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दीपावली की रात परिवार के 5 लोगों की बेहरमी से कर दी थी हत्या, फांसी की सजा पर HC ने सुरक्षित रखा फैसला - Nainital High Court

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 5, 2024, 3:59 PM IST

अपने ही परिवार के पांच लोगों को बेहरमी से मौत के घाट उतारने वाले हत्यारे की फांसी की सजा पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद नैनीताल हाईकोर्ट ने अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया. आप भी जानें कैसे एक व्यक्ति ने अपने माता-पिता के साथ-साथ गर्भवती बहन और मासूम बच्चों को मौत के घाट उतारा था.

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नैनीताल हाईकोर्ट (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

नैनीताल: उत्तराखंड के देहरादून जिले में अपने ही परिवार के पांच लोगों की हत्या के दोषी हरमीत की फांसी की सजा पर आज शुक्रवार पांच जुलाई को नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायधीश रितु बाहरी और न्यायधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने निर्णय सुरक्षित रख लिया है. इससे पहले सत्र न्यायालय देहरादून ने हरमीत को अपने ही परिवार के पांच लोगों की हत्या करने का दोषी पाते हुए फांसी की सजा दी थी.

मामले के अनुसार, देहरादून के आदर्श नगर में 23 अक्टूबर 2014 को हरमीत ने अपने पिता जय सिंह, सौतेली मां कुलवंत कौर, गर्भवती बहन हरजीत कौर, तीन साल की भांजी सहित बहन के कोख में पल रहे गर्भ की भी निर्मम तरीके से चाकू गोदकर हत्या कर दी थी. पुलिस जांच में सामने आया था कि हरमीत ने पांचों लोगों को मारने के लिए चाकू से 85 बार वार किया था, जिसकी पुष्टि मेडिकल रिपोर्ट से हुई. पुलिस जांच में पता चला था कि हरमीत के पिता जय सिंह ने दो शादियां की थी. हरमीत को शक था कि उसे पिता सारी संपत्ति उसकी सौतेली बहन के नाम कर देंगे, इसलिए उसने घर में मौजूद पांचों लोगों की हत्या कर दी थी.

पुलिस ने बताया कि हरमीत की गर्भवती बहन हरजीत कौर डिलीवरी के लिए अपने मायके आई थी. 25 अक्टूबर को ही हरजीत की शादी की सालगिरह भी थी, इसलिए वो 25 अक्टूबर को ही डिलीवरी कराना चाहती थी, लेकिन डिलीवरी से दो दिन पहले यानी 23 अक्टूबर को दीपावली की रात हरमीत ने चाकू से अपने पिता जय सिंह, सौतेली मां कुलवंत कौर, गर्भवती बहन हरजीत कौर, तीन साल की भांजी सहित बहन के कोख में पल रहे बच्चे की निर्मम तरीके से हत्या कर दी.

इस केस का मुख्य गवाह पांच वर्षीय कमलजीत बच गया था. हत्यारे ने घटना को चोरी के रूप में दिखाने के लिए अपना हाथ भी काट लिया था. 24 अक्टूबर 2014 को पुलिस ने उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया. जिला एवं सत्र न्यायाधीश (पंचम) देहरादून आशुतोष मिश्रा की कोर्ट ने 5 अक्टूबर 2021 को आरोपी को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनवाई थी. साथ में एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया था. जिला एवं सत्र न्यायाधीश पंचम ने फांसी की सजा की पुष्टि करने के लिए हाईकोर्ट में रिफरेंस भेजा था.

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नैनीताल: उत्तराखंड के देहरादून जिले में अपने ही परिवार के पांच लोगों की हत्या के दोषी हरमीत की फांसी की सजा पर आज शुक्रवार पांच जुलाई को नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायधीश रितु बाहरी और न्यायधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने निर्णय सुरक्षित रख लिया है. इससे पहले सत्र न्यायालय देहरादून ने हरमीत को अपने ही परिवार के पांच लोगों की हत्या करने का दोषी पाते हुए फांसी की सजा दी थी.

मामले के अनुसार, देहरादून के आदर्श नगर में 23 अक्टूबर 2014 को हरमीत ने अपने पिता जय सिंह, सौतेली मां कुलवंत कौर, गर्भवती बहन हरजीत कौर, तीन साल की भांजी सहित बहन के कोख में पल रहे गर्भ की भी निर्मम तरीके से चाकू गोदकर हत्या कर दी थी. पुलिस जांच में सामने आया था कि हरमीत ने पांचों लोगों को मारने के लिए चाकू से 85 बार वार किया था, जिसकी पुष्टि मेडिकल रिपोर्ट से हुई. पुलिस जांच में पता चला था कि हरमीत के पिता जय सिंह ने दो शादियां की थी. हरमीत को शक था कि उसे पिता सारी संपत्ति उसकी सौतेली बहन के नाम कर देंगे, इसलिए उसने घर में मौजूद पांचों लोगों की हत्या कर दी थी.

पुलिस ने बताया कि हरमीत की गर्भवती बहन हरजीत कौर डिलीवरी के लिए अपने मायके आई थी. 25 अक्टूबर को ही हरजीत की शादी की सालगिरह भी थी, इसलिए वो 25 अक्टूबर को ही डिलीवरी कराना चाहती थी, लेकिन डिलीवरी से दो दिन पहले यानी 23 अक्टूबर को दीपावली की रात हरमीत ने चाकू से अपने पिता जय सिंह, सौतेली मां कुलवंत कौर, गर्भवती बहन हरजीत कौर, तीन साल की भांजी सहित बहन के कोख में पल रहे बच्चे की निर्मम तरीके से हत्या कर दी.

इस केस का मुख्य गवाह पांच वर्षीय कमलजीत बच गया था. हत्यारे ने घटना को चोरी के रूप में दिखाने के लिए अपना हाथ भी काट लिया था. 24 अक्टूबर 2014 को पुलिस ने उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया. जिला एवं सत्र न्यायाधीश (पंचम) देहरादून आशुतोष मिश्रा की कोर्ट ने 5 अक्टूबर 2021 को आरोपी को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनवाई थी. साथ में एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया था. जिला एवं सत्र न्यायाधीश पंचम ने फांसी की सजा की पुष्टि करने के लिए हाईकोर्ट में रिफरेंस भेजा था.

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