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आज मां चंद्रघंटा की आराधना, इस विधि से पूजा करने पर संपूर्ण फल की होगी प्राप्ति - Navaratri 2024

Ma Chandra Ghanta: नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा होती है. इस दिन साधक को विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : 2 hours ago

Updated : 1 hours ago

देवी चंद्रघंटा कालीघाट कोलकाता
देवी चंद्रघंटा कालीघाट कोलकाता (File Photo)

पटनाः आज नवरात्र का तीसरा दिन है. इस दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की आराधना की जाती है. नवरात्रि उपासना में इस दिन की पूजा का विशेष महत्व है. इस दिन भक्त का मन मणिपुर चक्र में प्रविष्ट होचा है. इस दिन साधक को पूजा में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता.

मां चंद्रघंटा का श्लोक

पिण्डजप्रवरारुढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता।। 'अर्थाथ: जग ज्जननी मां चन्द्रघंटा से प्रार्थना है कि देश वासियों व समस्त भक्तों के मनोरथ को पूरा करें. सुख, समृद्धि व आरोग्यता प्रदान करें. जय मां चन्द्रघंटा'

मां का स्वरूप: मां चंद्रघंटा का स्वरूप परम शांति दाने वाला और कल्याणकारी है. मां के मस्तक में घंटे का आकार में अर्धचंद्र है. इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा गया है. शरीर सोना के समान चमकीला, दस हाथ, सभी हाथों में खड्ग, शस्त्र और बाण आदि विभूषित हैं. मां का वाहन सिंह है. मां चंद्रघंटा की मुद्रा युद्द के लिए उद्यत रहने की होती है.

मां चंद्रघंटा की उपासना

या देवी सर्वभू‍तेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

अर्थात : 'हे मां! संसार में विराजमान, चंद्रघंटा के रूप में अम्बे, आपको मेरा बारम्बार प्रणाम. मुझे सब पापों से मुक्ति प्रदान कीजिए. मान्यता के अनुसार नवरात्र के तीसरे दिन सांवली रंग की विवाहित स्त्री जिसके चेहरे पर तेज झलक रही है. उनकी पूजा करनी चाहिए. भोजन में दही और हलवा खिलाएं और कलश, मंदिर की घंटी भेंट करें.'

मां की साधनाः मां के आराधना के लिए श्लोक 'पिण्डजप्रवरारुढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता।।' सरल और स्पष्ट है. नवरात्र के तीसरे दिन इस श्लोक का जप करना चाहिए. माता को नारंगी रंग अति प्रिय है. पूजा के दौरान जहां तक संभव को भक्त को आभा के सामान रंग का वस्त्र पहनना चाहिए. इसका भोग लगाएंः तीसरे दिन माता को गाय की दूध से बनी खीर का भोग लगाएं. खीर का भोग लगाने से सभी समस्याओं से छुटकारा मिलता है. इस दिन दूध से बनी मिठाई का भी भोग लगाना चाहिए. इससे मां प्रसन्न होती है.

मां की आरती

जय मां चंद्रघंटा सुख धाम। पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।

चंद्र समान तुम शीतल दाती। चंद्र तेज किरणों में समाती।

क्रोध को शांत करने वाली। मीठे बोल सिखाने वाली।

मन की मालक मन भाती हो। चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।

सुंदर भाव को लाने वाली। हर संकट मे बचाने वाली।

हर बुधवार जो तुझे ध्याये। श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।

मूर्ति चंद्र आकार बनाएं। सन्मुख घी की ज्योति जलाएं।

शीश झुका कहे मन की बाता। पूर्ण आस करो जगदाता।

कांचीपुर स्थान तुम्हारा। करनाटिका में मान तुम्हारा।

नाम तेरा रटूं महारानी। भक्त की रक्षा करो भवानी।।

मां चंद्रघंटा की पूजा से लाभः मां चंद्रघंटा की कृपा से सारे पाप और बाधाएं नष्ट हो जाती हैं. जो मां की पूजा करते हैं, वे भक्त सिंह की तरह पराक्रमी और निडर हो जाता है. घंटे की ध्वनि प्रेत बाधा से रक्षा करती है. विद्यार्थियों के लिए यह दिन विशेष महत्व रखता है. इस दिन मां साक्षात विद्या प्रदान करती हैं.

