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NEET UG और विवादों का रहा है साथ, कभी पेपर लीक, तो कभी हुई गड़बड़ियां - NEET UG

मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए आयोजित होने वाली परीक्षाओं में विवाद लगातार होते आए हैं. वर्तमान में नीट यूजी और पहले एआईपीएमटी आयोजित होती थी. इनमें दो बार पेपर लीक हुए. इसके अलावा परीक्षा के आयोजन में भी गड़बड़ियां लगातार सामने आती रही हैं. जिसमें प्रश्न पत्र में गलतियां और आयोजन चूक होना सामने आया है.

NEET UG exam
नीट यूजी परीक्षा (ETV Bharat Kota)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 7, 2024, 10:36 PM IST

कोटा. मेडिकल एंट्रेंस के लिए आयोजित होने वाली परीक्षाओं का विवादों से नाता रहा है. यहां तक की मेडिकल प्रवेश परीक्षा में दो बार पेपर लीक हुए हैं. इसके अलावा परीक्षा के आयोजन में भी गड़बड़ियां लगातार सामने आती रही हैं. जिसमें प्रश्न पत्र में गलतियां और आयोजन चूक होना सामने आया है. जिस तरह इस बार राजस्थान के सवाई माधोपुर में अंग्रेजी माध्यम के विद्यार्थियों को हिंदी माध्यम का प्रश्न पत्र दे दिया गया था. ऐसा ही साल 2022 में देश के कई सेंटरों पर हुआ था.

एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा का कहना है कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की नीट यूजी परीक्षा और न्यायालय का चोली दामन का साथ है. हर बार नीट यूजी परीक्षा में गड़बड़ी होती है और कई विद्यार्थी इनको लेकर न्यायालय की शरण में चले जाते हैं. इसी के चलते ही परीक्षा का रिजल्ट और काउंसलिंग प्रभावित होती है.

पढ़ें: NEET परीक्षा के दौरान सवाई माधोपुर में जोरदार हंगामा, अभ्यर्थियों ने लगाए ये गंभीर आरोप - Uproar In Sawai Madhopur

प्राइवेट कॉलेज में महंगी फीस, यह भी बड़ा मुद्दा: मेडिकल शिक्षा में लगभग 50-50 फीसदी सरकारी और गैर सरकारी कॉलेज का हिस्सा है. सरकारी कॉलेज में फीस काफी कम है. एम्स जैसे बड़े संस्थानों में तो एमबीबीएस की पूरी पढ़ाई ही 7500 रुपए में हो जाती है, जबकि निजी कॉलेजों में 1.25 करोड़ तक फीस है. इसीलिए जहां भारत में वर्तमान में 1.10 लाख के आसपास एमबीबीएस की सीट हैं. इनमें से आधी करीब 55 हजार सरकारी है. जिनमें प्रवेश के इच्छुक अभ्यर्थी रहते हैं. इसलिए कुछ भी गड़बड़झाला होने पर पैरेंट्स और अभ्यर्थी न्यायालय का दरवाजा भी खटखटा लेते हैं.

पढ़ें: 2022-2023 में क्वालीफाई हुए 56 फीसदी कैंडिडेट, 2024 में नंबर पहुंचेगा 13 लाख पार - NEET UG

पेपर लीक से लेकर यह गड़बड़झाले तक हुए परीक्षा में:

