शिमला: नरेंद्र मोदी आज तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे. इसके साथ ही कैबिनेट मंत्रियों को भी पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई जाएगी. सहयोगी दलों से कई दौर की बातचीत के बाद कैबिनेट की रूप रेखा तैयार कर ली गई है. मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में सहयोगी दलों की बड़ी भूमिका होने वाली है. माना जा रहा था कि हिमाचल को अपना दूसरा घर मानने वाले मोदी हिमाचल की झोली में दो मंत्री डाल सकते हैं. हिमाचल ने लगातार तीसरी बार बीजेपी के खाते में चारों की चारों सीटें डाली हैं, लेकिन चुनावी नतीजों के बाद पूरे समीकरण बदल चुके हैं. सूत्रों के मुताबिक अब हिमाचल से सिर्फ एक ही मंत्री को जगह मिल सकती है.
बीजेपी की सीटों की संख्या पर नजर दौड़ाएं तो विश्लेषकों का मानना है कि हिमाचल से सिर्फ जेपी नड्डा को ही मोदी कैबिनेट में जगह मिल सकती है. 30 जून को नड्डा का राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में कार्यकाल खत्म हो रहा है. नड्डा इस पद पर फिलहाल एक्सटेंशन पर चल रहे हैं. नड्डा हिमाचल के बिलासपुर से हैं. अनुराग ठाकुर और नड्डा एक ही संसदीय क्षेत्र से आते हैं. ऐसे में हिमाचल से ही आने वाले अनुराग ठाकुर के नाम पर कैंची चल सकती है.
अनुराग को संगठन में मिलेगी बड़ी जिम्मेदारी?
अनुराग ठाकुर के मंत्रिमंडल में शामिल ना किए जाने के पीछे कई कारण हो सकते हैं. अनुराग ठाकुर के संसदीय क्षेत्र में बीजेपी को तीन उपचुनाव सुजानपुर, गगरेट, कुटलैहड़ पर हार का सामना करना पड़ा. इन तीनों सीटों पर उपचुनाव की जिम्मेदारी पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल और अनुराग ठाकुर पर थी. कुटलैहड़ सीट से जयराम सरकार में मंत्री वीरेंद्र कंवर भी धूमल खेमे के माने जाते हैं. दूसरा अनुराग ठाकुर की लीड भी 2019 के मुकाबले इस बार कम हुई है. वहीं, अगर जेपी नड्डा को टीम मोदी में शामिल किया जाता है तो अनुराग का नाम कैबिनेट मंत्री की सूची से कट सकता है. नड्डा और अनुराग एक ही संसदीय क्षेत्र से आते हैं. वहीं, बीजेपी को जल्द ही नए अध्यक्ष पर फैसला लेना होगा. इसके साथ ही संगठन में कुछ और बदलाव होना भी तय हैं. अनुराग ठाकुर को इस फेरबदल के बीच संगठन में बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है. गौरतलब है कि अनुराग ठाकुर इससे पहले भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं. संगठन में उनके अनुभव को देखते हुए उन्हें बीजेपी में बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है. फिलहाल अभी इसके बारे में कयास ही लगाए जा सकते हैं.
कंगना की संभावनाएं भी कम
वहीं, कंगना के नाम की भी चर्चा मोदी कैबिनेट में शामिल होने को लेकर हो रही थी, लेकिन अब ये सब अनुमान धरे के धरे रह गए हैं. उन्हें मोदी कैबिनेट में शामिल ना करने के कई बिंदु हैं. बेबाक अंदाज के लिए पहचानी जाने वाली कंगना कब कोई विवादास्पद बयान दे डाले, इसकी कोई गारंटी नहीं है. फिर हिमाचल प्रदेश चार सीटों वाला छोटा राज्य है. यहां से जेपी नड्डा पहले से ही कैबिनेट मंत्री बनने के प्रबल दावेदार हैं. वो पहले भी टीम मोदी का अहम हिस्सा रहे हैं. इस तरह चार सीटों वाले छोटे से राज्य से गठबंधन वाली सरकार में एक से अधिक मंत्री की संभावना नहीं दिखती है.
हिमाचल की उम्मीदों पर फिर सकता है पानी
बीजेपी लोकसभा चुनाव 2024 में पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर पाई है. अब बीजेपी को एनडीए के सहायक घटकों को साथ लेकर चलना होगा. 2014 और 2019 में बीजेपी अपने दम पर बहुमत ले आई थी. इसलिए उसके पास मंत्रियों की संख्या अधिक थी, लेकिन इस बार परिस्थितियां बदल चुकी हैं. बीजेपी अपने दम पर बहुमत नहीं ला सकी है. उसके पास सिर्फ 240 सीटें हैं. ऐसे में इस बार एनडीए में जेडीयू और टीडीपी की भूमिका भी अधिक महत्वपूर्ण हो गई है.
10 साल बाद...फिर गठबंधन की सरकार
वरिष्ठ पत्रकार धनंजय शर्मा ने कहा कि देश में 10 साल बाद एक बार फिर सहयोगी दलों से गठबंधन कर सरकार बनी है. राजनीतिक समीकरणों और सरकार को मजबूत बनाने के लिए बीजेपी को अपने सहयोगियों के साथ कई समझौते करने पड़ सकते हैं. सहयोगी दलों की मोदी कैबिनेट में इस बार भागीदारी अधिक होने की पूरी पूरी उम्मीद है. मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक एनडीए के सबसे बड़े भागीदार टीडीपी और जेडीयू के कोटे में इस बार तीन मंत्री पद जा सकते हैं. ऐसे में हिमाचल जैसे छोटे राज्यों को मंत्री पद मिलने पर अभी क्यास ही लगाए जा सकते हैं. घटक दलों के साथ समझौते के कारण हिमाचल के हिस्से पर कैंची चल सकती है.
वरिष्ठ पत्रकार ओपी वर्मा का मानना है कि बिहार, हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड में आने वाले समय में विधानसभा चुनाव हैं. इन राज्यों में क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों को साधने में बीजेपी अधिक ध्यान देगी. इसलिए इन राज्यों में मंत्रियों की संख्या अधिक हो सकती है. यहां से मंत्रियों की संख्या में कटौती नहीं होगी. हिमाचल जैसे छोटे राज्यों को मोदी कैबिनेट में जगह भविष्य में होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार में मिल सकती है.
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