देहरादून: अपनी ही बहन की हत्या करने पर निचली अदालत से फांसी की सजा पाए तीनों भाइयों के मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले को सुनने के बाद न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की खंडपीठ ने निचली अदालत से फांसी की सजा पाए कुलदीप और अरुण की फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया है. जबकि, मृतका के ममेरे भाई राहुल को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है.
बहन के हत्यारों की फांसी की सजा उम्रकैद में तब्दील: दरअसल, हरिद्वार के खानपुर में परिजनों की मर्जी के खिलाफ जाकर बहन ने प्रेम विवाह कर लिया था. जिस पर उसके भाइयों ने उसकी (बहन की) धारदार हथियारों से बेरहमी से हत्या कर दी थी. इस मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश शंकर राज ने मृतका के दो सगे भाई समेत ममेरे भाई को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी.
लोअर कोर्ट ने सुनाई थी फांसी की सजा: अपने आदेश की पुष्टि करने के लिए अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश शंकर राज ने हाईकोर्ट को रेफरेंस आदेश भेजा था. जिस पर सुनवाई करते हुए नैनीताल कोर्ट ने आरोपियों की फांसी की सजा उम्रकैद में तब्दील करने का आदेश दिया है.
क्या था मामला? हरिद्वार जिले के खानपुर थाना क्षेत्र के शाहपुर निवासी प्रीति ने साल 2014 में पास के ही धर्मूपुर गांव निवासी युवक ब्रजमोहन के साथ प्रेम विवाह किया था. उसके परिजन उनकी शादी के खिलाफ थे. जिसके कारण उसका मायके आना जाना बंद हो गया था.
बीती 18 मई 2018 को प्रीति खानपुर थाना क्षेत्र के अब्दीपुर गांव में अपने मामा संतर पाल के घर आई थी. जहां उसकी धारदार हथियार से गला रेतकर हत्या कर दी गई. मृतका के पति ब्रजमोहन ने उसके (प्रीति के) भाइयों कुलदीप और अरुण के अलावा ममेरे भाई राहुल के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था.
ममेरा भाई सबूतों के अभाव में बरी: वहीं, मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश शंकर राज ने आरोपी दो सगे भाइयों के साथ ही ममेरे भाई को दोषी ठहराया था. साथ ही तीनों को फांसी की सजा सुनाई थी, लेकिन अब हाईकोर्ट से तीनों को बड़ी राहत मिली है. अब दो भाइयों की फांसी उम्र कैद में बदल गई है. ममेरे भाई को बरी कर दिया गया है.
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