नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जिला देहरादून की निशा रमोला द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा गया कि उसने वर्ष 2013 में शहीद बाबा दीप सिंह नर्सिंग कॉलेज हरियाणा से जीएनएम (जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी) कोर्स किया. जिसके आधार पर हरियाणा नर्सिंग काउंसिल द्वारा उसे रजिस्टर्ड नर्स एंड मिडवाइफ के रूप में पंजीकृत कर दिया गया था. और उसी के आधार पर वह 2013 से ही देहरादून स्थित महंत इंद्रेश हॉस्पिटल में बतौर स्टाफ नर्स कार्यरत है.
याचिका में कहा गया कि 11 मार्च 2024 को उत्तराखंड सरकार द्वारा प्रदेश के मेडिकल कॉलेज एवं कैंसर इंस्टीट्यूट में रिक्त 1455 पदों को भरे जाने हेतु विज्ञप्ति जारी की गई. जिसके लिए याचिकाकर्ता द्वारा भी आवेदन किया गया. लेकिन मेडिकल सर्विस सेलेक्शन बोर्ड द्वारा 18 सितंबर को उसका अभ्यर्थन (उम्मीदवारी) इस आधार पर निरस्त कर दी कि उसके पास आवेदन करने की अंतिम तिथि को उत्तराखंड नर्सिंग काउंसिल में पंजीकरण संबंधी प्रमाण पत्र नहीं था.
याचिकाकर्ता द्वारा इस आदेश को चुनौती देते हुए कहा गया कि उसने विज्ञप्ति जारी होने से एक माह पूर्व ही उत्तराखंड नर्सिंग काउंसिल को अपना पंजीकरण हरियाणा से उत्तराखंड में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था. लेकिन इंडियन नर्सिंग काउंसिल एवं हरियाणा नर्सिंग काउंसिल द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने में अत्यधिक विलंब किया गया. जिस कारण उत्तराखंड नर्सिंग काउंसिल द्वारा उसे जुलाई माह में पंजीकृत किया गया. जिसमें उसकी कोई गलती नहीं है.
हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की एकलपीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद प्रदेश सरकार सहित मेडिकल सर्विस सलेक्शन बोर्ड को मामले में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही डिप्लोमा कोटे के नर्सिंग ऑफिसर का एक पद भी रिक्त रखने के निर्देश दिए हैं.
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