नैनीताल: उत्तराखंड के संस्कृत महाविद्यालयों में रविवार को अवकाश नहीं किए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता से कहा है कि इस संबंध में एक नया प्रत्यावेदन संबंधित विभाग को पेश करें. जबकि, कोर्ट ने संबंधित विभाग को इस प्रत्यावेदन को चार महीने के भीतर निस्तारित करने को कहा है.
दरअसल, चमोली जिले के गोपेश्वर निवासी पर्वतीय शिल्पकार सभा के अध्यक्ष गिरीश लाल आर्या ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि उत्तराखंड के संस्कृत विद्यालयों और महाविद्यालयों में रविवार को छुट्टी नहीं दी जाती है.
इन विद्यालयों और महाविद्यालयों में पंचांग को देखकर त्रिपता या अष्टमी को अवकाश किया जाता है. वर्तमान में प्रदेश में संस्कृत के 12 विद्यालय और महाविद्यालय हैं, जिनमें से 3 विद्यालयों में ही रविवार को अवकाश रहता है. बाकी में त्रिपता या अष्टमी को अवकाश होता है.
जनहित याचिका में कहा गया है कि जब सभी जगहों पर रविवार के दिन अवकाश यानी छुट्टी रहती है तो इन विद्यालयों और महाविद्यालयों में क्यों नहीं दिया जाता है. रविवार को अवकाश न होने के कारण इन विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र प्रतिगयोगी परीक्षाओं में प्रतिभाग नहीं कर पाते हैं. क्योंकि, सारी प्रतियोगी परीक्षाएं रविवार को ही होती है.
ये भी पढ़ें-
- संस्कृत विद्यालयों में रविवार को छुट्टी न होने के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई, याचिकाकर्ता को देना होगा प्रति शपथपत्र
- अब संस्कृत में भी लिखे जाएंगे सार्वजनिक स्थलों के नाम, आदेश हुए जारी
- उत्तराखंड में पांच लाख बच्चे सीखेंगे 'देवभाषा', हर जिले में बनेगा संस्कृत गांव
- बीजेपी सरकार में बोर्ड और बातों तक सिमटा संस्कृत का विकास, नौकरशाहों ने भी किया परहेज