ETV Bharat / state

'तारीख पे तारीख...तारीख पे तारीख' से मिलेगा छुटकारा, विशेषज्ञों ने नये आपराधिक कानूनों की बतायी खासियत - New Criminal Law

author img

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 1, 2024, 7:36 PM IST

Updated : Jul 1, 2024, 8:21 PM IST

Three new laws implemented आज से देश में तीन कानून लागू हो गये हैं. जिनमें भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), भारतीय न्याय संहिता (BNS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) शामिल हैं. अंग्रेजों के समय के बने हुए कानून भारतीय दंड संहिता (IPC), भारतीय साक्ष्य अधिनियम (IEC) और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CRPC) के बदले ये कानून आज से लागू हुए हैं. इसके बाद से कहा जा रहा है कि लोगों को न्याय पाने में सहूलियत होगी. थानों के चक्कर नहीं काटने होंगे.

तीन आपराधिक कानून लागू.
तीन आपराधिक कानून लागू. (ETV Bharat)
नये आपराधिक कानूनों की खासियत. (ETV Bharat)

पटना: देश भर में एक जुलाई सोमवार से तीन आपराधिक कानून- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता लागू हो गयी है. इन विधेयकों को पिछले साल शीतकालीन सत्र में लोकसभा एवं राज्यसभा से पारित किया गया था. नए नियम में कुछ बदलाव किए गए हैं, बहुत सारी पुरानी धाराएं हटाई गई हैं. जिसके चलते कानूनी प्रक्रिया में बदलाव आएगा. विशेषज्ञों से बातचीत के आधार पर हम आपको बताने जा रहे हैं कि क्या-क्या बदलाव हुए हैं और पब्लिक को क्या सहूलिय होगी.

जजमेंट की समय सीमा तयः हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद सिंह का मानना है कि भारत सरकार का सराहनीय कदम है. पुराने कानून में जो धाराएं थी उसकी अब बहुत ज्यादा अहमियत नहीं रह गईं थीं. जिन धाराओं की जरुरत अब नहीं रह गई थी उन धाराओं को विलोपित कर दिया गया है. पहले जितनी धारा थी वह लगभग आधी हो गई है. नए कानून में अब कोर्ट को भी जिम्मेदार बनाया गया है. पहले के कानून में यह नहीं था कि कितने दिनों में किसी मामले पर जजमेंट देना है. लेकिन नए कानून में समय सीमा तय की गई है.

3
3 (3)

"नए कानून आने के बाद अब समय सीमा के तहत लोगों को न्याय मिलेगा. कानून बनाए गए हैं लेकिन पूरे देश में जो न्यायालय की संख्या है और न्यायाधीशों की संख्या है उसको भी बढ़ाने की जरूरत है. पूरे देश में अभी लाखों केस लंबित हैं."- अरविंद सिंह, एडवोकेट, पटना हाई कोर्ट

कानून व्यवस्था में सुधार देखने को मिलेगाः वरिष्ठ पत्रकार सुनील पांडेय का कहना है कि समय के अनुसार सब कुछ आधुनिक हो रहा है, तो फिर कानून एवं उनके अनुसंधान के तरीके पुराने क्यों रहे. अब आप किसी भी तरह की घटना के लिए कहीं भी प्राथमिकी दर्ज करवा सकते हैं. यदि आपके साथ कोई घटना घटती है तो घर बैठे ऑनलाइन भी आप कंप्लेंन कर सकते हैं. महिलाओं एवं बच्चों के साथ होने वाली घटना के लिए महिला पुलिस को जांच का अधिकार दिया गया है. कानून व्यवस्था में व्यापक सुधार देखने को मिलेगा.