  1. नीट यूजी के पहले ऑल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट आयोजित किया जाता था. 2004 में पेपर आउट होने पर सभी स्टूडेंट के लिए दोबारा हुआ था.
  2. साल 2015 में एआईपीएमटी का 3 मई को हुआ पेपर आउट हो गया था. यह मामला सुप्रीम कोर्ट में गया. कोर्ट ने दोबारा परीक्षा के निर्देश दिए. इसलिए 25 जुलाई, 2015 में एग्जाम दोबारा लिया गया था.
  3. साल 2016 में एआईपीएमटी की परीक्षा मई महीने में थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल के अंतिम सप्ताह में ही एआईपीएमटी को हटाकर neet-ug को मान्यता दे दी थी. सभी को नीट यूजी के दायरे में लाने की घोषणा भी कर दी गई. ऐसे में 1 मई वाली परीक्षा को neet-ug 1 माना गया. छूटे गए विद्यार्थियों के लिए 24 जुलाई को neet-ug 2 की परीक्षा हुई थी. हालांकि इसमें पहले परीक्षा दे चुके विद्यार्थियों को ऑप्शन छूट दी गई थी कि वह इसमें भाग ले भी सकते हैं और नहीं भी.
  4. नीट यूजी 2021 में भी बॉम्बे हाईकोर्ट ने दो विद्यार्थियों का दोबारा परीक्षा लेने के आदेश दिए थे. हालांकि उच्चतम न्यायालय ने इन्हें खारिज कर दिया. इस मामले में भी इनविजीलेटर की गलती से टेस्ट बुक और ओएमआर शीट मिक्स हो गई थी.
  5. नीट यूजी 2021 में पूछे गए फिजिक्स के एक प्रश्न को लेकर विवाद हुआ था. जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में स्टूडेंट्स प्रतिनिधि चले गए थे. इस प्रश्न में हिंदी और अंग्रेजी अनुवाद में अंतर था. इस मामले में भी न्यायालय की शरण में विद्यार्थी चले गए थे.
  6. 17 जुलाई, 2022 को हुई परीक्षा में कई केन्द्रों पर दूसरे माध्यम के प्रश्न पत्र विद्यार्थियों को दे दिए गए थे. जिनके चलते अभ्यर्थियों को काफी परेशानी हुई थी. इन परीक्षा केन्द्रों में महात्मा कॉलेज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी कोल्लम केरल, आर्मी पब्लिक स्कूल व साधावली केंट श्रीगंगानगर राजस्थान, केन्द्रीय विद्यालय हरदा रोड होशंगाबाद मध्यप्रदेश, पीजी सीनियर सैकंडरी स्कूल कप्तानगंज कुशीनगर उत्तर प्रदेश, माउंट लिटेरा जी स्कूल भिंड मध्यप्रदेश और सेंट पॉल्स स्कूल डीडवाना रोड कुचामन नागौर राजस्थान ऐसे परीक्षा केन्द्र शामिल थे. इसके साथ ही कोटा के प्रगति पब्लिक स्कूल और यूपी के प्रतापगढ़ के एक परीक्षा केन्द्र में भी अनियमितता की शिकायत आई थी. इनमें से कुछ सेंटर पर दोबारा परीक्षा भी हुई थी.
  7. हर साल नीट यूजी के पूछे जाने वाले एक या दो प्रश्न पर विवाद खड़ा होता है, इन्हीं पर अभ्यर्थी विरोध भी करते हैं.

कोटा. मेडिकल एंट्रेंस के लिए आयोजित होने वाली परीक्षाओं का विवादों से नाता रहा है. यहां तक की मेडिकल प्रवेश परीक्षा में दो बार पेपर लीक हुए हैं. इसके अलावा परीक्षा के आयोजन में भी गड़बड़ियां लगातार सामने आती रही हैं. जिसमें प्रश्न पत्र में गलतियां और आयोजन चूक होना सामने आया है. जिस तरह इस बार राजस्थान के सवाई माधोपुर में अंग्रेजी माध्यम के विद्यार्थियों को हिंदी माध्यम का प्रश्न पत्र दे दिया गया था. ऐसा ही साल 2022 में देश के कई सेंटरों पर हुआ था.

एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा का कहना है कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की नीट यूजी परीक्षा और न्यायालय का चोली दामन का साथ है. हर बार नीट यूजी परीक्षा में गड़बड़ी होती है और कई विद्यार्थी इनको लेकर न्यायालय की शरण में चले जाते हैं. इसी के चलते ही परीक्षा का रिजल्ट और काउंसलिंग प्रभावित होती है.

पढ़ें: NEET परीक्षा के दौरान सवाई माधोपुर में जोरदार हंगामा, अभ्यर्थियों ने लगाए ये गंभीर आरोप - Uproar In Sawai Madhopur

प्राइवेट कॉलेज में महंगी फीस, यह भी बड़ा मुद्दा: मेडिकल शिक्षा में लगभग 50-50 फीसदी सरकारी और गैर सरकारी कॉलेज का हिस्सा है. सरकारी कॉलेज में फीस काफी कम है. एम्स जैसे बड़े संस्थानों में तो एमबीबीएस की पूरी पढ़ाई ही 7500 रुपए में हो जाती है, जबकि निजी कॉलेजों में 1.25 करोड़ तक फीस है. इसीलिए जहां भारत में वर्तमान में 1.10 लाख के आसपास एमबीबीएस की सीट हैं. इनमें से आधी करीब 55 हजार सरकारी है. जिनमें प्रवेश के इच्छुक अभ्यर्थी रहते हैं. इसलिए कुछ भी गड़बड़झाला होने पर पैरेंट्स और अभ्यर्थी न्यायालय का दरवाजा भी खटखटा लेते हैं.

