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5 दिन तक रेलकर्मी से पूछताछ करती रही फर्जी CBI, ‘डिजिटल अरेस्ट’ कर ठग लिए 1.60 लाख रुपये - DIGITAL ARREST

बिहार के नालंदा में ‘डिजिटल अरेस्ट’ के एक केस में ठगों ने CBI अफसर बनकर एक रेलकर्मी 1.60 लाख रुपये ठग लिए. पढ़ें पूरी खबर

नालंदा में रेलकर्मी को डिजिटल अरेस्ट कर ठगी
नालंदा में रेलकर्मी को डिजिटल अरेस्ट कर ठगी (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 5, 2025, 5:25 PM IST

नालंदा: बिहार के नालंदा से ‘डिजिटल अरेस्ट’ का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है. जहां ‘डिजिटल अरेस्ट’ के इस नए केस में ठगों ने एक रेलकर्मी को जाल में फंसाकर उनसे 1.60 लाख रुपये ठग लिए. यह घटना लगभग 5 दिन तक चली. पीड़ित कर्मी भोजपुर के जगदीशपुर थाना क्षेत्र के गणपत टोला निवासी जलाल राम का पुत्र विकास कुमार है. वह हरेका हरनौत रेल कोच कारखाना के एचआरएस विभाग में सहायक पद पर काम करता है.

रेलकर्मी 5 दिन डिजिटल अरेस्ट: विकास कुमार को एक अनजान नंबर से व्हाट्सअप कॉल आया. कॉल करने वाले ने खुद को साइबर क्राइम दिल्ली और सीबीआई अधिकारी बताया. उसने विकास पर दिल्ली में एक केस दर्ज होने का आरोप लगाया. कहा कि उसने गलत तरीके से पैसे जमा किए हैं. उसे गिरफ्तारी का डर दिखाकर डिजिटल अरेस्ट कर लिया गया.

पांच दिन डिजिटल अरेस्ट कर ठगे 1.60 लाख रुपये
पांच दिन डिजिटल अरेस्ट कर ठगे 1.60 लाख रुपये (ETV Bharat)

वीडियो कॉल पर धमकी: साइबर अपराधियों ने रेलकर्मी विकास को घर में ही रहने का निर्देश दिया गया. ठग ने मामला रफा-दफा करने और कोर्ट से जमानत दिलाने के नाम पर 5 लाख रुपये मांगे. उसने विकास को किसी से बात न करने और किसी का फोन न उठाने की धमकी दी.

1.60 लाख रुपये करा लिए ट्रांसफर: रेलकर्मी विकास ने जब 5 लाख रुपये देने में असमर्थता जताई तो ठग ने 1 लाख 60 हजार रुपये मांगे. बाकी रकम बाद में देने को कहा. विकास ने ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर कर दिए. पूरे पांच दिन तक विकास ठग के चंगुल में फंसा रहा. दो दिन तक वह ऑफिस भी नहीं गया.

"रेलकर्मी के द्वारा आवेदन मिला है. मामले की जांच की जा रही है. पुलिस साइबर सेल की मदद से ठग की तलाश कर रही है. उम्मीद है कि जल्द ही ठग को गिरफ्तार कर लिया जाएगा." -गणेश कुमार राय, प्रभारी थानाध्यक्ष

दोस्त से मांगे रुपये तो हुआ खुलासा: प्रभारी थानाध्यक्ष गणेश कुमार राय ने बताया कि मामले का खुलासा तब हुआ जब 4 फरवरी को उसने अपने एक दोस्त से रुपए मांगा तब दोस्त ने उसे साइबर ठग द्वारा डिजिटल अरेस्ट कर ठगी की बात बताई.

क्या है डिजिटल अरेस्ट: ‘डिजिटल अरेस्ट’ साइबर ठगी का नया तरीका है जिसमें ठग खुद को पुलिस, CBI या ऐसे ही किसी विभाग का अधिकारी बताकर ऑडियो या वीडियो कॉल करके डराते हैं और उन्हें कार्रवाई का झांसा देकर उनके ही घर में डिजिटल तौर पर बंधक बना लेते हैं. इस दौरान स्कैमर उस व्यक्ति से कई तरह की पर्सनल जानकारियां हासिल कर लेते हैं और इसके जरिए उनके बैंक अकाउंट में जमा राशि को उड़ा देते हैं.

नालंदा में डिजिटल अरेस्ट
नालंदा में डिजिटल अरेस्ट (ETV Bharat)

कैसे करें बचाव?: गौरतलब है कि पुलिस या कोई भी एजेंसी आपको कभी कॉल या धमकी नहीं देते हैं. इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी या पुलिस लीगल प्रोसेस के साथ कार्रवाई करती है. ऐसे में अगर आपको भी इस तरह की डराने-धमकाने वाले की कॉल आती है तो आप बिना डरे करीबी पुलिस स्टेशन जाएं और अपनी कंप्लेंट दर्ज करवाएं. इसके अलावा आप1930 नेशनल साइबरक्राइम हेल्पलाइन नंबर पर भी कॉल कर सकते हैं. साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर @cyberdost के जरिए भी शिकायत दर्ज की जा सकती है.