नये कानून की जानकारी लेते लोग.
नये कानून की जानकारी लेते लोग. (ETV Bharat)

"आजादी के 75 वर्षों के बाद देर से उठाया गया, यह दुरुस्त कदम है. नए कानून से अनुसंधान नए तरीके और आधुनिक तरीके से हो पाना संभव होगा. नए कानून के आने के बाद लोगों को बहुत सहूलियत मिलेगी."- सुनील पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार

जल्द न्याय दिलवाने वाले कानून की जरूरतः आज से लागू हुए तीन नए कानून पर आम लोग भी खुश हैं. धर्मदेव यादव का कहना है कि पहले न्याय प्रक्रिया में बहुत लंबा वक्त लगता था. अंग्रेजों के बने हुए कानून में न्याय की प्रक्रिया में बहुत देरी होती थी. देश की आबादी बड़ी है और अपराध का नया-नया रूप भी देखने को मिल रहा है. इसलिए ऐसे कानून की जरूरत थी जो जल्द से जल्द न्याय दिलवाने में मददगार हो. भारत सरकार के द्वारा लाया गया कानून आम लोगों के लिए भविष्य में फायदेमंद होगा.

सूचना के अधिकार कानून से तुलनाः राकेश कुमार ठाकुर का कहना है कि कानून तो बन गए हैं लेकिन जब तक पुलिस अपनी जवाबदेही सही ढंग से नहीं निभाएंगी तो कानून फिर लाचार ही दिखेगी. वैसे सरकार ने कानून लाकर सब कुछ तय समय सीमा के अंदर में करने का नियम बनाया है. लेकिन, इंसाफ कितने दिनों में मिलेगा यह देखने वाली बात होगी. राकेश ने कहा कि सूचना का अधिकार कानून जब लागू हुआ था उसमें भी समय सीमा निर्धारित की गई थी, लेकिन कितने दिनों में लोगों को सूचना उपलब्ध करवाई जाती है, सबको पता है.

नये कानून की जानकारी देती पुलिस.
नये कानून के बारे में जानकारी देती पुलिस. (ETV Bharat)

पुलिसकर्मियों को दिया गया प्रशिक्षणः नये आपराधिक कानून को लेकर सोमवार को पटना के विभिन्न थानों में सेमिनार का आयोजन किया गया. सभी थानों में आम जनता और पुलिसकर्मी बैठकर नए कानून के बारे में जानकारी प्राप्त किया. पटना के कोतवाली थाना, शास्त्री नगर थाना, बुद्धा कॉलोनी थाना, गांधी मैदान थाना के साथ-साथ सभी थानों में आम जनता को इस नये कानून के बारे में बताया गया. बिहार में 25 हजार से अधिक पुलिसकर्मियों को नया कानून के तहत प्रशिक्षण दिया जा चुका है.

"यह कानून काफी अच्छा है. आम लोगों को काफी सहूलियत होगी. पहले लोगों को अपनी शिकायत दर्ज करने के लिए घटनास्थल के चक्कर लगाने पड़ते थे लेकिन अब प्राथमिकी दर्ज करने के लिए थाना पर आने की जरूरत नहीं पड़ेगी. डिजिटल शिकायत दर्ज करा सकते हैं. आपकी शिकायत थाना में पहुंचते ही प्राथमिकी दर्ज कर ली जाएगी."- चंद्र प्रकाश, सिटी एसपी, पटना

आम लोगों को दी जा रही जानकारीः पटना ग्रामीण एसपी रोशन कुमार और सिटी एसपी मध्य संयुक्त रूप से आज नए कानून के बारे में जानकारी दी. इन लोगों ने बताया कि यह कानून सहूलियत और पारदर्शिता से भरा है. इस कानून से आम जनता को काफी सहूलियत मिलेगी. साथ-साथ उन्होंने बताया कि पटना के सभी थानों में आम लोग और पुलिसकर्मी एक साथ शिरकत कर इस कानून के विषय में जानकारी ले रहे हैं.

