन अब उनमें भी नए प्रावधानों को जोड़कर के सख्त बनाया गया है, जिससे कि आरोपियों को सजा मिल सके.

नए कानून में पुलिस के लिए एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य

अधिवक्ता दिनेश कुमार गुप्ता ने कहा कि नए कानून में सबसे अच्छा प्रावधान यह है कि पुलिस एफआईआर दर्ज करने से मना नहीं कर सकेगी. पहले कहीं क्राइम होने पर शिकायतकर्ता शिकायत करने जब थाने जाता था तो कई बार यह शिकायत मिलती थी कि पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की. लेकिन, अब ऐसा नहीं होगा. अगर ऐसा होता है कि जिस थाने में शिकायतकर्ता जाता है और क्राइम वाली जगह उस थाने के अधिकार क्षेत्र में नहीं आती है तो भी पुलिस शिकायतकर्ता को वापस नहीं करेगी. पुलिस के लिए एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य कर दिया गया है.

पुलिस जीरो एफआईआर दर्ज करके संबंधित अधिकार क्षेत्र वाले थाने को मामले को सौंप देगी. नए कानून में एफआईआर दर्ज करने से लेकर के जांच करने, आरोप तय करने से लेकर सजा सुनाने तक को लेकर समय सीमा तय कर दी गई है. यह भी प्रावधान किया गया है कि सारा काम डिजिटल तरीके से होगा. नए कानून में यह भी प्रावधान किया गया है कि अगर कोई आरोपी है और वह जेल में बंद है और उसका ट्रायल पूरा नहीं हुआ है. साथ ही उसने मामले में संभावित सजा की एक तिहाई सजा पूरी कर ली है तो उसको तुरंत जमानत देनी होगी.

बिना कारण किसी को जेल में बंद न रखने पर दिया गया है ध्यान

नए कानून में न्याय पर विशेष ध्यान दिया गया है. जुर्माने पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया है. कोई व्यक्ति बिना कारण जेल में बंद ना रहे, इस पर भी कानून में ध्यान दिया गया है. पहले कई बार ऐसा होता था कि व्यक्ति को जेल भेज दिया गया और वह काफी समय तक जेल में रहा. बाद में उस पर आरोप साबित नहीं हुआ और कोर्ट ने उसे बरी कर दिया. लेकिन उसके जीवन के कई महत्वपूर्ण साल जेल में गुजर गए. नए कानून में किए गए प्रावधानों से इस तरह के मामलों पर भी रोक लगेगी.

सुसाइड का प्रयास करने वालों को सजा नही बल्कि मानसिक इलाज की जरूरत

अधिवक्ता अंकित मेहता ने कहा कि नए कानून को अपनाने में थोड़ा समय लगेगा. आईपीसी अंग्रेजों के जमाने का बहुत पुराना कानून था, जिसमें समय के अनुसार बदलाव की जरूरत थी. नए कानून में कुछ ऐसे प्रावधान किए गए हैं जिनमें सरकार को फिर से विचार करने की भी जरूरत होगी. नए कानून में धारा 309 जो सुसाइड का प्रयास करने पर लगती थी, उसको हटाया गया है. यह बहुत सराहनीय काम है. सरकार ने माना है कि इस तरह का प्रयास करने वालों को जेल की नहीं बल्कि मानसिक इलाज की जरूरत है. नए कानून के तहत पुलिस को ज्यादा पावर दी गई है.

पुलिस कस्टडी जो पहले अधिकतम 14 दिन होती थी उसे बढ़ाकर 60-90 दिन तक कर दिया गया है. सभी को पता है कि पुलिस के हाथ में एक हरासमेंट पावर है. उस पावर को इन कानून द्वारा दोगुना कर दिया गया है. यह सही नहीं है. इसके अलावा मामले में आरोप तय करने के लिए 60 दिन की जो समय सीमा तय की गई है, वह ठीक है. इसके अलावा अगर कोई जज किसी मामले में आदेश सुरक्षित रख लेता है तो 45 दिन के अंदर उसे आदेश सुनाना होगा.

नए कानून में धारा 377 अननेचुरल सेक्स को खत्म किया गया

इसके अलावा नए कानून में धारा 377 अननेचुरल सेक्स को खत्म किया गया है. यह बहुत ही सराहनीय है. दहेज उत्पीड़न के मामलों में अधिकतर महिलाएं इस धारा का दुरुपयोग कर रही थीं. महिलाएं घरेलू झगड़े और दहेज 498 के मामले में भी धारा 377 को लगाकर उसका दुरुपयोग करती थीं.

वहीं, एडवोकेट शुभम कसाना ने कहा कि नए कानूनों में मॉब लिंचिंग जैसे अपराध पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया है. इस अपराध को अलग से अधिसूचित करके इसमें सख्त सजा का प्रावधान किया गया है. अब मॉब लिंचिंग के केस में 10 साल या उससे अधिक सजा भी हो सकती है. साथ ही आजीवन कारावास एवं फांसी की सजा का भी प्रावधान इसमें किया गया है.

प्रशिक्षु वकील आशीष ने कहा कि नए कानून को अपनाने और अभ्यास में लाने में थोड़ा समय लगेगा. अभी तक सभी वकीलों और पुलिसकर्मियों को पुराने कानून के तहत ही काम करने का अभ्यास है. लेकिन, आज से कानून लागू होने के बाद अब इनको अभ्यास में लाने का काम भी शुरू हो गया है. धीरे-धीरे यह सभी कानून भी लोगों की जानकारी और अभ्यास में आ जाएंगे. इन कानूनों में त्वरित न्याय पर विशेष ध्यान दिया गया है. साथ ही बढ़ते हुए साइबर क्राइम के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए भी कई सारे प्रावधान इन कानून में जोड़े गए हैं.

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