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कालागढ़ में वन और सिंचाई भूमि से सैकड़ों परिवारों को हटाने के मामले में सुनवाई, HC ने इन्हें दिए ये आदेश - KALAGARH DAM AREA LAND ENCROACHMENT

कालागढ़ में वन और सिंचाई भूमि से सैकड़ों परिवारों को हटाने एवं विस्थापन मामले में सुनवाई, कोर्ट में पेश हुए पौड़ी डीएम आशीष चौहान

Nainital High Court
नैनीताल उच्च न्यायालय (फोटो- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 11, 2025, 4:06 PM IST

नैनीताल: पौड़ी जिले के कालागढ़ डैम के पास वन और सिंचाई विभाग की भूमि पर अवैध रूप से रह रहे करीब 4 से 5 सौ परिवारों को हटाए जाने के मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ ने राज्य सरकार एवं याचिकाकर्ता संस्था से जिलाधिकारी के आदेश के बाद जो लोग इसकी जद में आ रहे हैं, उनकी लिस्ट बनाकर 17 फरवरी तक कोर्ट में पेश करने को कहा है. वहीं, अब पूरे मामले की अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी.

व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश हुए पौड़ी डीएम आशीष चौहान: आज सुनवाई के दौरान पौड़ी जिलाधिकारी आशीष चौहान हाईकोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश हुए. उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उन्होंने 213 लोगों के विस्थापन को लेकर सर्वे कर लिया है. बाकी लोगों को हटाने का नोटिस दिया गया है. अब नोटिस से प्रभावित लोग हाईकोर्ट की शरण में आए हैं. जिस पर कोर्ट ने सरकार और समिति से प्रभावित लोगों की सूची पेश करने को कहा है.

क्या है पूरा मामला? दरअसल, कालागढ़ जन कल्याण उत्थान समिति ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि तत्कालीन यूपी सरकार ने साल 1960 में कालागढ़ डैम बनाने को लेकर वन विभाग की कई हजार हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण कर उसे सिंचाई विभाग को दिया था. साथ में ये भी कहा था कि जो भूमि डैम बनाने के बाद बचेगी, उसे वन विभाग को वापस किया जाएगा. डैम बनने के बाद कई हेक्टेयर भूमि वापस की गई, लेकिन बाकी बची भूमि पर सेवानिवृत्त कर्मचारियों समेत अन्य लोगों ने कब्जा कर दिया.

जनहित याचिका में जिलाधिकारी के नोटिस को पक्षपातपूर्ण भी बताया है. उनका कहना है कि राज्य सरकार 213 लोगों को विस्थापित कर रही है, वो भी दशकों से उसी स्थान पर रह रहे हैं, लेकिन उनका विस्थापन नहीं किया जा रहा है. लिहाजा, उन्हें भी अन्य की तरह विस्थापित किया जाए. जिस पर कोर्ट ने राज्य सरकार और याचिकाकर्ता संस्था से सभी प्रभावित लोगों की लिस्ट कोर्ट में पेश करने को कहा है. याचिकाकर्ता संस्था की ओर से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता जेएस रावत और सीएस रावत ने अपना पक्ष रखा.

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नैनीताल: पौड़ी जिले के कालागढ़ डैम के पास वन और सिंचाई विभाग की भूमि पर अवैध रूप से रह रहे करीब 4 से 5 सौ परिवारों को हटाए जाने के मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ ने राज्य सरकार एवं याचिकाकर्ता संस्था से जिलाधिकारी के आदेश के बाद जो लोग इसकी जद में आ रहे हैं, उनकी लिस्ट बनाकर 17 फरवरी तक कोर्ट में पेश करने को कहा है. वहीं, अब पूरे मामले की अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी.

व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश हुए पौड़ी डीएम आशीष चौहान: आज सुनवाई के दौरान पौड़ी जिलाधिकारी आशीष चौहान हाईकोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश हुए. उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उन्होंने 213 लोगों के विस्थापन को लेकर सर्वे कर लिया है. बाकी लोगों को हटाने का नोटिस दिया गया है. अब नोटिस से प्रभावित लोग हाईकोर्ट की शरण में आए हैं. जिस पर कोर्ट ने सरकार और समिति से प्रभावित लोगों की सूची पेश करने को कहा है.

क्या है पूरा मामला? दरअसल, कालागढ़ जन कल्याण उत्थान समिति ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि तत्कालीन यूपी सरकार ने साल 1960 में कालागढ़ डैम बनाने को लेकर वन विभाग की कई हजार हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण कर उसे सिंचाई विभाग को दिया था. साथ में ये भी कहा था कि जो भूमि डैम बनाने के बाद बचेगी, उसे वन विभाग को वापस किया जाएगा. डैम बनने के बाद कई हेक्टेयर भूमि वापस की गई, लेकिन बाकी बची भूमि पर सेवानिवृत्त कर्मचारियों समेत अन्य लोगों ने कब्जा कर दिया.

जनहित याचिका में जिलाधिकारी के नोटिस को पक्षपातपूर्ण भी बताया है. उनका कहना है कि राज्य सरकार 213 लोगों को विस्थापित कर रही है, वो भी दशकों से उसी स्थान पर रह रहे हैं, लेकिन उनका विस्थापन नहीं किया जा रहा है. लिहाजा, उन्हें भी अन्य की तरह विस्थापित किया जाए. जिस पर कोर्ट ने राज्य सरकार और याचिकाकर्ता संस्था से सभी प्रभावित लोगों की लिस्ट कोर्ट में पेश करने को कहा है. याचिकाकर्ता संस्था की ओर से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता जेएस रावत और सीएस रावत ने अपना पक्ष रखा.

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