नालंदाः दबंगों ने जिस अयोध्या प्रसाद को 14 अप्रैल को जिंदा जलाया था, उनकी इलाज के दौरान 17 मई को मौत हो गयी. अयोध्य़ा प्रसाद चंडी थाना इलाके के ओली बीघा गांव के रहनेवाले थे. इस घटना के पीछे 22 कट्ठे जमीन का विवाद बताया जा रहा है. इस मामले में पुलिस ने हत्या के मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है.
चैती छठ के दिन हुई थी वारदातः मृतक अयोध्या प्रसाद के छोटे भाई शंकर प्रसाद ने बताया कि "मेरे बड़े भैया अयोध्या प्रसाद ने डेढ़ महीने पहले पटना जिले के फतुहा थाना क्षेत्र लोहटा गांव निवासी से 22 कट्ठा जमीन खरीदी थी, जिसका विरोध पड़ोसी गांव हरपुर निवासी शंभु महतो, रविंद्र महतो, बिलास महतो और बिंदी महतो कर रहे थे और जमीन छोड़ने का दबाव बना रहे थे."
'चारे में आग लगाकर जलायाः' मृतक के परिजनों के मुताबिक " चैती छठ के पहले अर्घ्य के दिन अयोध्या प्रसाद टेका बीघा गांव में परिवार से मिलकर घर की ओर लौट रहे थे, तभी पहले से घात लगाए बदमाशों ने पहले जमीन लौटाने का दवाब बनाया. जब वह नहीं माने तो खेत में रखे चारे में आग लगाकर उसमें धकेल दिया. जब बुज़ुर्ग बुरी तरह से जल गए तो बदमाश वहां से भाग निकले."
इलाज के दौरान हुई मौत: बताया जाता है कि इस दौरान गांव के ही एक व्यक्ति ने ये घटना देखी तो गांववालों को बुलाकर अयोध्या प्रसाद को आग से निकाला, हालांकि तब तक वो गंभीर रूप से झुलस चुके थे. लोगों ने उन्हें इलाज के लिए चंडी रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया. उनकी नाजुक हालत को देखते हुए बेहतर इलाज के लिए हायर सेंटर रेफर किया. लेकिन 17 मई को इलाज के दौरान अयोध्या प्रसाद की मौत हो गयी.
"जमीन विवाद में अधेड़ को जलते चारे में धकेल दिया था,जिससे उनकी दर्दनाक मौत हो गई. इस मामले में मुख्य अभियुक्त को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. अन्य दो लोगों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी चल रही है." रवींद्र कुमार,थानाध्यक्ष,चंडी
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