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राज्यसभा में नीरज डांगी ने उठाई AI के माध्यम से वन्यजीव संरक्षण की मांग, इस मुद्दे पर सरकार को घेरा

सांसद नीरज डांगी ने मंगलवार को राज्यसभा में वन्यजीव प्रजातियों के संरक्षण के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल की मांग उठाई.

राज्यसभा में नीरज डांगी ने उठाई मांग
राज्यसभा में नीरज डांगी ने उठाई मांग (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 16 hours ago

सिरोही/नई दिल्ली : राज्यसभा सांसद नीरज डांगी ने मंगलवार को शून्यकाल के दौरान सदन में लुप्तप्राय वन्यजीव प्रजातियों के संरक्षण के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक के उपयोग की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने वन्यजीव संरक्षण को पर्यावरण संतुलन और मानव कल्याण के लिए अनिवार्य बताते हुए सरकार से इस दिशा में ठोस कदम उठाने की मांग की. डांगी ने केंद्र सरकार से मांग की कि देश के सभी वन्यजीव अभ्यारण्यों और संरक्षित वनों में एआई आधारित मॉनिटरिंग प्रणाली को लागू किया जाए और एम्स जैसे प्रमुख चिकित्सा संस्थानों में स्वास्थ्य सेवाओं को उन्नत किया जाए.

लुप्तप्राय प्रजातियों की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती : डांगी ने कहा कि देश के सामने टाइगर, लेपर्ड और चीता जैसी बड़ी बिल्लियों की श्रेणी में आने वाली लुप्तप्राय प्रजातियों को बचाने की गंभीर चुनौती है. उन्होंने सुझाव दिया कि इन वन्यजीवों की निगरानी और संरक्षण के लिए AI तकनीक का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. AI आधारित सिस्टम से उनकी गतिविधियों और स्थान की सटीक जानकारी प्राप्त की जा सकती है. उन्होंने कहा कि ये तकनीक न केवल लागत प्रभावी है, बल्कि पारंपरिक तरीकों की तुलना में कम कार्यबल की आवश्यकता होती है.

इसे भी पढ़ें- रणथम्भौर नेशनल पार्क से 6 टाइगर लापता होने पर HC ने मांगा जवाब

डांगी ने यह भी कहा कि जैव विविधता का संरक्षण पर्यावरण को सुरक्षित रखने, प्रजातियों के विलुप्त होने को रोकने और मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने में मदद करता है. उन्होंने कहा, "हमें इंसानों और वन्यजीवों दोनों की रक्षा करनी होगी. जब वन्यजीव गांवों में प्रवेश कर इंसानों या उनके मवेशियों को नुकसान पहुंचाते हैं, तो इससे लोगों में वन्यजीवों के प्रति घृणा पैदा होती है. एआई जैसी तकनीक से इस समस्या का समाधान संभव है."

रणथंभौर में 25 बाघों के लापता होने पर जताई चिंता : सांसद डांगी ने राजस्थान के रणथंभौर टाइगर रिजर्व में 25 बाघों के लापता होने की घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की. उन्होंने बताया कि रणथंभौर में 77 बाघों में से 25 के लापता होने के बाद जांच के लिए एक कमेटी बनाई गई है, लेकिन विभागीय अधिकारियों की कमजोर निगरानी और पुरानी मॉनिटरिंग तकनीकों के कारण बाघों का सटीक रिकॉर्ड नहीं रखा जा सका. डांगी ने कहा कि महाराष्ट्र के ताड़ोबा टाइगर रिजर्व की तर्ज पर रणथंभौर में भी हाई-टेक एआई तकनीक का उपयोग किया जाना चाहिए. यह तकनीक अवैध शिकार और अन्य असामान्य गतिविधियों को रोकने में मददगार साबित हो सकती है. इसके अलावा यह गांवों में वन्यजीवों की हलचल के बारे में समय रहते जानकारी देकर जनहानि को भी रोक सकती है.

इसे भी पढ़ें- Rajasthan: बाघ की हत्या और लापता टाइगर को लेकर नेता प्रतिपक्ष ने उठाए सवाल, न्यायिक जांच की मांग

एम्स में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी पर सवाल : प्रश्नकाल के दौरान नीरज डांगी ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में विशेषज्ञ डॉक्टरों और प्रशिक्षित चिकित्सा कर्मियों की भारी कमी पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि एम्स में पुराने उपकरणों और कर्मचारियों की कमी के चलते मरीजों को इलाज के लिए घंटों लंबी कतार में इंतजार करना पड़ता है.

