नर्मदापुरम। हिल स्टेशन पचमढ़ी इन दिनों पर्यटकों को भीषण गर्मी के चलते लुभा रहा है. इस बार बाहर से पहुंचने वाले पर्यटकों के लिए यहां के लंगड़ा, बॉम्बे ग्रीन, मल्लिका, रत्ना,आम्रपाली, चौसा सहित अन्य वैरायटियों के आम की भी डिमांड बढ़ी है. यही कारण है की पचमढ़ी के आम की बढ़ी हुई डिमांड के कारण आम के बगीचों का ठेका इस बार करीब 50 लाख रुपए में हुआ है. जंगल के बीचों बीच उद्यान होने के कारण विभिन्न वैरायटी के साथ यहां के आम के स्वाद में अलग ही फर्क है.
पुरानी वैरायटी के साथ हाइब्रिड आम भी मौजूद
पचमढ़ी में आम के बगीचों में हर किस्म के आम मौजूद हैं. यहां पुरानी आम की किस्मों के साथ व्यावसायिक किस्म भी मौजूद हैं. उद्यान विभाग के सहायक संचालक रामशंकर शर्मा ने बताया कि "यहां पर हाइब्रिड किस्म के आम की कई वैरायटी हैं. पुरानी वैरायटी भी है जो व्यावसायिक किस्म की हैं. जिनकी बाजार में कीमत अच्छी मिलती है. मार्केट में ज्यादा डिमांड भी है. लंगड़ा, दशहरी, चौसा, बॉम्बे ग्रीन, मल्लिका ,आम्रपाली, रत्ना, केसर इस तरह से बहुत सारी किस्म यहां पर मौजूद हैं. यहां मालदा, पायरी, नीलम इस तरह की पुरानी किस्म के आम भी यहां पर मौजूद हैं. सभी प्रकार की किस्म का यहां पर मिश्रण है."
बॉम्बे ग्रीन का स्वाद है निराला
सहायक संचालक रामशंकर शर्मा के अनुसार "बॉम्बे ग्रीन विशेष प्रजाति का आम है और सबसे पहले पकता है. पब्लिक को सबसे पहले बांबे ग्रीन आम खाने को मिलता है. टेस्ट भी उसका सबसे अच्छा होता है. पचमढ़ी के वातावरण की बात की जाए तो बांबे ग्रीन का टेस्ट बहुत अच्छा होता है. बाहर से जो लोग आते हैं वह भी बॉम्बे ग्रीन आम की बहुत डिमांड करते हैं. सबसे अच्छी किस्म यहां पचमढ़ी में बॉम्बे ग्रीन रही है."
पगारा और मटकुली में आम की भरमार
सहायक संचालक रामशंकर शर्मा के अनुसार "उद्यानों में पगारा एवं मटकुली में आम की भरमार है. उन्होंने बताया कि इस बार पचमढ़ी पोलो उद्यान का ठेका दो लाख रुपए में गया है, बल्कि हमारे संलग्न उद्यान जो पचमढ़ी से जुड़े हुए आम के बगीचे हैं वहां इस बार फ्रूटिंग अच्छी रही. इस बार उसकी कीमत बेहतर मिली है. पगारा का 4 लाख, मटकुली उद्यान का ठेका 40 लाख रुपए में गया है. उन उद्यानों से इस बार ज्यादा कीमत मिली है."
बंदरों के कारण ज्यादा समस्या
सहायक संचालक के अनुसार मल्लिका, आम्रपाली, चौसा, वैरायटी लेट पकती हैं. रत्ना हाइब्रिड वैरायटी है वह भी लेट पकती है. जुलाई और अगस्त तक यहां के आम बिकते हैं. उन्होंने बताया की यहां के उद्यान जंगल के बीच में है तो यहां पर बंदरों से आम को नुकसान भी बहुत होता है. इसकी वजह से भी व्यापारी थोड़ा आम को पहले तोड़ लेता हैं. कच्चे आम को ही मंडी में पकने के हिसाब से बेच देता है क्योंकि यहां पर बंदरों की सबसे ज्यादा समस्या है.