रांची: झारखंड में नशे के तस्करों का जाल लगातार फैलता जा रहा है. रांची सहित कई बड़े शहर तस्करों के जद में हैं. खासकर सूखा नशा युवा पीढ़ी के लिए बेहद घातक साबित हो रहा है. ब्राउन शुगर, कोकीन और ब्लैक स्टोन की लत युवाओं को अपराध की दुनिया की तरफ धकेल ही रही है, साथ मे उन्हें मानसिक रोगी भी बना रही है.
सबसे खतरनाक है ब्राउन शुगर
पिछले दो वर्षों के दौरान राजधानी रांची में ब्राउन शुगर का कारोबार तेजी के साथ पनपा है. जानकारों की मानें तो ब्राउन शुगर का नशा सबसे ज्यादा घातक है. रिनपास के वरीय मनोचिकित्सक डॉ सिद्धार्थ सिन्हा के अनुसार रिनपास में आने वाले 30% युवा ब्राउन शुगर की लत के शिकार हैं, उनके परिजन उन्हें ब्राउन शुगर की लत को छुड़ाने के लिए रिनपास ला रहे हैं. डॉक्टरों के अनुसार सूखे नशे में पहले सिर्फ गांजा का इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन अब गांजा पुरानी बात हो चुकी है. अब सबसे ज्यादा प्रचलन में ब्राउन शुगर है. ब्राउन शुगर बेहद घातक नशा है.
पांच डोज के बाद आदि हो जाता है इंसान
नशे के तस्कर ब्राउन शुगर को 0.10 ग्राम का पुड़िया बना कर बाजार में बेचते हैं. नशे के आदि युवाओं को हर दिन 0.30 ग्राम की जरूरत होती है. अगर इतना ब्राउन शुगर उन्हें एक दिन नहीं मिलेगा तो वे बेचैन हो जाते हैं. नशे के आदि दिन भर में 0.30 ब्राउन शुगर को एक डोज का नाम देते है. डॉक्टर बताते हैं कि अगर कोई भी इंसान लगातार पांच डोज ब्राउन शुगर का ले लेता है तो वह इस नशे का आदि हो जाता है. इसके बाद हर दिन ब्राउन शुगर का डोज उस इंसान को हर कीमत पर चाहिए ही.
दरअसल ब्राउन शुगर को अफीम से बनाया जाता है, इसे बनाने के लिए अफीम, हेरोइन और स्मैक तीनों का इस्तेमाल किया जाता है, इसलिए इसका नशा बेहद घातक होता है. कई बार इसके हैवी डोज से इंसान की जान भी चली जाती है.
काउंसलिंग में चौकाने वाले खुलासे
रिनपास में ब्राउन शुगर के आदि युवा जब अपने इलाज के लिए आते हैं तब उनके काउंसलिंग के साथ-साथ उन्हें दवा भी उपलब्ध करवाई जाती है. काउंसलिंग में आने वाले ड्रग्स एडिक्ट युवाओं ने कई चौकाने वाले खुलासे किए हैं. रिनपास में हुई काउंसलिंग में ड्रग एडिक्ट युवाओं ने बताया है कि दरअसल राजधानी में ब्राउन शुगर का इस्तेमाल ग्रुप में होता है.
कई ऐसे ग्रुप बने हुए हैं जिसमें 12 से ज्यादा युवा शामिल हैं और वह सभी ब्राउन शुगर का इस्तेमाल करते हैं. नए लड़के और लड़कियां भी शौकिया तौर पर पहले ब्राउन शुगर का इस्तेमाल करते हैं लेकिन तीन-चार दिन के बाद ही वह इसके एडिक्ट हो जाते हैं.
परिजन जान गए तो बच गई जान, लेकिन हॉस्टल में है खराब स्थिति
रांची रिनपास अस्पताल में आने वाले मरीजों में 30% युवा मरीज ऐसे है जो सिर्फ और सिर्फ ब्राउन शुगर की लत से पीछा छुड़ाना चाहते हैं. 30% में वैसे मरीज ही है जिनके परिजनों को यह जानकारी मिल चुकी है कि उनके बच्चे ड्रग्स एडिक्ट हो चुके हैं. रिनपास के डॉक्टर सिद्धार्थ सिन्हा के अनुसार जिन युवाओं को उनके परिजनों का साथ मिल रहा है वह धीरे-धीरे रिकवर कर रहे हैं, लेकिन एक बड़ी संख्या ऐसी भी है जो लोग इलाज के लिए अस्पताल तक पहुंच नहीं पा रहे हैं. क्योंकि उनमें से अधिकांश हॉस्टल में रह रहे हैं या फिर अपने परिवार से दूर रहकर किराए के मकान में रहते है.
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