पुराने केस का क्या होगाः देश में तीन नए कानून लागू हो गए हैं, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि पूरे देश में करोड़ों मामले अभी भी चल रहे हैं, उनका क्या होगा. सरकार ने फैसला किया है कि नए कानून बनने के बाद भी पुराने कानून के तहत केस चलता रहेगा. जिन मामलों की सुनवाई पिछले कानून के आधार पर हो रही थी, उन पर पुराना कानून ही लागू होगा. यानी कि एक जुलाई 2024 से पहले दर्ज सभी मामलों पर नए कानून का असर नहीं होगा, जबकि आज से दर्ज हुए सभी मामलों की सुनवाई अब नए कानून के आधार पर होगी.

2 महीने में देनी होगी जांच रिपोर्टः नए कानून में महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराधों की जांच को प्रायोरिटी पर रखा गया है. नए कानून के मुताबिक मामले दर्ज किए जाने के दो महीने के भीतर जांच पूरी करनी होगी. पीड़िता को 90 दिन के भीतर मामले की प्रगति पर नियमित रूप से जानकारी पाने का अधिकार होगा. दुष्कर्म मामले में पीड़िता का बयान ऑडियो-वीडियो माध्यम से दर्ज किया जाएगा. महिलाओं, 15 वर्ष से कम, 60 वर्ष से अधिक, दिव्यांग या गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को थाने आने से छूट दी जाएगी.

बच्चों के लिए विशेष कानूनः नए कानून में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हो रही आपराधिक वारदातों के लिए नया नियम बनाया गया है. नए कानून के मुताबिक किसी बच्चे को खरीदना और बेचना जघन्य अपराध बनाया गया है. किसी नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म के लिए मृत्युदंड या उम्रकैद का प्रावधान जोड़ा गया है. भारतीय दंड संहिता(IPC) में 511 धाराएं थीं. लेकिन आज से लागू होने वाली भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं होगी.

हत्या-आत्महत्या संबंधी धाराएं बदलीः लूट संबंधी अपराध के लिए नई धारा लागू की गयी है. IPC 392 के बदले BNS 309, 393 के 309(5), 394 के बदले 309(6) धारा के तहत केस दर्ज होगा. हत्या-आत्महत्या जैसे अपराध के लिए IPC 302 के बदले BND 101, 304(B) के बदले 80(2), 306 के बदले 108, 307 के बदले 109, 304 के बदले 105, 308 के बदले 110 धारा के तहत केस दर्ज होगा.

इसे भी पढ़ेंः

नये आपराधिक कानूनों की खासियत. (ETV Bharat)

पटना: देश भर में एक जुलाई सोमवार से तीन आपराधिक कानून- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता लागू हो गयी है. इन विधेयकों को पिछले साल शीतकालीन सत्र में लोकसभा एवं राज्यसभा से पारित किया गया था. नए नियम में कुछ बदलाव किए गए हैं, बहुत सारी पुरानी धाराएं हटाई गई हैं. जिसके चलते कानूनी प्रक्रिया में बदलाव आएगा. विशेषज्ञों से बातचीत के आधार पर हम आपको बताने जा रहे हैं कि क्या-क्या बदलाव हुए हैं और पब्लिक को क्या सहूलिय होगी.

जजमेंट की समय सीमा तयः हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद सिंह का मानना है कि भारत सरकार का सराहनीय कदम है. पुराने कानून में जो धाराएं थी उसकी अब बहुत ज्यादा अहमियत नहीं रह गईं थीं. जिन धाराओं की जरुरत अब नहीं रह गई थी उन धाराओं को विलोपित कर दिया गया है. पहले जितनी धारा थी वह लगभग आधी हो गई है. नए कानून में अब कोर्ट को भी जिम्मेदार बनाया गया है. पहले के कानून में यह नहीं था कि कितने दिनों में किसी मामले पर जजमेंट देना है. लेकिन नए कानून में समय सीमा तय की गई है.

