जबलपुर: मध्य प्रदेश की जीवनदायिनी नदी नर्मदा की जयंती इस साल 4 फरवरी को मनाई जाएगी. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, माघ महीने की सप्तमी को मां नर्मदा जयंती मनाई जाती है. इस साल माघ मास की सप्तमी 4 फरवरी को पड़ रही है. नर्मदा जयंती को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं. इस बार नर्मदा जयंती पर कुंभ की तर्ज पर इंतजाम किए जा रहे हैं. लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने गुरुवार को जबलपुर में अधिकारियों के साथ एक बैठक लेकर तैयारियों की स्थिति जानी और नर्मदा जयंती को लेकर कुछ नियम-कायदे भी तय किए.
घाट के 3 किलोमीटर के दायरे में गाड़ी ले जाने की अनुमति नहीं
नर्मदा नदी जबलपुर शहर के ठीक किनारे से बहती है. इसलिए नर्मदा नदी जबलपुर के लिए श्रद्धा का वही स्थान रखती है जो गंगा नदी बनारस के लिए रखती है. जबलपुर में हर साल मां नर्मदा जयंती मनाई जाती है. मध्य प्रदेश सरकार इस दिन नर्मदा के किनारे भव्य आयोजन करती है. अव्यवस्थाओं से बचने के लिए इस साल नर्मदा जयंती के लिए कई नए नियम-कानून बनाए गए हैं.
अब घाट के 3 किलोमीटर के दायरे तक गाड़ियां ले जाने की अनुमति नहीं रहेगी. ये नियम वीआईपी और सामान्य सभी श्रद्धालुओं के लिए लागू रहेगा. घाट तक पैदल जाने में असक्षम लोगों के लिए प्रशासन ई-रिक्शा की व्यवस्था करेगा. इसके अलावा किसी को निजी साउंड लगाने की भी अनुमति नहीं रहेगी. मेला प्रशासन एक साउंड लगाएगा. जिसके जरिए भजन के साथ किसी भी प्रकार की सूचनाएं पहुंचाने का कार्य किया जाएगा.
शराब बिक्री पर रहेगा पूर्ण प्रतिबंध
जबलपुर पश्चिम से विधायक और प्रदेश सरकार में मंत्री राकेश सिंह ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिया कि इस दौरान घाटों के आसपास शराब बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा. इसके लिए उन्होंने पुलिस को कड़ी फटकार भी लगाई. भीड़ पर नियंत्रण के लिए वॉच टावर लगाया जाएगा. ग्वारीघाट पर होने वाले आयोजन के लिए अनुराग सिंह को मेला अधिकारी नियुक्त किया गया है. ग्वारीघाट के अलावा कालीघाट, गिलहरी घाट, तिलवारा घाट, भेड़ाघाट, सरस्वती घाट जैसे दो दर्जन घाटों पर नर्मदा जयंती पर आयोजन होंगे.
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पूरब से पश्चिम बहने वाली भारत की एकमात्र नदील है नर्मदा
नर्मदा नदी की उत्पत्ति का उल्लेख पुराणों में भी है, जिसमें कहा गया है कि नर्मदा नदी का जन्म भगवान शंकर के पसीने से हुआ था. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, नर्मदा के बारे में कहा जाता है कि यह एकमात्र कुंवारी नदी है और जितना पुण्य गंगा नदी में स्नान करने पर मिलता है, उतना ही पुण्य नर्मदा के दर्शन मात्र से मिल जाता है. माना जाता है कि नर्मदा नदी दुनिया की एकमात्र ऐसी नदी है जिसकी परिक्रमा की जाती है. नर्मदा भारत की एकमात्र नदी है जो पूरब से पश्चिम की ओर बहती है. अमरकंटक पर्वत से निकली इस नदी को मैखल सुता भी कहा जाता है.