मिर्जापुर/लखनऊ/प्रयागराज/उन्नाव/वाराणसी : आज से शारदीय नवरात्र प्रारंभ हो चुका है. देश के सभी देवी मंदिरों में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा हुआ है. विंध्याचल के मां विंध्यवासिनी धाम में आधी रात से ही भक्तों की लाइन लगनी शुरू हो गई. मंगला आरती के बाद से ही श्रद्धालु मां विंध्यवासिनी के दर्शन कर रहे हैं. नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जा रही है.
मां विंध्यवासिनी देवी मंदिर में मंगला आरती के बाद श्रद्धालु लंबी-लंबी लाइनों में लगकर हाथों में नारियल-चुनरी लेकर मां विंध्यवासिनी का दर्शन करने पहुंच रहे हैं. पहले दिन श्रद्धालु मां विंध्यवासिनी देवी के दरबार में शैलपुत्री स्वरूप का दर्शन कर रहे हैं. मां विंध्यवासिनी देवी की एक झलक पाकर भक्त निहाल हो रहे हैं. विंध्याचल धाम में नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्रि मेले में देश भर से लाखों की संख्या में भक्त पहुचेंगे.
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श्रद्धालुओं की सुविधा लेकर पूरे मंदिर में स्टील की बैरिकेडिंग की गई है. सुरक्षा की दृष्टिकोण से पूरे मेला परिसर को तीन सुपर जोन, 10 जोन और 21 सेक्टर में बांटा गया है. प्रत्येक जोन व सेक्टर के प्रभारी पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को बनाया गया है. श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए हजारों की संख्या में पुलिसकर्मियों को लगाया गया है.
नवरात्रि में भक्त नवदुर्गा का आराधना करते हैं. धर्माचार्य मिट्ठू मिश्रा ने बताया कि विंध्याचल धाम में स्थित मां विंध्यवासिनी मंदिर में नवरात्र पर लाखों की भीड़ जुटती है. भक्तों को इस दिन लाल वस्त्र धारण कर पूजा करना चाहिए. माता रानी को श्वेत पुष्प, कमल के पुष्प, गुड़हल के फूल प्रिय हैं. नारियल भी चढ़ाने से मां प्रसन्न होती है. मां को गाय के घी से बने हुए पकवान बनाकर चढ़ाने से मां खुश होती हैं. भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं.
लखनऊ के काली माता मंदिर में उमड़े भक्त : लखनऊ पुराने चौक में स्थित बड़ी काली माता की मंदिर में काफी भीड़ रही. सुबह 4 बजे से भक्त मंदिर में पहुंचने शुरू हो गए. मंदिर के महंत स्वामी हंसानंद ने बताया कि मंदिर में इस समय जनकल्याण के लिए महापूजा हो रही है. ऐसा माना जाता है कि बड़ी काली मां की मंदिर में जो रोजाना आकर पूजा पाठ करता है, उसकी सारी मनोकामना पूरी हो जाती है. नवरात्र के पहले दिन मंदिर में काफी भीड़ रही. भक्तों ने पूजापाठ के साथ भजन कीर्तन भी किया.
कुएं में डाली गई मूर्ति का बदल गया था स्वरूप : महंत स्वामी हंसानंद ने बताया कि यहां पर हमेशा से भीड़ रहती है. नवरात्र की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस तैनात रहती है. शाम के समय संध्या आरती में काफी भीड़ रहती है. मंदिर के पुजारी ने बताया कि प्राचीन बड़ी काली मंदिर को जब मुगलों द्वारा मंदिरों को तोड़ा जा रहा था. मंदिर के पुजारी ने मां काली की मूर्ति को एक कुएं में डाल दिया था. जिससे मुगल मूर्ति को खंडित ना कर सके. उसके बाद उन्हीं पुजारी के सपने में आया कि वह मूर्ति कुएं से निकाली जाए. जब लोगों द्वारा मूर्ति को निकाला गया उसका स्वरूप ही अलग मिला. कुएं में डाली थी मां काली मां की मूर्ति जबकि दोबारा निकालने पर यह भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की निकली. यह सुनकर सबको आश्चर्य होता है. मंदिर में इसी मूर्ति की पूजा मां काली के रूप में ही होती है.
प्रयागराज के मंदिरों में भी लगी लाइन : प्रयागराज के अलोपशंकरी और ललिता देवी शक्ति पीठ में भी भोर से ही दर्शनार्थियों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है. श्रद्धालुओं के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं. आगामी महाकुंभ 2025 को लेकर मंदिर में जगह-जगह तोड़फोड़ की गई है. श्रद्धालुओं को दर्शन करने में किसी भी तरह की सुविधा न हो इसके लिए अलग से रास्ता बनाया गया है.
उन्नाव के दुर्गा माता मंदिर में लगी भक्तों की कतार : उन्नाव में कानपुर से सटे शुक्लागंज के राजधानी मार्ग स्थित प्राचीन दुर्गा माता मंदिर में माता के दर्शन के लिए लोगों की कतारें लगी रहीं. श्रद्धालुओं ने बताया कि उन्होंने पहले ही व्रत की सामग्री खरीद ली थी और सुबह जल्दी उठकर पूजा की तैयारियों में जुट गए. पूजन सामग्री की कीमतें बढ़ने से श्रद्धालुओं को परेशानी हो रही है. नारियल, चुनरी, कलश जैसी वस्तुओं की कीमतें बढ़ गई हैं. नारियल की कीमत 20 रुपये से बढ़कर 25 रुपये हो गई है. चुनरी की कीमत 5 रुपये से बढ़कर 10 रुपये हो गई है. इसके अलावा, कूटू का आटा, सिंघाड़ा आटा, मखाना जैसी सामग्री की कीमतें भी बढ़ गईं हैं.
वाराणसी में भी मां की पूजा के लिए भक्तों में उत्साह : भोलेनाथ की नगरी काशी में भी शारदीय नवरात्रि हर्ष और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है. प्रथम दिन मां शैलपुत्री का पूजन किया जा रहा है. मां शैलपुत्री भय का नाश करने वाली हैं. इनकी आराधना से यश, कीर्ति, धन और विद्या कि प्राप्ति होती है. मान्यता है कि मां जगदंबा मां शैलपुत्री स्वरूप में पर्वत राज हिमालय के घर में पुत्री रूप में अवतरित हुईं थीं. कालांतर में वह पार्वती के नाम से भगवान शंकर की अर्धांगिनी बनीं.
वाराणसी मे मां शैलपुत्री का मंदिर अलइपुर क्षेत्र में वरुणा नदी के किनारे स्थित है. नवरात्र के पहले दिन यहां काफी भीड़ है. सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किया गया है. मंदिर के पुजारी जगदानंद ने बताया कि मां शैलपुत्री का दर्शन करने से सभी प्रकार की मनोकामना पूर्ण होती है. काशी में मां के नौ स्वरूप के विभिन्न मंदिर हैं.