इन बातों का ध्यान रखें

  • अनजान सोर्स से मिलने वाले किसी भी लिंक पर क्लिक न करें.
  • किसी भी अनजान फोन कॉल पर अपनी पर्सनल या बैंक डिटेल्स न दें.
  • पर्सनल डेटा और ट्रांजेक्शन प्लेटफॉर्म पर मजबूत पासवर्ड लगाकर रखें.
  • कोई भी थर्ड पार्टी ऐप डाउनलोड ना करें
  • किसी भी अन-ऑफिशियल प्लेटफॉर्म से कुछ भी इंस्टाॉल करने से बचें.
  • अपने डिवाइस और सभी ऐप्स को अपडेट रखें.

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रेलकर्मी 5 दिन डिजिटल अरेस्ट: विकास कुमार को एक अनजान नंबर से व्हाट्सअप कॉल आया. कॉल करने वाले ने खुद को साइबर क्राइम दिल्ली और सीबीआई अधिकारी बताया. उसने विकास पर दिल्ली में एक केस दर्ज होने का आरोप लगाया. कहा कि उसने गलत तरीके से पैसे जमा किए हैं. उसे गिरफ्तारी का डर दिखाकर डिजिटल अरेस्ट कर लिया गया.

पांच दिन डिजिटल अरेस्ट कर ठगे 1.60 लाख रुपये
पांच दिन डिजिटल अरेस्ट कर ठगे 1.60 लाख रुपये (ETV Bharat)

वीडियो कॉल पर धमकी: साइबर अपराधियों ने रेलकर्मी विकास को घर में ही रहने का निर्देश दिया गया. ठग ने मामला रफा-दफा करने और कोर्ट से जमानत दिलाने के नाम पर 5 लाख रुपये मांगे. उसने विकास को किसी से बात न करने और किसी का फोन न उठाने की धमकी दी.

1.60 लाख रुपये करा लिए ट्रांसफर: रेलकर्मी विकास ने जब 5 लाख रुपये देने में असमर्थता जताई तो ठग ने 1 लाख 60 हजार रुपये मांगे. बाकी रकम बाद में देने को कहा. विकास ने ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर कर दिए. पूरे पांच दिन तक विकास ठग के चंगुल में फंसा रहा. दो दिन तक वह ऑफिस भी नहीं गया.

"रेलकर्मी के द्वारा आवेदन मिला है. मामले की जांच की जा रही है. पुलिस साइबर सेल की मदद से ठग की तलाश कर रही है. उम्मीद है कि जल्द ही ठग को गिरफ्तार कर लिया जाएगा." -गणेश कुमार राय, प्रभारी थानाध्यक्ष

दोस्त से मांगे रुपये तो हुआ खुलासा: प्रभारी थानाध्यक्ष गणेश कुमार राय ने बताया कि मामले का खुलासा तब हुआ जब 4 फरवरी को उसने अपने एक दोस्त से रुपए मांगा तब दोस्त ने उसे साइबर ठग द्वारा डिजिटल अरेस्ट कर ठगी की बात बताई.

क्या है डिजिटल अरेस्ट: ‘डिजिटल अरेस्ट’ साइबर ठगी का नया तरीका है जिसमें ठग खुद को पुलिस, CBI या ऐसे ही किसी विभाग का अधिकारी बताकर ऑडियो या वीडियो कॉल करके डराते हैं और उन्हें कार्रवाई का झांसा देकर उनके ही घर में डिजिटल तौर पर बंधक बना लेते हैं. इस दौरान स्कैमर उस व्यक्ति से कई तरह की पर्सनल जानकारियां हासिल कर लेते हैं और इसके जरिए उनके बैंक अकाउंट में जमा राशि को उड़ा देते हैं.

नालंदा में डिजिटल अरेस्ट
नालंदा में डिजिटल अरेस्ट (ETV Bharat)

कैसे करें बचाव?: गौरतलब है कि पुलिस या कोई भी एजेंसी आपको कभी कॉल या धमकी नहीं देते हैं. इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी या पुलिस लीगल प्रोसेस के साथ कार्रवाई करती है. ऐसे में अगर आपको भी इस तरह की डराने-धमकाने वाले की कॉल आती है तो आप बिना डरे करीबी पुलिस स्टेशन जाएं और अपनी कंप्लेंट दर्ज करवाएं. इसके अलावा आप1930 नेशनल साइबरक्राइम हेल्पलाइन नंबर पर भी कॉल कर सकते हैं. साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर @cyberdost के जरिए भी शिकायत दर्ज की जा सकती है.

इन बातों का ध्यान रखें

  • अनजान सोर्स से मिलने वाले किसी भी लिंक पर क्लिक न करें.
  • किसी भी अनजान फोन कॉल पर अपनी पर्सनल या बैंक डिटेल्स न दें.
  • पर्सनल डेटा और ट्रांजेक्शन प्लेटफॉर्म पर मजबूत पासवर्ड लगाकर रखें.
  • कोई भी थर्ड पार्टी ऐप डाउनलोड ना करें
  • किसी भी अन-ऑफिशियल प्लेटफॉर्म से कुछ भी इंस्टाॉल करने से बचें.
  • अपने डिवाइस और सभी ऐप्स को अपडेट रखें.

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