बालोद: जिले में बच्चों का पोषण संवारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली मिड डे मील के रसोइए अब गांव गांव नशे पर प्रतिबंध लगाने महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. इस संबंध में गुरुवार को बालोद के स्वामी विवेकानंद सभागार में महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया. ड्रग निरीक्षकों ने खाना बनाने वाली महिलाओं को गांव में नशे की लत वाले बच्चों में इस तरह के लक्षण दिखने पर इसकी सूचना सीधे ड्रग निरीक्षकों को देंगे.
गांव गांव रोकना है नशे का व्यापार: बालोद जिले के ड्रग निरीक्षक दीपिका चुरेंद्र ने बताया, "यहां पर हम गांव गांव यह लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहे हैं कि गांव में जो नशीले पदार्थ बिकते हैं, इस पर लगाम लगाया जा सके. इसके लिए गांव में जो हमारी महिलाएं हैं, वह इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं."
रसोइयों की भूमिका महत्वपूर्ण: मध्यान्ह भोजन प्रभारी रजनी वैष्णव ने बताया, "मध्यान्ह भोजन बनाने वाली महिलाएं सीधे सीधे गांव के बच्चों से जुड़े होते हैं. बच्चों के जरिए वे उनके परिवार से भी जुड़े रहते हैं. यहीं वजह है कि यहां पर महिलाएं नशीली दवाई के व्यापार को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं. सभी महिलाओं को बताया गया है कि बच्चों में नशीली दवाओं के आदतों के लक्षण दिखके ही वे इसकी सूचना सीधे ड्रग निरीक्षकों को देंगे, ताकि इस अवैध व्यापार पर लगाम लगाया जा सके."
आपको बता दें कि गांव गांव नशे पर प्रतिबंध लगाने के लिए इस पहल में कई गांव के मिड डे मिल रसोइयों ने भाग लिया. रसोइयों की इस महत्वपूर्ण कार्यशाला में बालोद जिले के बीईओ बसंत बाघ और ड्रग निरीक्षक भास्कर सिंह राठौर भी मौजूद रहे.