ETV Bharat / state

Rajasthan: NEET UG 2024 : आयुष कोर्सेज में नहीं टॉपर्स का रुझान, टॉप 50 हजार AIR में महज 638 कैंडिडेट ने किया आवेदन - AYUSH COURSES

नीट यूजी 2024. आयुष कोर्सेज में नहीं टॉपर्स का रुझान. टॉप 50 हजार AIR में महज 638 कैंडिडेट ने किया आवेदन.

NEET UG 2024
आयुष कोर्सेज में नहीं टॉपर्स का रुझान (ETV Bharat GFX)
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 19, 2024, 8:05 PM IST

कोटा: नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के आयोजित नीट यूजी परीक्षा के परिणाम के आधार पर मेडिकल के अलावा डेंटल आयुष और नर्सिंग की काउंसलिंग भी जारी है. आयुष काउंसलिंग में बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी (BAMS), बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी (BHMS), बैचलर ऑफ यूनानी मेडिसिन एंड सर्जरी (BUMS), बैचलर ऑफ नेचुरोपैथी एंड योग साइंस (BNYS) व बैचलर ऑफ सिद्ध मेडिसिन एंड सर्जरी (BSMS) में एडमिशन के लिए हो रही है, लेकिन इन कोर्सेस में टॉपर्स कैंडिडेट का कोई रुझान नहीं है.

एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा ने बताया कि अंडरग्रैजुएट कोर्सेज में प्रवेश की स्थिति दयनीय है. दुर्दशा यह है कि इन अंडरग्रैजुएट कोर्सेज में प्रवेश को लेकर कैंडिडेट में कोई उत्साह व रूचि नहीं है. नीट यूजी 2024 की मेरिट सूची के आधार पर आयोजित की जा रही ऑल इंडिया 15 फीसदी कोटा आयुष काउंसलिंग के आंकड़ों का एनालिसिस करने पर सामने आ रहा है कि टॉप 50 हजार मेरिट के कैंडिडेट्स में महज 638 में ही आयुष कोर्सेज के लिए आवेदन किया है. इन आंकड़ो से यह साफ है कि टॉपर्स कैंडिडेट को आयुर्वेद, सिद्धा, यूनानी व होम्योपैथी के कोर्स में भविष्य दिखाई नहीं देता.

पद, प्रतिष्ठा व पैसे तीनों का ही अभाव होने के कारण ये कोर्स प्रभावहीन प्रतीत होते हैं. वर्तमान स्थिति यह है कि कैंडिडेट इन कोर्स में प्रवेश सिर्फ और सिर्फ उस परिस्थिति में लेता है, जब उसकी एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश की संभावना पूरी समाप्त हो जाती है. देव शर्मा का कहना है कि भारत सरकार का इस मंत्रालय भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देने के प्रयास कर रहे हैं, लेकिन यह आंकड़े वस्तु स्थिति की सत्यता को उजागर कर रहे हैं. ऐसा लगता है कि यह प्रयास कारगर नहीं है.

पढ़ें : Rajasthan: NEET UG 2025 : JEE MAIN के बाद बदलेगा नीट यूजी का भी एग्जाम पैटर्न!, यहां भी कैंडिडेट को मिलती है बी सेक्शन में चॉइस

30 से 50 हजार काउंसलिंग में आवेदन करने वाले कैंडिडेट लगभग शून्य : देव शर्मा ने बताया कि सेंट्रल आयुष काउंसलिंग राउंड 3 की आवंटन सूची का एनालिसिस करने पर सामने आता है कि टॉप 30 हजार रैंक में से आवेदन करने वाले कैंडिडेट महज 125 है, जबकि टॉप 40 हजार में यह संख्या 410 और टॉप 50 हजार में 638 पहुंच जाती है. आमतौर पर टॉप 25 हजार कैंडिडेट को गवर्नमेंट एमबीबीएस सीट मिल जाती है. ऐसी स्थिति में टॉप 25 से 50 हजार एआईआर के कैंडिडेट का रुझान सिद्ध, यूनानी व होमियोपैथी चिकित्सा पद्धतियों की ओर भले ही नहीं हो, लेकिन आयुर्वेद की तरफ होना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं है. टॉप 30 से 40 हजार के बीच केवल 285 कैंडिडेट ने आवेदन किया है. टॉप 40 से 50 हजार के बीच यह संख्या 228 है. इससे साफ है कि भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद भी मेरिटोरियस कैंडिडेट को प्रवेश के लिए आकर्षित नहीं कर पाई है.

ब्रांडिंग के लिए एम्स और आईआईटी जैसे ब्रांड की दरकरार : देव शर्मा ने बताया कि आयुर्वेद कोर्स को प्रतिष्ठा के लिए एम्स दिल्ली और आईआईटी जैसे ब्रांड की आवश्यकता है. एम्स व आईआईटी की करिश्माई कार्यशाली के अनुसार आयुर्वेद कोर्स में आधुनिकता व तकनीक का समावेश कर इसे रि-लांच किए जाने की जरूरत है. इसके करिकुलम को आधुनिक-जीवन जीवन शैली के अनुरूप रि-डिजाइन कर संस्कृत व हिंदी के साथ-साथ के साथ अंग्रेजी में भी प्रस्तुत करना होगा. दवाइयों के मूल स्वरूप को जिंदा रखते हुए उनकी पैकेजिंग को वर्तमान स्वरूप में ले जाने की भी जरूरत है. आयुर्वेद शल्य चिकित्सा को भी अपग्रेड कर आधुनिक बनाना चाहिए. इन्हें एमबीबीएस के समक्ष लाने का प्रयास किया जाना चाहिए.