पढ़ें: 2022-2023 में क्वालीफाई हुए 56 फीसदी कैंडिडेट, 2024 में नंबर पहुंचेगा 13 लाख पार - NEET UG

पेपर लीक से लेकर यह गड़बड़झाले तक हुए परीक्षा में:

  1. नीट यूजी के पहले ऑल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट आयोजित किया जाता था. 2004 में पेपर आउट होने पर सभी स्टूडेंट के लिए दोबारा हुआ था.
  2. साल 2015 में एआईपीएमटी का 3 मई को हुआ पेपर आउट हो गया था. यह मामला सुप्रीम कोर्ट में गया. कोर्ट ने दोबारा परीक्षा के निर्देश दिए. इसलिए 25 जुलाई, 2015 में एग्जाम दोबारा लिया गया था.
  3. साल 2016 में एआईपीएमटी की परीक्षा मई महीने में थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल के अंतिम सप्ताह में ही एआईपीएमटी को हटाकर neet-ug को मान्यता दे दी थी. सभी को नीट यूजी के दायरे में लाने की घोषणा भी कर दी गई. ऐसे में 1 मई वाली परीक्षा को neet-ug 1 माना गया. छूटे गए विद्यार्थियों के लिए 24 जुलाई को neet-ug 2 की परीक्षा हुई थी. हालांकि इसमें पहले परीक्षा दे चुके विद्यार्थियों को ऑप्शन छूट दी गई थी कि वह इसमें भाग ले भी सकते हैं और नहीं भी.
  4. नीट यूजी 2021 में भी बॉम्बे हाईकोर्ट ने दो विद्यार्थियों का दोबारा परीक्षा लेने के आदेश दिए थे. हालांकि उच्चतम न्यायालय ने इन्हें खारिज कर दिया. इस मामले में भी इनविजीलेटर की गलती से टेस्ट बुक और ओएमआर शीट मिक्स हो गई थी.
  5. नीट यूजी 2021 में पूछे गए फिजिक्स के एक प्रश्न को लेकर विवाद हुआ था. जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में स्टूडेंट्स प्रतिनिधि चले गए थे. इस प्रश्न में हिंदी और अंग्रेजी अनुवाद में अंतर था. इस मामले में भी न्यायालय की शरण में विद्यार्थी चले गए थे.
  6. 17 जुलाई, 2022 को हुई परीक्षा में कई केन्द्रों पर दूसरे माध्यम के प्रश्न पत्र विद्यार्थियों को दे दिए गए थे. जिनके चलते अभ्यर्थियों को काफी परेशानी हुई थी. इन परीक्षा केन्द्रों में महात्मा कॉलेज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी कोल्लम केरल, आर्मी पब्लिक स्कूल व साधावली केंट श्रीगंगानगर राजस्थान, केन्द्रीय विद्यालय हरदा रोड होशंगाबाद मध्यप्रदेश, पीजी सीनियर सैकंडरी स्कूल कप्तानगंज कुशीनगर उत्तर प्रदेश, माउंट लिटेरा जी स्कूल भिंड मध्यप्रदेश और सेंट पॉल्स स्कूल डीडवाना रोड कुचामन नागौर राजस्थान ऐसे परीक्षा केन्द्र शामिल थे. इसके साथ ही कोटा के प्रगति पब्लिक स्कूल और यूपी के प्रतापगढ़ के एक परीक्षा केन्द्र में भी अनियमितता की शिकायत आई थी. इनमें से कुछ सेंटर पर दोबारा परीक्षा भी हुई थी.
  7. हर साल नीट यूजी के पूछे जाने वाले एक या दो प्रश्न पर विवाद खड़ा होता है, इन्हीं पर अभ्यर्थी विरोध भी करते हैं.
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