इस पर केंद्रीय चिकित्सा मंत्री जे.पी. नड्डा ने इसे सामान्य समस्या बताते हुए कोई ठोस जवाब नहीं दिया. डांगी ने सरकार से एम्स के लिए अधिक प्रशिक्षित कर्मियों की नियुक्ति और पुराने उपकरणों को नए उपकरणों से बदलने की मांग की. उन्होंने कहा कि इन कमियों को दूर करने से देशभर से आने वाले मरीजों को बेहतर चिकित्सा सेवाएं मिल सकेंगी.

सिरोही/नई दिल्ली : राज्यसभा सांसद नीरज डांगी ने मंगलवार को शून्यकाल के दौरान सदन में लुप्तप्राय वन्यजीव प्रजातियों के संरक्षण के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक के उपयोग की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने वन्यजीव संरक्षण को पर्यावरण संतुलन और मानव कल्याण के लिए अनिवार्य बताते हुए सरकार से इस दिशा में ठोस कदम उठाने की मांग की. डांगी ने केंद्र सरकार से मांग की कि देश के सभी वन्यजीव अभ्यारण्यों और संरक्षित वनों में एआई आधारित मॉनिटरिंग प्रणाली को लागू किया जाए और एम्स जैसे प्रमुख चिकित्सा संस्थानों में स्वास्थ्य सेवाओं को उन्नत किया जाए.

लुप्तप्राय प्रजातियों की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती : डांगी ने कहा कि देश के सामने टाइगर, लेपर्ड और चीता जैसी बड़ी बिल्लियों की श्रेणी में आने वाली लुप्तप्राय प्रजातियों को बचाने की गंभीर चुनौती है. उन्होंने सुझाव दिया कि इन वन्यजीवों की निगरानी और संरक्षण के लिए AI तकनीक का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. AI आधारित सिस्टम से उनकी गतिविधियों और स्थान की सटीक जानकारी प्राप्त की जा सकती है. उन्होंने कहा कि ये तकनीक न केवल लागत प्रभावी है, बल्कि पारंपरिक तरीकों की तुलना में कम कार्यबल की आवश्यकता होती है.

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डांगी ने यह भी कहा कि जैव विविधता का संरक्षण पर्यावरण को सुरक्षित रखने, प्रजातियों के विलुप्त होने को रोकने और मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने में मदद करता है. उन्होंने कहा, "हमें इंसानों और वन्यजीवों दोनों की रक्षा करनी होगी. जब वन्यजीव गांवों में प्रवेश कर इंसानों या उनके मवेशियों को नुकसान पहुंचाते हैं, तो इससे लोगों में वन्यजीवों के प्रति घृणा पैदा होती है. एआई जैसी तकनीक से इस समस्या का समाधान संभव है."

रणथंभौर में 25 बाघों के लापता होने पर जताई चिंता : सांसद डांगी ने राजस्थान के रणथंभौर टाइगर रिजर्व में 25 बाघों के लापता होने की घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की. उन्होंने बताया कि रणथंभौर में 77 बाघों में से 25 के लापता होने के बाद जांच के लिए एक कमेटी बनाई गई है, लेकिन विभागीय अधिकारियों की कमजोर निगरानी और पुरानी मॉनिटरिंग तकनीकों के कारण बाघों का सटीक रिकॉर्ड नहीं रखा जा सका. डांगी ने कहा कि महाराष्ट्र के ताड़ोबा टाइगर रिजर्व की तर्ज पर रणथंभौर में भी हाई-टेक एआई तकनीक का उपयोग किया जाना चाहिए. यह तकनीक अवैध शिकार और अन्य असामान्य गतिविधियों को रोकने में मददगार साबित हो सकती है. इसके अलावा यह गांवों में वन्यजीवों की हलचल के बारे में समय रहते जानकारी देकर जनहानि को भी रोक सकती है.

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एम्स में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी पर सवाल : प्रश्नकाल के दौरान नीरज डांगी ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में विशेषज्ञ डॉक्टरों और प्रशिक्षित चिकित्सा कर्मियों की भारी कमी पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि एम्स में पुराने उपकरणों और कर्मचारियों की कमी के चलते मरीजों को इलाज के लिए घंटों लंबी कतार में इंतजार करना पड़ता है.

इस पर केंद्रीय चिकित्सा मंत्री जे.पी. नड्डा ने इसे सामान्य समस्या बताते हुए कोई ठोस जवाब नहीं दिया. डांगी ने सरकार से एम्स के लिए अधिक प्रशिक्षित कर्मियों की नियुक्ति और पुराने उपकरणों को नए उपकरणों से बदलने की मांग की. उन्होंने कहा कि इन कमियों को दूर करने से देशभर से आने वाले मरीजों को बेहतर चिकित्सा सेवाएं मिल सकेंगी.

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