3
3 (3)

"नए कानून आने के बाद अब समय सीमा के तहत लोगों को न्याय मिलेगा. कानून बनाए गए हैं लेकिन पूरे देश में जो न्यायालय की संख्या है और न्यायाधीशों की संख्या है उसको भी बढ़ाने की जरूरत है. पूरे देश में अभी लाखों केस लंबित हैं."- अरविंद सिंह, एडवोकेट, पटना हाई कोर्ट

कानून व्यवस्था में सुधार देखने को मिलेगाः वरिष्ठ पत्रकार सुनील पांडेय का कहना है कि समय के अनुसार सब कुछ आधुनिक हो रहा है, तो फिर कानून एवं उनके अनुसंधान के तरीके पुराने क्यों रहे. अब आप किसी भी तरह की घटना के लिए कहीं भी प्राथमिकी दर्ज करवा सकते हैं. यदि आपके साथ कोई घटना घटती है तो घर बैठे ऑनलाइन भी आप कंप्लेंन कर सकते हैं. महिलाओं एवं बच्चों के साथ होने वाली घटना के लिए महिला पुलिस को जांच का अधिकार दिया गया है. कानून व्यवस्था में व्यापक सुधार देखने को मिलेगा.

नये कानून की जानकारी लेते लोग.
नये कानून की जानकारी लेते लोग. (ETV Bharat)

"आजादी के 75 वर्षों के बाद देर से उठाया गया, यह दुरुस्त कदम है. नए कानून से अनुसंधान नए तरीके और आधुनिक तरीके से हो पाना संभव होगा. नए कानून के आने के बाद लोगों को बहुत सहूलियत मिलेगी."- सुनील पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार

जल्द न्याय दिलवाने वाले कानून की जरूरतः आज से लागू हुए तीन नए कानून पर आम लोग भी खुश हैं. धर्मदेव यादव का कहना है कि पहले न्याय प्रक्रिया में बहुत लंबा वक्त लगता था. अंग्रेजों के बने हुए कानून में न्याय की प्रक्रिया में बहुत देरी होती थी. देश की आबादी बड़ी है और अपराध का नया-नया रूप भी देखने को मिल रहा है. इसलिए ऐसे कानून की जरूरत थी जो जल्द से जल्द न्याय दिलवाने में मददगार हो. भारत सरकार के द्वारा लाया गया कानून आम लोगों के लिए भविष्य में फायदेमंद होगा.

सूचना के अधिकार कानून से तुलनाः राकेश कुमार ठाकुर का कहना है कि कानून तो बन गए हैं लेकिन जब तक पुलिस अपनी जवाबदेही सही ढंग से नहीं निभाएंगी तो कानून फिर लाचार ही दिखेगी. वैसे सरकार ने कानून लाकर सब कुछ तय समय सीमा के अंदर में करने का नियम बनाया है. लेकिन, इंसाफ कितने दिनों में मिलेगा यह देखने वाली बात होगी. राकेश ने कहा कि सूचना का अधिकार कानून जब लागू हुआ था उसमें भी समय सीमा निर्धारित की गई थी, लेकिन कितने दिनों में लोगों को सूचना उपलब्ध करवाई जाती है, सबको पता है.

नये कानून की जानकारी देती पुलिस.
नये कानून के बारे में जानकारी देती पुलिस. (ETV Bharat)

पुलिसकर्मियों को दिया गया प्रशिक्षणः नये आपराधिक कानून को लेकर सोमवार को पटना के विभिन्न थानों में सेमिनार का आयोजन किया गया. सभी थानों में आम जनता और पुलिसकर्मी बैठकर नए कानून के बारे में जानकारी प्राप्त किया. पटना के कोतवाली थाना, शास्त्री नगर थाना, बुद्धा कॉलोनी थाना, गांधी मैदान थाना के साथ-साथ सभी थानों में आम जनता को इस नये कानून के बारे में बताया गया. बिहार में 25 हजार से अधिक पुलिसकर्मियों को नया कानून के तहत प्रशिक्षण दिया जा चुका है.

