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निकाय चुनावों को लेकर HC में सरकार के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर हुई सुनवाई, कोर्ट ने 11 जून तक स्थिति स्पष्ट करने का कहा - municipal elections Uttarakhand

उत्तराखंड में निकाय चुनावों का कार्यकाल खत्म हुए 6 महीने का वक्त हो चुका है, लेकिन अभीतक प्रदेश में निकाय चुनावों के तरीखों की घोषणा नहीं है, जबकि राज्य सरकार ने कोर्ट में दो जून तक निकाय चुनाव कराने की बात कही थी, बावजूद इसके चुनाव नहीं हुए. ऐसे में याचिकाकर्ता ने फिर से कोर्ट ने सरकार के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की है.

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नैनीताल हाईकोर्ट (फाइल फोटो) (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jun 7, 2024, 9:43 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड में नगर पालिका, निगर निगम और अन्य निकायों के कार्यकाल खत्म होने के 6 महीने बाद भी चुनाव नहीं कराने के मामले को लेकर दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिए कि वो तत्काल अवमानना की प्रति राज्य सरकार देने का आदेश देने का कहा है. साथ ही राज्य सरकार को 11 जून तक इस पर स्थिति स्पष्ट करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 11 जून की तिथि नियत की है.

याचिकाकर्ता राजीव लोचन शाह ने अपनी अवमानना याचिका में कहा कि राज्य सरकार ने कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया. पूर्व में राज्य सरकार ने दो बार कोर्ट ने अपना बयान दिया था, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार 2 जून 2024 तक निकायों का चुनाव सम्पन्न करा लेगी, परन्तु अभी तक राज्य सरकार ने न तो चुनाव कराए न ही कोर्ट के आदेशों का पालन किया. यह एक संवैधानिक संकट है. देश का संविधान इसकी अनुमति नहीं देता.

याचिकाकर्ता का कहना है कि अगर किसी वजह से राज्य सरकार तय समय के भीतर चुनाव नहीं करा पाती है तो उस स्थिति में सिर्फ छह माह के लिए प्रशाशक नियुक्त किए जा सकते है. राज्य सरकार ने चुनाव कराने के बजाय प्रसाशकों का कार्यकाल और बढ़ा दिया.

याचिकाकर्ता का कहना है कि राज्य सरकार न तो कोर्ट के आदेश का पालन कर रही है और न ही अपने दिए गए वचन का. इसलिए इनके ऊपर कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं करने पर अवमानना की कार्रवाई की जाए. बता दें कि नगर पालिका, निगर निगम और अन्य निकायों के चुनावों को लेकर नैनीताल निवासी वरिष्ठ पत्रकार राजीव लोचन शाह ने जनहित याचिका दायर की थी.

अपनी याचिका में राजीव लोचन शाह ने कहा था कि नगर पालिकाओं व नगर निकायों का कार्यकाल दिसंबर माह में समाप्त हो गया था, लेकिन कार्याकाल समाप्त होने के एक सप्ताह बाद भी सरकार ने चुनाव कराने का कार्यक्रम घोषित नहीं किया, बल्कि उल्टा निकायों में अपने प्रशासक नियुक्त कर दिए. प्रशासक नियुक्त होने की वजह से आमजन को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, जबकि निकायों के चुनाव कराने हेतु सरकार को याद दिलाने के लिए पूर्व से ही एक जनहित याचिका कोर्ट में विचाराधीन है.

शाह ने आज अपनी दायर याचिका ने कहा था कि सरकार को कोई अधिकार नहीं है कि वे निकायों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद प्रशाशक नियुक्त करे. प्रसाशक तब नियुक्त किया जाता है, जब कोई निकाय भंग की जाती है. उस स्थिति में भी सरकार को छह माह के भीतर चुनाव कराना आवश्यक होता है, लेकिन यहां इसका उल्टा है. निकायों ने अपना कार्यकाल पूरा कर लिया है. उसके बाद भी चुनाव कराने का कर्याक्रम घोषित तक नहीं हुआ.