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पटनाः आज नवरात्र का तीसरा दिन है. इस दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की आराधना की जाती है. नवरात्रि उपासना में इस दिन की पूजा का विशेष महत्व है. इस दिन भक्त का मन मणिपुर चक्र में प्रविष्ट होचा है. इस दिन साधक को पूजा में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता.

मां चंद्रघंटा का श्लोक

पिण्डजप्रवरारुढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता।। 'अर्थाथ: जग ज्जननी मां चन्द्रघंटा से प्रार्थना है कि देश वासियों व समस्त भक्तों के मनोरथ को पूरा करें. सुख, समृद्धि व आरोग्यता प्रदान करें. जय मां चन्द्रघंटा'

मां का स्वरूप: मां चंद्रघंटा का स्वरूप परम शांति दाने वाला और कल्याणकारी है. मां के मस्तक में घंटे का आकार में अर्धचंद्र है. इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा गया है. शरीर सोना के समान चमकीला, दस हाथ, सभी हाथों में खड्ग, शस्त्र और बाण आदि विभूषित हैं. मां का वाहन सिंह है. मां चंद्रघंटा की मुद्रा युद्द के लिए उद्यत रहने की होती है.

मां चंद्रघंटा की उपासना

या देवी सर्वभू‍तेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

अर्थात : 'हे मां! संसार में विराजमान, चंद्रघंटा के रूप में अम्बे, आपको मेरा बारम्बार प्रणाम. मुझे सब पापों से मुक्ति प्रदान कीजिए. मान्यता के अनुसार नवरात्र के तीसरे दिन सांवली रंग की विवाहित स्त्री जिसके चेहरे पर तेज झलक रही है. उनकी पूजा करनी चाहिए. भोजन में दही और हलवा खिलाएं और कलश, मंदिर की घंटी भेंट करें.'

मां की साधनाः मां के आराधना के लिए श्लोक 'पिण्डजप्रवरारुढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता।।' सरल और स्पष्ट है. नवरात्र के तीसरे दिन इस श्लोक का जप करना चाहिए. माता को नारंगी रंग अति प्रिय है. पूजा के दौरान जहां तक संभव को भक्त को आभा के सामान रंग का वस्त्र पहनना चाहिए. इसका भोग लगाएंः तीसरे दिन माता को गाय की दूध से बनी खीर का भोग लगाएं. खीर का भोग लगाने से सभी समस्याओं से छुटकारा मिलता है. इस दिन दूध से बनी मिठाई का भी भोग लगाना चाहिए. इससे मां प्रसन्न होती है.

मां की आरती

जय मां चंद्रघंटा सुख धाम। पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।

चंद्र समान तुम शीतल दाती। चंद्र तेज किरणों में समाती।

क्रोध को शांत करने वाली। मीठे बोल सिखाने वाली।

मन की मालक मन भाती हो। चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।

सुंदर भाव को लाने वाली। हर संकट मे बचाने वाली।

हर बुधवार जो तुझे ध्याये। श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।

मूर्ति चंद्र आकार बनाएं। सन्मुख घी की ज्योति जलाएं।

शीश झुका कहे मन की बाता। पूर्ण आस करो जगदाता।

कांचीपुर स्थान तुम्हारा। करनाटिका में मान तुम्हारा।

नाम तेरा रटूं महारानी। भक्त की रक्षा करो भवानी।।

मां चंद्रघंटा की पूजा से लाभः मां चंद्रघंटा की कृपा से सारे पाप और बाधाएं नष्ट हो जाती हैं. जो मां की पूजा करते हैं, वे भक्त सिंह की तरह पराक्रमी और निडर हो जाता है. घंटे की ध्वनि प्रेत बाधा से रक्षा करती है. विद्यार्थियों के लिए यह दिन विशेष महत्व रखता है. इस दिन मां साक्षात विद्या प्रदान करती हैं.

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