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जनकल्याण के लिए सूरज की तपिश के बीच संत की अग्नि तपस्या, 41 दिन चलेगा ये कारवां - Penance In Hot Sun

Penance In Hot Sun, राजस्थान के दौसा स्थित हिंगवा गांव में एक संत जनकल्याण के लिए सूरज की तपिश के बीच अग्नि तपस्या में लीन है. वहीं, संत की ये कठोर तपस्या एक-दो दिन नहीं, बल्कि 41 दिनों तक चलेगा.

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 18, 2024, 6:05 PM IST

Penance In Hot Sun
संत की अग्नि तपस्या (ETV BHARAT Dausa)
सूरज की तपिश के बीच संत की अग्नि तपस्या (ETV BHARAT Dausa)

दौसा. राजस्थान को संतों की तपोभूमि कहा जाता है. इसका जीता जागता उदाहरण दौसा के हिंगवा गांव में देखने को मिला. यहां नाथ संप्रदाय का प्राचीन सिद्धपीठ आश्रम स्थापित है, जहां विश्व जनकल्याण के लिए हर वर्ष अग्नि तपस्या की जाती है. वहीं, इस आश्रम के पीछे कई रहस्य छिपे हैं. यही वजह है कि इस स्थान को नाथ संप्रदाय की राजस्थान की सबसे बड़ी गद्दी के रूप में भी जाना जाता है. इस प्राचीन आश्रम की स्थापना सैकड़ों वर्ष पहले थल्लाथ बाबा ने किया था.

इस प्राचीन आश्रम की बात करें तो यहां नाथ संप्रदाय के 41वें महंत लक्ष्मणनाथ पिछले 40 सालों से सिद्धपीठ आश्रम का संचालन कर रहे हैं. पिछले 20 सालों से यहां हर गुरु पूर्णिमा पर मेले का आयोजन होता है. इस मौके पर महंत लक्ष्मणनाथ द्वारा आश्रम में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन भी कराया जाता है. साथ ही भंडारा आयोजित किया जाता है. इसके चलते हर साल गुरु पूर्णिमा पर प्रदेश सहित देशभर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु हिंगवा आश्रम में आते हैं और महंत का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.

इसे भी पढ़ें - इस संत की तपस्या देखकर हो जाएंगे हैरान, उपले जलाकर विश्व शांति व कल्याण के लिए हठ योग - Hatha Yoga Penance In Bhilwara

जनकल्याण के लिए की जा रही अग्नि तपस्या : वहीं, जिले के हिंगवा स्थित नाथ संप्रदाय के प्रमुख धार्मिक स्थल पर महंत लक्ष्मणनाथ के चेले संत विजयदास महाराज द्वारा भीषण गर्मी के बीच अग्नि तपस्या की जा रही है. एक ओर 46 डिग्री तापमान के चलते लोग घरों से बाहर निकलने से कतरा रहे हैं तो वहीं, दूसरी ओर संत विजयदास महाराज विश्व जनकल्याण के लिए अग्नि के बीच तप कर रहे हैं. इस दौरान उसके हर तरफ 9 धूनी बनाई गई है. ऐसे में हर धूनी में 13 कंडे लगाए गए हैं.

तप कर रहे संत विजायदास महाराज के गुरु और सिद्धपीठ आश्रम के महंत संत लक्ष्मणनाथ ने बताया कि संत विजयदास महाराज द्वारा ये 6वीं तपस्या है. पिछली बार 5 धुनियों के बीच तपस्या की गई थी, लेकिन इस बार 9 धुनियों के बीच तपस्या की जा रही है. वहीं, 16 मई से इसकी शुरुआत हुई है और 41 दिनों तक रोज दोपहर 11 से 3 बजे तक अग्नि तपस्या की जाती है, जिसमें हर दिन प्रत्येक धूनी में 5 कंडे बढ़ाए जाएंगे.

इसे भी पढ़ें - अंजुरी में भोजन-पानी, कपड़े से केश तक त्याग, क्यों हर दिन साढ़े तीन बजे से जाग जाते हैं जैन मुनि

41वें दिन 9 हजार कंडों में अग्नि प्रज्ज्वलित कर करेंगे तप : हिंगवा आश्रम के महंत लक्ष्मणनाथ ने बताया कि तपस्या के आखिरी दिन 25 जून को तपोभूमि स्थल पर 1-1 हजार कंडों से 9 जगह धूनी लगाई जाएगी. ऐसे में भीषण गर्मी के बीच 9 हजार कंडों में एक साथ अग्नि प्रज्ज्वलित कर उनके बीच संत विजयदास महाराज द्वारा अग्नि तप किया जाएगा. ऐसे में इस भीषण गर्मी के बीच अग्नि तप करने की चर्चा पूरे जिले में जोर-शोर से चल रही है. इसके चलते बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंच रहे हैं.

