नई दिल्ली: दशहरा या विजयदशमी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है. माता की आराधना का पावन पर्व नवरात्रों की शुरुआत 3 अक्टूबर से होने वाली है. इसको लेकर चारों तरफ तैयारी की जा रही है. वहीं, नवरात्रि की कलश स्थापना कब होगी? क्या है शुभ मुहूर्त जानने को लेकर लोगों में काफी जिज्ञासा है. दिल्ली के कालकाजी मंदिर के पीठाधीश्वर महंत सुरेंद्रनाथ अवधुत ने नवरात्रों के शुभ मुहूर्त की जानकारी दी.
महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने बताया कि नवरात्रि माता दुर्गा की उपासना के लिए समर्पित है. इस दौरान की गई पूजा अर्चना विशेष फलदाई होती है. माता प्रसन्न होती है और भक्तों को मनवांछित फल प्रदान करती है. इस बार यह पर्व 3 अक्टूबर से शुरू हो रहा है.
नवरात्रि का शुभ मुहूर्त: नवरात्रि के पहले दिन सबसे पहले कलश स्थापना पूजा होती है. इसके बाद मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है. कलश स्थापना के लिए मुहूर्त सुबह 6 बजकर 19 मिनट से 7 बजकर 23 मिनट तक है. वहीं, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:52 से लेकर 12 बजकर 40 मिनट तक है. इस दौरान स्थिर लग्न है और स्थिर लग्न में कलश स्थापना शुभ होता है.
नवरात्रि पूजा की विधि: महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने बताया कि तांबे के बर्तन को शुद्ध कर माता भगवती की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना की जाती है. इस बार माता भगवती डोली पर सवार होकर धरती पर आ रही हैं. इस बार नवरात्रि काफी शुभ है. आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नवरात्र की शुरुआत होती है जो इस बार 3 अक्टूबर से पड़ रहा है, जो 12 अक्टूबर तक चलेगा. नवरात्रि में पांच प्रकार से शुद्ध होकर यानि देह शुद्धि, स्थान शुद्धि, द्रव्य शुद्धि, क्रिया शुद्धि और भाव शुद्धि कर पूजा पाठ करना चाहिए. साथ ही भूमि पर शयन करना, ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना और संयमित आहार व्यवहार करना, यह अति अनिवार्य है.
कालकाजी मंदिर में पूजा की विशेष तैयारी: सुरेंद्रनाथ अवधूत ने बताया कि पूरे नवरात्र के दौरान मां कालका की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. माता की मंत्र उच्चारण के साथ विधिवत पूजा अर्चना होती है. साथ ही दुर्गा सप्तशती का पाठ भी किया जाता है. महंत ने बताया कि नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से किसी भी तरह के अनिष्ट का नाश हो जाता है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है. इसके साथ मंदिर में चंडी यज्ञ का आयोजन किया जाएगा, जिसमें राष्ट्र के कल्याण के लिए हवन किया जाएगा.
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