कोटा: नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के आयोजित नीट यूजी परीक्षा के परिणाम के आधार पर मेडिकल के अलावा डेंटल आयुष और नर्सिंग की काउंसलिंग भी जारी है. आयुष काउंसलिंग में बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी (BAMS), बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी (BHMS), बैचलर ऑफ यूनानी मेडिसिन एंड सर्जरी (BUMS), बैचलर ऑफ नेचुरोपैथी एंड योग साइंस (BNYS) व बैचलर ऑफ सिद्ध मेडिसिन एंड सर्जरी (BSMS) में एडमिशन के लिए हो रही है, लेकिन इन कोर्सेस में टॉपर्स कैंडिडेट का कोई रुझान नहीं है.

एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा ने बताया कि अंडरग्रैजुएट कोर्सेज में प्रवेश की स्थिति दयनीय है. दुर्दशा यह है कि इन अंडरग्रैजुएट कोर्सेज में प्रवेश को लेकर कैंडिडेट में कोई उत्साह व रूचि नहीं है. नीट यूजी 2024 की मेरिट सूची के आधार पर आयोजित की जा रही ऑल इंडिया 15 फीसदी कोटा आयुष काउंसलिंग के आंकड़ों का एनालिसिस करने पर सामने आ रहा है कि टॉप 50 हजार मेरिट के कैंडिडेट्स में महज 638 में ही आयुष कोर्सेज के लिए आवेदन किया है. इन आंकड़ो से यह साफ है कि टॉपर्स कैंडिडेट को आयुर्वेद, सिद्धा, यूनानी व होम्योपैथी के कोर्स में भविष्य दिखाई नहीं देता.

पद, प्रतिष्ठा व पैसे तीनों का ही अभाव होने के कारण ये कोर्स प्रभावहीन प्रतीत होते हैं. वर्तमान स्थिति यह है कि कैंडिडेट इन कोर्स में प्रवेश सिर्फ और सिर्फ उस परिस्थिति में लेता है, जब उसकी एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश की संभावना पूरी समाप्त हो जाती है. देव शर्मा का कहना है कि भारत सरकार का इस मंत्रालय भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देने के प्रयास कर रहे हैं, लेकिन यह आंकड़े वस्तु स्थिति की सत्यता को उजागर कर रहे हैं. ऐसा लगता है कि यह प्रयास कारगर नहीं है.

पढ़ें : Rajasthan: NEET UG 2025 : JEE MAIN के बाद बदलेगा नीट यूजी का भी एग्जाम पैटर्न!, यहां भी कैंडिडेट को मिलती है बी सेक्शन में चॉइस

30 से 50 हजार काउंसलिंग में आवेदन करने वाले कैंडिडेट लगभग शून्य : देव शर्मा ने बताया कि सेंट्रल आयुष काउंसलिंग राउंड 3 की आवंटन सूची का एनालिसिस करने पर सामने आता है कि टॉप 30 हजार रैंक में से आवेदन करने वाले कैंडिडेट महज 125 है, जबकि टॉप 40 हजार में यह संख्या 410 और टॉप 50 हजार में 638 पहुंच जाती है. आमतौर पर टॉप 25 हजार कैंडिडेट को गवर्नमेंट एमबीबीएस सीट मिल जाती है. ऐसी स्थिति में टॉप 25 से 50 हजार एआईआर के कैंडिडेट का रुझान सिद्ध, यूनानी व होमियोपैथी चिकित्सा पद्धतियों की ओर भले ही नहीं हो, लेकिन आयुर्वेद की तरफ होना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं है. टॉप 30 से 40 हजार के बीच केवल 285 कैंडिडेट ने आवेदन किया है. टॉप 40 से 50 हजार के बीच यह संख्या 228 है. इससे साफ है कि भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद भी मेरिटोरियस कैंडिडेट को प्रवेश के लिए आकर्षित नहीं कर पाई है.

ब्रांडिंग के लिए एम्स और आईआईटी जैसे ब्रांड की दरकरार : देव शर्मा ने बताया कि आयुर्वेद कोर्स को प्रतिष्ठा के लिए एम्स दिल्ली और आईआईटी जैसे ब्रांड की आवश्यकता है. एम्स व आईआईटी की करिश्माई कार्यशाली के अनुसार आयुर्वेद कोर्स में आधुनिकता व तकनीक का समावेश कर इसे रि-लांच किए जाने की जरूरत है. इसके करिकुलम को आधुनिक-जीवन जीवन शैली के अनुरूप रि-डिजाइन कर संस्कृत व हिंदी के साथ-साथ के साथ अंग्रेजी में भी प्रस्तुत करना होगा. दवाइयों के मूल स्वरूप को जिंदा रखते हुए उनकी पैकेजिंग को वर्तमान स्वरूप में ले जाने की भी जरूरत है. आयुर्वेद शल्य चिकित्सा को भी अपग्रेड कर आधुनिक बनाना चाहिए. इन्हें एमबीबीएस के समक्ष लाने का प्रयास किया जाना चाहिए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.