नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने महरौली के ध्वस्त हो चुके छह सौ साल पुराने अखूंदजी मस्जिद में शबे बारात के मौके पर नमाज पढ़ने और कब्रगाह जाने की बेरोकटोक इजाजत देने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया. जस्टिस पुरुषेंद्र कौरव की बेंच ने कहा कि मस्जिद फिलहाल दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के कब्जे में है. और इस मामले से संबंधित मुख्य मामला हाईकोर्ट में लंबित है. हाईकोर्ट में मुख्य मामले की सुनवाई 7 मार्च को होनेवाली है. ऐसे में इस याचिका पर कोई भी आदेश जारी नहीं किया जा सकता है. याचिका दिल्ली वक्फ बोर्ड के प्रबंधन कमेटी ने दायर की थी.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील शम्स ख्वाजा ने कहा कि इस याचिका को तत्काल दायर करने की वजह शब-ए- बारात है. याचिका में मांग की गई थी कि शब-ए- बारात का मौका अपने पूर्वजों से माफी मांगने का होता है और पूर्वजों के कब्रगाह पर रात भर इबादत की जाती है. उन्होंने कहा कि मस्जिद करीब सात सौ साल पुरानी थी, जिसे डीडीए ने 30 जनवरी को ध्वस्त कर दिया.
ये भी पढ़ें : दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने 365 दिनों में आरोप सिद्ध न होने पर जब्त संपत्ति लौटाने के आदेश पर लगाई रोक
बता दें, मुख्य मामले में सुनवाई के दौरान 2 फरवरी को कोर्ट ने डीडीए से पूछा था कि क्या उसने महरौली की छह सौ साल पुरानी अखूंदजी मस्जिद को ध्वस्त करने के पहले कोई वैध नोटिस जारी किया था. मुख्य मामले पर सुनवाई के दौरान डीडीए की ओर से पेश वकील संजय कात्याल ने कहा था कि मस्जिद को ध्वस्त करने की अनुशंसा धार्मिक कमेटी ने 4 जनवरी को की थी. इसी अनुशंसा के आधार पर मस्जिद को ध्वस्त किया गया.
कात्याल ने कहा था कि 4 जनवरी के पहले धार्मिक कमेटी ने दिल्ली वक्फ बोर्ड के सीईओ को इस मामले पर अपना पक्ष रखने का मौका दिया था. इस पर शम्स ख्वाजा ने कहा कि धार्मिक कमेटी को मस्जिद को ध्वस्त करने का आदेश देने का कोई अधिकार नहीं है. तब कोर्ट ने डीडीए से पूछा कि आप ये बताएं कि मस्जिद को गिराने से पहले क्या कोई वैध नोटिस जारी किया गया था.
ये भी पढ़ें : मां का भरण-पोषण करना बेटे का नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी : दिल्ली हाईकोर्ट