शिमला: नरेंद्र मोदी रविवार को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के लिए तैयार हैं. मोदी सरकार का तीसरा शपथ ग्रहण समारोह आज शाम 7 बजकर 15 मिनट पर होगा. शपथ ग्रहण से पहले मंत्रिमंडल को लेकर हर तरफ चर्चा हो रही है. किसे कौन सा मंत्रालय मिलेगा इसका अनुमान सब अपने-अपने हिसाब से लगा रहे हैं. वहीं, हिमाचल से भी तीन बड़े चेहरों का नाम मंत्री बनने की रेस में दौड़ रहा है. इन नामों में जेपी नड्डा, अनुराग ठाकुर और कंगना रनौत शामिल हैं. जेपी नड्डा और अनुराग ठाकुर इससे पहले केंद्र में मंत्री रह चुके हैं, जबकि कंगना पहली बार सांसद बनी हैं.
जेपी नड्डा को मंत्रिमंडल में मिल सकती है जिम्मेदारी
मोदी कैबिनेट में जेपी नड्डा का नाम शामिल किया जा सकता है. इस समय जेपी नड्डा बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी किसी दूसरे नेता को सौंपकर जेपी नड्डा को मंत्री बनाया जा सकता है. जेपी नड्डा का कार्यकाल लोकसभा चुनाव को देखते हुए 30 जून तक बढ़ाया गया था. इस माह उनका कार्यकाल समाप्त हो रहा है. जेपी नड्डा राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से पहले मोदी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं. अब कार्यकाल समाप्त होने के बाद उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है. जेपी नड्डा पीएम मोदी और अमित शाह के करीबी माने जाते हैं. उनके नेतृत्व में बीजेपी ने एमपी, छत्तीसगढ़, राजस्थान में सरकार बनाने में कामयाबी पाई है. उड़ीसा में इस बार बीजेपी पहली बार सत्ता मे आई है. अध्यक्ष पद के दौरान उनके रिपोर्ट कार्ड को देखकर उन्हें इसका इनाम मिल सकता है.
पहले भी मंत्री रहे हैं अनुराग ठाकुर
लोकसभा चुनाव में पांचवीं बार जीत दर्ज करने वाले अनुराग ठाकुर के भी मंत्री बनने की उम्मीद है. अनुराग ठाकुर मोदी सरकार में पहले भी सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय सहित युवा मामलों व खेल मंत्रालय के प्रभार को संभाल चुके हैं. इससे पहले अनुराग ठाकुर ने 2019 से 2021 के बीच वित्त एवं कारपोरेट मामलों के राज्यमंत्री के रूप में काम किया है. लोकसभा के सबसे युवा चीफ व्हिप रहे हैं. अनुराग ठाकुर वर्ष 2019 में सांसद रत्न अवार्ड से सम्मानित हुए. इस तरह उनके पास विविध अनुभव की विपुल पूंजी जुड़ चुकी है. पीएम नरेंद्र मोदी भी काम करने वाले युवाओं को आगे बढ़ाने में विश्वास रखते हैं. उन्होंने खेलों को देश भर में विस्तार देने के लिए बहुत योगदान दिया है. ऐसे में अनुराग ठाकुर की दावेदारी पक्की मानी जा सकती है.
स्मृति इरानी की हार के बाद कंगना का नाम रेस में दौड़ा
चर्चाओं के दौर में कंगना रनौत का नाम भी सुर्खियों में हैं. सोशल मीडिया से लेकर खबरों तक में गाहे-बगाहे उनका नाम लिया जा रहा है. ये चर्चा इसलिए भी चल रही है क्योंकि मंडी से कंगना का टिकट हाईकमान में ने फाइनल किया था. फिर कंगना के प्रचार में खुद पीएम नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी आए थे. खुद कंगना ने प्रचार के दौरान कहा था कि उन्हें नेशनल अवार्ड मिले हैं यदि मंडी की जनता विजय दिलाकर संसद में भेजती है तो वो बेस्ट एमपी का अवॉर्ड भी हासिल करेंगी. बीजेपी का महिला चेहरा स्मृति इरानी अमेठी से चुनाव हार चुकी हैं. स्मृति इरानी चुनाव हारने के बाद भी कैबिनेट में ली जा सकती हैं, लेकिन यदि उन्हें मौका नहीं मिला तो कंगना के चांस बन सकते हैं, लेकिन हिमाचल से राज्यसभा सांसद इंदू गोस्वामी से महिला कोटे के तहत उन्हें चुनौती है. साथ ही अतीत में कंगना की ओर से की गई टिप्पणियां भी उनकी राह में रोड़ा बन सकती हैं.
ये नाम भी चर्चा में
शिमला सीट से दूसरी बार जीते सुरेश कश्यप और राज्यसभा सांसद प्रो. सिकंदर कुमार अनुसूचित जाति के कोटे से मंत्री बनने की रेस में हैं. अब नजरें इस बात टिकी हैं कि मोदी कैबिनेट में हिमाचल से कितने चेहरों को जगह मिलती है. हालांकि इस बार हिमाचल को प्रतिनिधित्व मिलने के आसार बहुत कम हैं.
हिमाचल के कोटे पर चल सकती है कैंची
बीजेपी लोकसभा चुनाव 2024 में पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर पाई है. अब बीजेपी को एनडीए के सहायक घटकों को साथ लेकर चलना होगा. 2014 और 2019 में बीजेपी अपने दम पर बहुमत ले आई थी. इसलिए उसके पास मंत्रियों की संख्या अधिक थी, लेकिन इस बार परिस्थितियां बदल चुकी हैं. बीजेपी अपने दम पर बहुमत नहीं ला सकी है. उसके पास सिर्फ 240 सीटें हैं. ऐसे में इस बार एनडीए में जेडीयू और टीडीपी की भूमिका भी अधिक महत्वपूर्ण हो गई है.
10 साल बाद...फिर गठबंधन की सरकार
वरिष्ठ पत्रकार धनंजय शर्मा ने कहा कि देश में 10 साल बाद फिर से गठबंधन की सरकार बनी है. राजनीतिक समीकरणों और सरकार को मजबूत बनाने के लिए बीजेपी को अपने सहयोगियों के साथ कई समझौते करने पड़ सकते हैं. सहयोगियों दलों की मोदी कैबिनेट में इस बार भागीदारी अधिक हो सकती है. मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक एनडीए के सबसे बड़े भागीदार टीडीपी और जेडीयू के कोटे में इस बार तीन मंत्री पद जा सकते हैं. ऐसे में हिमाचल जैसे छोटे राज्यों को मंत्री पद मिलने पर अभी क्यास ही लगाए जा सकते हैं. घटक दलों के साथ समझौते के कारण हिमाचल के हिस्से पर कैंची चल सकती है.
क्षेत्रीय और जातीय समीकरण
वरिष्ठ पत्रकार ओपी वर्मा ने कहा कि बिहार, हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड में आने वाले समय में विधानसभा चुनाव हैं. इन राज्यों में क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों को साधने में बीजेपी अधिक ध्यान देगी. इसलिए इन राज्यों में मंत्रियों की संख्या अधिक हो सकती है. यहां से मंत्रियों की संख्या में कटौती नहीं होगी. हिमाचल जैसे छोटे राज्यों को मोदी कैबिनेट में जगह भविष्य में होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार में मिल सकती है.