भरतपुर : प्रसिद्ध केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (घना) में नेचर गाइड की अनिवार्यता के नियम में एक बार फिर बदलाव किया गया है. नए संशोधित नियम के अनुसार अब उद्यान में पंजीकृत वाहनों में यदि 6 या 6 से अधिक पर्यटक होंगे, तो नेचर गाइड रखना अनिवार्य होगा. यह संशोधन नेचर गाइडों की मांगों को ध्यान में रखते हुए किया गया है.
तीसरी बार हुआ नियम में संशोधन : यह 14 महीनों में तीसरी बार है, जब नेचर गाइड के नियमों में बदलाव किया गया है. इससे पहले 10 अक्टूबर, 2024 को नेचर गाइड की अनिवार्यता का नियम केवल 10 या उससे अधिक पर्यटकों पर लागू किया गया था. वहीं, 5 अक्टूबर, 2023 को ई-रिक्शा के साथ पर्यटकों के लिए नेचर गाइड अनिवार्य किया गया था.
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हालांकि, 2024 में किए गए संशोधन के बाद नेचर गाइडों ने इस पर आपत्ति जताई थी. उनका कहना था कि इस नियम के कारण छोटे पर्यटक समूहों को उद्यान की सही जानकारी और अनुभव नहीं मिल पा रहा है. साथ ही नेचर गाइड के रोजगार पर भी संकट खड़ा हो गया है. इसके परिणामस्वरूप प्रशासन ने पर्यटक अनुभव को और बेहतर बनाने व नेचर गाइडों की मांग को ध्यान में रखते हुए नियम में पुनः संशोधन करने का निर्णय लिया है.
उद्यान निदेशक मानस सिंह ने बताया कि नए नियम के आदेश प्राप्त हो गए हैं और इसे जल्द ही लागू किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस बदलाव का उद्देश्य पर्यटकों के अनुभव को समृद्ध बनाना और नेचर गाइडों की भूमिका को अधिक प्रासंगिक बनाना है.
क्या हैं नए नियम के फायदे?
- अब 6 या उससे अधिक पर्यटकों वाले समूहों में नेचर गाइड अनिवार्य होने से पर्यटकों को घना के बारे में जानकारी हासिल करने में आसानी होगी.
- छोटे पर्यटक समूह पर नेचर गाइड की अनिवार्यता नहीं होगी, लेकिन वो चाहें तो नेचर गाइड ले सकेंगे.
- यह बदलाव स्थानीय नेचर गाइडों को अधिक रोजगार के अवसर प्रदान करेगा.
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान का महत्व : केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, जिसे घना के नाम से भी जाना जाता है, यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित है. यहां हर साल 375 से अधिक प्रजाति के हजारों प्रवासी पक्षी आते हैं. यह पक्षी प्रेमियों और प्रकृति प्रेमियों के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र है. यहां हर साल हजारों पर्यटक आते हैं, जिनमें बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक भी शामिल होते हैं.
भविष्य की संभावनाएं : नए नियम से पर्यटकों को बेहतर अनुभव मिलने की संभावना है. साथ ही यह नियम नेचर गाइडों और उद्यान प्रशासन के बीच सामंजस्य बनाने में सहायक होगा. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में हुए इस बदलाव से पर्यटकों और नेचर गाइड दोनों को लाभ होने की उम्मीद है.