नर्मदापुरम. सतपुडा टाइगर रिजर्व क्षेत्र के अंतर्गत मढ़ई बीट में करीब एक माह पहले नर बाघ को अस्वस्थ अवस्था में देखा गया था, जिसके बाद एसटीआर यानी सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के गस्ती दल ने वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी सूचना दी. बाघ को चलने में समस्या बनी हुई थी और वह अजीब बर्ताव कर लड़खड़ा रहा था. इसके बाद बाघ की मॉनिटरिंग की गई और फिर प्लान बनाकर उसके इलाज के लिए वन विभाग और विशेषज्ञों की टीम सतपुड़ा टाइगर रिजर्व पहुंची.
बाघ को बेहोश कर लिया गया एक्स रे
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व द्वारा लगातार इस दौरान हाथी व पैदल गश्ती कर मानीटरिंग की गई. इसके बाद गुरुवार को टाइगर रिजर्व के वन्यप्राणी चिकित्सकों द्वारा बाघ को सफलतापूर्वक बेहोश किया गया और फिर जबलपुर के विशेषज्ञों की टीम द्वारा बाघ का एक्सरे लिया गया. पता चला कि बाघ घायल था, जिसकी वजह से वह अजीब बर्ताव कर रहा था. इसके अलावा कोई बड़ी गंभीर समस्या नहीं पाई गई.
विशेषज्ञों ने किया टाइगर का इलाज
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व व वन्यप्राणी संरक्षण ट्रस्ट (WCT) के सहयोग से नर बाघ का आवश्यक उपचार किया गया. सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के क्षेत्रसंचालक एल. कृष्णमूर्ति के निर्देशन में पार्क प्रबंधन के अधिकारी/कर्मचारी, वन्यप्राणी संरक्षण ट्रस्ट (WCT) और जबलपुर के स्कूल फॉर वाइल्ड लाइफ एंड फॉरेंसिक के विशेषज्ञों द्वारा इस चुनौतीपूर्ण कार्य को सफलतापूर्वक पूर्ण किया गया. चिकित्सा विशेषज्ञों के सहयोग से नर बाघ अब स्वस्थ है और उसे वापस उसके क्षेत्र में छोड़ दिया गया है.
डिप्टी डायरेक्टर पूजा नागले ने कहा, '' एक माह पहले से इस नर बाघ की निगरानी रखी जा रही थी, जिसे चलने में समस्या बनी हुई थी. वह सही से चल नहीं पा रहा था. वन चिकित्सकों के सहयोग से उसकी निगरानी रखी गई. लगातार हाथी व गस्ती दल द्वारा बाघ पर निगरानी रखी गई. गुरुवार को बाघ का एक्सरे कराया गया और संबंधित इलाज के बाद छोड़ दिया गया''