"यह कानून काफी अच्छा है. आम लोगों को काफी सहूलियत होगी. पहले लोगों को अपनी शिकायत दर्ज करने के लिए घटनास्थल के चक्कर लगाने पड़ते थे लेकिन अब प्राथमिकी दर्ज करने के लिए थाना पर आने की जरूरत नहीं पड़ेगी. डिजिटल शिकायत दर्ज करा सकते हैं. आपकी शिकायत थाना में पहुंचते ही प्राथमिकी दर्ज कर ली जाएगी."- चंद्र प्रकाश, सिटी एसपी, पटना

आम लोगों को दी जा रही जानकारीः पटना ग्रामीण एसपी रोशन कुमार और सिटी एसपी मध्य संयुक्त रूप से आज नए कानून के बारे में जानकारी दी. इन लोगों ने बताया कि यह कानून सहूलियत और पारदर्शिता से भरा है. इस कानून से आम जनता को काफी सहूलियत मिलेगी. साथ-साथ उन्होंने बताया कि पटना के सभी थानों में आम लोग और पुलिसकर्मी एक साथ शिरकत कर इस कानून के विषय में जानकारी ले रहे हैं.

पुराने केस का क्या होगाः देश में तीन नए कानून लागू हो गए हैं, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि पूरे देश में करोड़ों मामले अभी भी चल रहे हैं, उनका क्या होगा. सरकार ने फैसला किया है कि नए कानून बनने के बाद भी पुराने कानून के तहत केस चलता रहेगा. जिन मामलों की सुनवाई पिछले कानून के आधार पर हो रही थी, उन पर पुराना कानून ही लागू होगा. यानी कि एक जुलाई 2024 से पहले दर्ज सभी मामलों पर नए कानून का असर नहीं होगा, जबकि आज से दर्ज हुए सभी मामलों की सुनवाई अब नए कानून के आधार पर होगी.

2 महीने में देनी होगी जांच रिपोर्टः नए कानून में महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराधों की जांच को प्रायोरिटी पर रखा गया है. नए कानून के मुताबिक मामले दर्ज किए जाने के दो महीने के भीतर जांच पूरी करनी होगी. पीड़िता को 90 दिन के भीतर मामले की प्रगति पर नियमित रूप से जानकारी पाने का अधिकार होगा. दुष्कर्म मामले में पीड़िता का बयान ऑडियो-वीडियो माध्यम से दर्ज किया जाएगा. महिलाओं, 15 वर्ष से कम, 60 वर्ष से अधिक, दिव्यांग या गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को थाने आने से छूट दी जाएगी.

बच्चों के लिए विशेष कानूनः नए कानून में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हो रही आपराधिक वारदातों के लिए नया नियम बनाया गया है. नए कानून के मुताबिक किसी बच्चे को खरीदना और बेचना जघन्य अपराध बनाया गया है. किसी नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म के लिए मृत्युदंड या उम्रकैद का प्रावधान जोड़ा गया है. भारतीय दंड संहिता(IPC) में 511 धाराएं थीं. लेकिन आज से लागू होने वाली भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं होगी.

हत्या-आत्महत्या संबंधी धाराएं बदलीः लूट संबंधी अपराध के लिए नई धारा लागू की गयी है. IPC 392 के बदले BNS 309, 393 के 309(5), 394 के बदले 309(6) धारा के तहत केस दर्ज होगा. हत्या-आत्महत्या जैसे अपराध के लिए IPC 302 के बदले BND 101, 304(B) के बदले 80(2), 306 के बदले 108, 307 के बदले 109, 304 के बदले 105, 308 के बदले 110 धारा के तहत केस दर्ज होगा.

इसे भी पढ़ेंः

Last Updated : Jul 1, 2024, 8:21 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.