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काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पेड़ों को काटने पर अधिवक्ताओं ने जताई आपत्ति, NGT में डाली याचिका - Banaras Hindu University

काशी हिंदू विश्वविद्याल के पेड़ों को "बीमार" बताकर उन्हें काटने को लेकर शहर के कुछ अधिवक्ताओं ने कड़ी आपत्ति जताई है. अधिवक्ताओं ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (National Green Tribunal) में याचिका दाखिल की है.

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में काटे गए पेड़.
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में काटे गए पेड़. (Photo Credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 23, 2024, 10:01 PM IST

वाराणसी : काशी हिंदू विश्वविद्यालय में इन दिनों पेड़ों की कटाई की जा रही है. इसको लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के एडवोकेट सौरभ तिवारी ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में याचिका दायर करके आपत्ति जताई है. याचिका में कहा गया है कि बीएचयू प्रशासन ग्रीनरी के साथ छेड़छाड़ कर उसे नष्ट कर रहा है. हरे पेड़ों को "बीमार" बताकर काटा जा रहा है. ऐसे में जांच कर तत्काल रोक लगाई जाए.


एडवोकेट सौरभ तिवारी की याचिका के मुताबिक BHU ने पेड़ों की कटाई के पीछे पेड़ों का पुराना व "बीमार" होने का हवाला दिया है. जबकि कटाई के दौरान सभी पेड़ों की पत्तियां हरी थीं. विश्वविद्यालय परिसर में मौजूद बड़े पेड़ों को लगातार काटा जा रहा है. इनमें चंदन, सागवान, शीशम आदि कीमती पेड़ काट दिए गए हैं. हमारी मांग है कि एक इंडिपेंडेंस जांच एजेंसी बनाकर पेड़ों की कटाई की हकीकत सबके समक्ष लाए जाए और दोषियों पर कार्रवाई की जाए.


याचिका में सौरभ तिवारी के साथ एडवोकेट अंकुर पांडे और अजीत सिंह बतौर याचिकाकर्ता शामिल हुए हैं. सौरभ तिवारी बताते हैं कि विश्वविद्यालय प्रशासन परिसर में लगातार नई बिल्डिंग का हवाला देकर हरे भरे पेड़ों को कटवा रहा है. कई ऐसे जगह पर पेड़ काटे गए हैं जहां पर कोई बिल्डिंग बनाने की जगह नहीं है.

हमने इसको लेकर के नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में याचिका दायर की है. सौरभ के मुताबिक दो दिनों में परिसर में खड़े सैकड़ों साल पुराने पेड़ों को काटकर गिरा दिया गया है. काटे गए पेड़ों के स्थान पर नए हरे पौधे लगाने की शर्त है, लेकिन धरातल पर कुछ भी नहीं किया जा रहा है.

वाराणसी : काशी हिंदू विश्वविद्यालय में इन दिनों पेड़ों की कटाई की जा रही है. इसको लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के एडवोकेट सौरभ तिवारी ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में याचिका दायर करके आपत्ति जताई है. याचिका में कहा गया है कि बीएचयू प्रशासन ग्रीनरी के साथ छेड़छाड़ कर उसे नष्ट कर रहा है. हरे पेड़ों को "बीमार" बताकर काटा जा रहा है. ऐसे में जांच कर तत्काल रोक लगाई जाए.


एडवोकेट सौरभ तिवारी की याचिका के मुताबिक BHU ने पेड़ों की कटाई के पीछे पेड़ों का पुराना व "बीमार" होने का हवाला दिया है. जबकि कटाई के दौरान सभी पेड़ों की पत्तियां हरी थीं. विश्वविद्यालय परिसर में मौजूद बड़े पेड़ों को लगातार काटा जा रहा है. इनमें चंदन, सागवान, शीशम आदि कीमती पेड़ काट दिए गए हैं. हमारी मांग है कि एक इंडिपेंडेंस जांच एजेंसी बनाकर पेड़ों की कटाई की हकीकत सबके समक्ष लाए जाए और दोषियों पर कार्रवाई की जाए.


याचिका में सौरभ तिवारी के साथ एडवोकेट अंकुर पांडे और अजीत सिंह बतौर याचिकाकर्ता शामिल हुए हैं. सौरभ तिवारी बताते हैं कि विश्वविद्यालय प्रशासन परिसर में लगातार नई बिल्डिंग का हवाला देकर हरे भरे पेड़ों को कटवा रहा है. कई ऐसे जगह पर पेड़ काटे गए हैं जहां पर कोई बिल्डिंग बनाने की जगह नहीं है.

हमने इसको लेकर के नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में याचिका दायर की है. सौरभ के मुताबिक दो दिनों में परिसर में खड़े सैकड़ों साल पुराने पेड़ों को काटकर गिरा दिया गया है. काटे गए पेड़ों के स्थान पर नए हरे पौधे लगाने की शर्त है, लेकिन धरातल पर कुछ भी नहीं किया जा रहा है.

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