शाह ने कहा कि सरकार ने निकायों में अपने प्रशासक नियुक्त कर दिए जो संविधान के विरुद्ध है. लोकसभा व विधानसभा के चुनाव निर्धारित तय समय में होते है, लेकिन निकायों के तय समय मे क्यों नहीं हो रहे? नियमानुसार निकायों के कार्यकाल समाप्त होने से छह महीने पहले चुनाव का कार्यक्रम घोषित हो जाना था, जो अभी तक नहीं हुआ.

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नैनीताल: उत्तराखंड में नगर पालिका, निगर निगम और अन्य निकायों के कार्यकाल खत्म होने के 6 महीने बाद भी चुनाव नहीं कराने के मामले को लेकर दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिए कि वो तत्काल अवमानना की प्रति राज्य सरकार देने का आदेश देने का कहा है. साथ ही राज्य सरकार को 11 जून तक इस पर स्थिति स्पष्ट करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 11 जून की तिथि नियत की है.

याचिकाकर्ता राजीव लोचन शाह ने अपनी अवमानना याचिका में कहा कि राज्य सरकार ने कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया. पूर्व में राज्य सरकार ने दो बार कोर्ट ने अपना बयान दिया था, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार 2 जून 2024 तक निकायों का चुनाव सम्पन्न करा लेगी, परन्तु अभी तक राज्य सरकार ने न तो चुनाव कराए न ही कोर्ट के आदेशों का पालन किया. यह एक संवैधानिक संकट है. देश का संविधान इसकी अनुमति नहीं देता.

याचिकाकर्ता का कहना है कि अगर किसी वजह से राज्य सरकार तय समय के भीतर चुनाव नहीं करा पाती है तो उस स्थिति में सिर्फ छह माह के लिए प्रशाशक नियुक्त किए जा सकते है. राज्य सरकार ने चुनाव कराने के बजाय प्रसाशकों का कार्यकाल और बढ़ा दिया.

याचिकाकर्ता का कहना है कि राज्य सरकार न तो कोर्ट के आदेश का पालन कर रही है और न ही अपने दिए गए वचन का. इसलिए इनके ऊपर कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं करने पर अवमानना की कार्रवाई की जाए. बता दें कि नगर पालिका, निगर निगम और अन्य निकायों के चुनावों को लेकर नैनीताल निवासी वरिष्ठ पत्रकार राजीव लोचन शाह ने जनहित याचिका दायर की थी.

अपनी याचिका में राजीव लोचन शाह ने कहा था कि नगर पालिकाओं व नगर निकायों का कार्यकाल दिसंबर माह में समाप्त हो गया था, लेकिन कार्याकाल समाप्त होने के एक सप्ताह बाद भी सरकार ने चुनाव कराने का कार्यक्रम घोषित नहीं किया, बल्कि उल्टा निकायों में अपने प्रशासक नियुक्त कर दिए. प्रशासक नियुक्त होने की वजह से आमजन को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, जबकि निकायों के चुनाव कराने हेतु सरकार को याद दिलाने के लिए पूर्व से ही एक जनहित याचिका कोर्ट में विचाराधीन है.

शाह ने आज अपनी दायर याचिका ने कहा था कि सरकार को कोई अधिकार नहीं है कि वे निकायों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद प्रशाशक नियुक्त करे. प्रसाशक तब नियुक्त किया जाता है, जब कोई निकाय भंग की जाती है. उस स्थिति में भी सरकार को छह माह के भीतर चुनाव कराना आवश्यक होता है, लेकिन यहां इसका उल्टा है. निकायों ने अपना कार्यकाल पूरा कर लिया है. उसके बाद भी चुनाव कराने का कर्याक्रम घोषित तक नहीं हुआ.

शाह ने कहा कि सरकार ने निकायों में अपने प्रशासक नियुक्त कर दिए जो संविधान के विरुद्ध है. लोकसभा व विधानसभा के चुनाव निर्धारित तय समय में होते है, लेकिन निकायों के तय समय मे क्यों नहीं हो रहे? नियमानुसार निकायों के कार्यकाल समाप्त होने से छह महीने पहले चुनाव का कार्यक्रम घोषित हो जाना था, जो अभी तक नहीं हुआ.

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