गुरु पूर्णिमा पर लगता है मेला : सिद्धपीठ आश्रम के महंत लक्ष्मणनाथ ने बताया कि आश्रम की स्थापना करीब 950 साल पहले हुई थी, लेकिन पिछले 20 सालों से यहां हर वर्ष गुरु पूर्णिमा पर मेला आयोजित होता है. ऐसे में इस पावन पर्व के अवसर पर प्रदेश सहित देश के विभिन्न हिस्सों से 30 से 40 हजार श्रद्धालु हिंगवा धाम के सिद्धपीठ आश्रम पर पहुंचते हैं. इस दौरान आश्रम की ओर से सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का भी आयोजन किया जाता है. साथ ही गुरु पूर्णिमा पर यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आश्रम की ओर से निशुल्क भंडारे का आयोजन भी किया जाता है.

सूरज की तपिश के बीच संत की अग्नि तपस्या (ETV BHARAT Dausa)

दौसा. राजस्थान को संतों की तपोभूमि कहा जाता है. इसका जीता जागता उदाहरण दौसा के हिंगवा गांव में देखने को मिला. यहां नाथ संप्रदाय का प्राचीन सिद्धपीठ आश्रम स्थापित है, जहां विश्व जनकल्याण के लिए हर वर्ष अग्नि तपस्या की जाती है. वहीं, इस आश्रम के पीछे कई रहस्य छिपे हैं. यही वजह है कि इस स्थान को नाथ संप्रदाय की राजस्थान की सबसे बड़ी गद्दी के रूप में भी जाना जाता है. इस प्राचीन आश्रम की स्थापना सैकड़ों वर्ष पहले थल्लाथ बाबा ने किया था.

इस प्राचीन आश्रम की बात करें तो यहां नाथ संप्रदाय के 41वें महंत लक्ष्मणनाथ पिछले 40 सालों से सिद्धपीठ आश्रम का संचालन कर रहे हैं. पिछले 20 सालों से यहां हर गुरु पूर्णिमा पर मेले का आयोजन होता है. इस मौके पर महंत लक्ष्मणनाथ द्वारा आश्रम में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन भी कराया जाता है. साथ ही भंडारा आयोजित किया जाता है. इसके चलते हर साल गुरु पूर्णिमा पर प्रदेश सहित देशभर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु हिंगवा आश्रम में आते हैं और महंत का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.

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जनकल्याण के लिए की जा रही अग्नि तपस्या : वहीं, जिले के हिंगवा स्थित नाथ संप्रदाय के प्रमुख धार्मिक स्थल पर महंत लक्ष्मणनाथ के चेले संत विजयदास महाराज द्वारा भीषण गर्मी के बीच अग्नि तपस्या की जा रही है. एक ओर 46 डिग्री तापमान के चलते लोग घरों से बाहर निकलने से कतरा रहे हैं तो वहीं, दूसरी ओर संत विजयदास महाराज विश्व जनकल्याण के लिए अग्नि के बीच तप कर रहे हैं. इस दौरान उसके हर तरफ 9 धूनी बनाई गई है. ऐसे में हर धूनी में 13 कंडे लगाए गए हैं.

तप कर रहे संत विजायदास महाराज के गुरु और सिद्धपीठ आश्रम के महंत संत लक्ष्मणनाथ ने बताया कि संत विजयदास महाराज द्वारा ये 6वीं तपस्या है. पिछली बार 5 धुनियों के बीच तपस्या की गई थी, लेकिन इस बार 9 धुनियों के बीच तपस्या की जा रही है. वहीं, 16 मई से इसकी शुरुआत हुई है और 41 दिनों तक रोज दोपहर 11 से 3 बजे तक अग्नि तपस्या की जाती है, जिसमें हर दिन प्रत्येक धूनी में 5 कंडे बढ़ाए जाएंगे.

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41वें दिन 9 हजार कंडों में अग्नि प्रज्ज्वलित कर करेंगे तप : हिंगवा आश्रम के महंत लक्ष्मणनाथ ने बताया कि तपस्या के आखिरी दिन 25 जून को तपोभूमि स्थल पर 1-1 हजार कंडों से 9 जगह धूनी लगाई जाएगी. ऐसे में भीषण गर्मी के बीच 9 हजार कंडों में एक साथ अग्नि प्रज्ज्वलित कर उनके बीच संत विजयदास महाराज द्वारा अग्नि तप किया जाएगा. ऐसे में इस भीषण गर्मी के बीच अग्नि तप करने की चर्चा पूरे जिले में जोर-शोर से चल रही है. इसके चलते बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंच रहे हैं.

गुरु पूर्णिमा पर लगता है मेला : सिद्धपीठ आश्रम के महंत लक्ष्मणनाथ ने बताया कि आश्रम की स्थापना करीब 950 साल पहले हुई थी, लेकिन पिछले 20 सालों से यहां हर वर्ष गुरु पूर्णिमा पर मेला आयोजित होता है. ऐसे में इस पावन पर्व के अवसर पर प्रदेश सहित देश के विभिन्न हिस्सों से 30 से 40 हजार श्रद्धालु हिंगवा धाम के सिद्धपीठ आश्रम पर पहुंचते हैं. इस दौरान आश्रम की ओर से सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का भी आयोजन किया जाता है. साथ ही गुरु पूर्णिमा पर यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आश्रम की ओर से निशुल्क भंडारे का आयोजन भी किया जाता है.

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